सरकारी शिक्षक की व्यथा
ढोल की पोल* *व्यंग्य - कविता --------------------- ----------------------- एक ऊर्जावान शिक्षक ने शाला में ज्वाइन किया स्कूल भवन को प्रणाम कर काम फाइन किया मन में बोले हर एक बच्चे को शिक्षित करूंगा विषम से विषम परिस्थितियों से भी मैं नहीं डरूंगा शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार हुए तब ही प्रधान अध्यापक से नैना दो-चार हुए हेड मास्टर बोले बीआरसी से किताबें उठा लाओ और अभी गणवेश का नाप दर्जी को देकर आओ और हां कल जनशिक्षा केन्द्र पर तुम्हारी मीटिंग है शिक्षक ने कहा सर! ये तो बच्चों के साथ चीटिंग है हेड मास्टर ने कहा क्या तुम्हारी ऊपर तक सैटिंग है नहीं तो तुम्हारे बाद भी यहां एक शिक्षक वेटिंग है निराश शिक्षक सायकिल उठा कर चल दिया बच्चों को कैसे पढ़ाएं किसी ने नहीं हल दिया अगले दिन जब चाॅक और डस्टर उठाया पड़ोस का एक शिक्षक दौड़ते हुए आया बोले तुम्हारा नाम बीएलओ ड्यूटी में आया है जल्दी भागो एक बजे कलैक्ट्रेट में बुलाया है घबराया शिक्षक भागते-दौड़ते चला जा रहा था बीच-बीच में जनशिक्षक का भी फोन आ रहा था (जनशिक्षक ने कहा-) सभी बच्चों की मेपिंग और रजिस्ट्रेशन आज ही कर दो शाम तक डा...