सर्वनिंदक महाराज जी
*एक थे सर्वनिंदक महाराज।* *काम-धाम कुछ आता नहीं था पर निंदा गजब की करते थे।हमेशा औरों के काम में टाँग फँसाते थे*। *अगर कोई व्यक्ति मेहनत करके सुस्ताने भी बैठता तो कहते, 'मूर्ख एक नम्बर का कामचोर है। अगर कोई काम करते हुए मिलता तो कहते, 'मूर्ख जिंदगी भर काम करते हुए मर जायेगा*।' *कोई पूजा-पाठ में रुचि दिखाता तो कहते, 'पूजा के नाम पर देह चुरा रहा है। ये पूजा के नाम पर मस्ती करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता।' अगर कोई व्यक्ति पूजा-पाठ नहीं करता तो कहते, 'मूर्ख नास्तिक है! भगवान से कोई मतलब ही नहीं है। मरने के बाद पक्का नर्क में जायेगा*।' *माने निंदा के इतने पक्के खिलाड़ी बन गये कि आखिरकार नारदजी ने अपने स्वभाव अनुसार.. विष्णु जी के पास इसकी खबर पहुँचा ही दिया। विष्णु जी ने कहा 'उन्हें विष्णु लोक में भोजन पर आमंत्रित कीजिए*।' *नारद तुरंत भगवान का न्योता लेकर सर्वनिंदक महाराज के पास पहुँचे और बिना कोई जोखिम लिए हुए उन्हें अपने साथ ही विष्णु लोक लेकर पहुँच गये कि पता नहीं कब महाराज पलटी मार दे*। *उ...