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निर्जला एकादशी व्रत 2023

निर्जला एकादशी 31 मई 2023 विशेष ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एकादशी व्रत हिन्दुओ में सबसे अधिक प्रचलित व्रत माना जाता है। वर्ष में चौबीस एकादशियाँ आती हैं, किन्तु इन सब एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली समझी जाती है क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। निर्जला-एकादशी का व्रत अत्यन्त संयम साध्य है। इस युग में यह व्रत सम्पूर्ण सुख भोग और अन्त में मोक्ष दायक कहा गया है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है। निर्जला एकादशी का महत्त्व ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भोजन संयम न रखने वाले पाँच पाण्डवों में एक भीमस...

Salon - दाढी

🏵️🏵️ *दाढ़ी मात्र रु.10/-* 🏵️🏵️                  ---------------------- 🌹🌹 विद्युत वितरण कंपनी में सेवारत एक अधिकारी दाढ़ी बनवाने एक सैलून में गये और  सैलून में लगे बोर्ड को पढ़ने लगे....  👉 दाढ़ी --------- ₹.10/- 👉ब्लेड अधिभार. ₹. 2/- 👉उस्तरा भाड़ा .. ₹. 3/-  👉क्रीम ---------- ₹. 5/-  👉 कैंची भाड़ा -- ₹. 3/-   👉 कुर्सी भाड़ा -- ₹.10/-  👉लोशन -------- ₹. 7/-  👉पाउडर ------- ₹. 5/-   👉नॅपकिन भाड़ा.₹. 5/-  --------------------------------       योग ......... ₹. 50/- -------------------------------- 🤔 बोर्ड पढ़कर अधिकारीजी बोले :-- "तुम तो कमाल करते हो यार...! दाढ़ी मात्र १० रु. लिखकर अन्य दूसरे छुपे खर्चे जोड़कर ग्राहकों को 'लूटते' हो...??" सैलून स्वामी : -- "मेरे द्वारा इस बोर्ड पर शुद्ध हिन्दी में और सुपाठ्य बड़े अक्षरों में स्पष्ट लिखने से मेरे काम पर टिप्पणी कर रहे हो साहब...? और आपकी महावितरण कंपनी में सालों से उपभोक्ताओं के साथ "महाछल" जारी है उ...

पुराना समय

पहले *भटूरे* को फुलाने के लिये  उसमें *ENO* डालिये फिर *भटूरे* से फूले पेट को  पिचकाने के लिये *ENO* पीजिये  *जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य* *आप कभी नहीं समझ पायेंगे* *पांचवीं* तक *स्लेट* की बत्ती को  *जीभ* से चाटकर *कैल्शियम* की  कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी *लेकिन* इसमें *पापबोध* भी था कि कहीं  *विद्यामाता* नाराज न हो जायें ...!!!☺️ *पढ़ाई* के *तनाव* हमने  *पेन्सिल* का पिछला हिस्सा  चबाकर मिटाया था ...!!!😀 *पुस्तक* के बीच *पौधे की पत्ती*  और *मोरपंख* रखने से हम  *होशियार* हो जाएंगे ... ऐसा हमारा *दृढ विश्वास* था. 😀 *कपड़े* के *थैले* में *किताब-कॉपियां* जमाने का *विन्यास* हमारा  *रचनात्मक कौशल* था ...!!!☺️🙏🏻 हर साल जब नई *कक्षा* के *बस्ते बंधते* तब *कॉपी किताबों* पर *जिल्द* चढ़ाना  हमारे जीवन का *वार्षिक उत्सव* मानते थे ...!!!☺️ *माता - पिता* को हमारी *पढ़ाई* की  कोई *फ़िक्र* नहीं थी, न हमारी *पढ़ाई*  उनकी *जेब* पर *बोझा* थी ...☺️💕 *सालों साल* बीत जाते पर *माता - पिता* के  *कदम* हमारे *स्कूल* में न पड़ते थे ...!!!😀 ...