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संगठन में शक्ति : नैतिक शिक्षा

*एक आदमी था, जो हमेशा अपने संगठन में सक्रिय रहता था,  उसको सभी जानते थे ,बड़ा मान सम्मान मिलता था; अचानक किसी कारण वश वह निष्क्रीय रहने लगा , मिलना - जुलना बंद कर दिया और संगठन से दूर हो गया।*        *कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस संगठन के मुखिया ने उससे मिलने का फैसला किया । मुखिया उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक बोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था। उस आदमी ने आगंतुक मुखिया का बड़ी खामोशी से स्वागत किया।*         *दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे। कुछ देर के बाद मुखिया ने बिना कुछ बोले, उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया। और फिर से शांत बैठ गया।*       *मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने संगठन के मुखिया के साथ है। लेकिन उसने देखा कि अलग की हुई लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर...

Motivational Story

*एक साधु बाबा नदी के किनारे बैठे थे, किसी ने पूछा बाबा क्या कर रहे हो?* *साधु बाबा ने कहा इंतजार कर रहा हूं की पूरी नदी बह जाएं तो फिर पार करूं,* *उस व्यक्ति ने कहा कैसी बात करते हो बाबा पूरा जल बहने के इंतजार में तो आप कभी नदी पार ही नहीं कर पाओगे.* *साधु बाबा ने कहा यही तो मै तुम लोगो को समझाना चाहता हूं, कि तुम लोग जो सदा ये कहते रहते हो कि एक बार जीवन की जिम्मेदारियां पूरी हो जाये तो* *मौज करूं, घूमूं फिरूं, सबसे मिलूं, सेवा करूं.* *जैसे नदी का जल कभी खत्म नहीं होगा,* *हमें ही जल से पार जाने का रास्ता बनाना है,* *इसी प्रकार जीवन ख़तम हो जायेगा पर जीवन के काम कभी ख़तम नहीं होंगे.* *तो 2021 से जिंदगी मज़े में जीना शुरू कर दो क्योंकि जिंदगी का महत्व 2020 ने हमें दिखा ही दिया है.*

Motivational story

*अपने बच्चों को अन्धविश्वासी ना बनाये..???* सत्यनारायण की कथा से और ब्राह्मणों की चरण वंदना से आपकी पीढ़ियां मानसिक गुलामी में जी रहीं हैं |  हमारे यहां पढ़ने वाले छात्रों को किताबों में पढ़ने के लिए जो मिलता है उस का उल्टा उन्हे अपने परिवार वालों, धर्मग्रंथो और धार्मिक गुरुओ से मिलता है। वस इसी का नतीजा होता है कि एक पढ़ा लिखा इंसान भी बेवकूफ जैसा बरताव करता है। हेमेंद्र कक्षा 7 वीं का छात्र है। उसके गाँव में यज्ञ हो रहा था। यज्ञ में आए धर्मगुरु अपने प्रवचन में बता रहे थे कि गंगा शिवजी की जटाओ से निकलती है और भागीरथ उन्हे स्वर्ग से धरती पर लाये थे। प्रवचन खत्म होते ही हेमेंद्र ने पूछा महात्मा जी "मैंने तो हमारी किताब में पढ़ा है कि गंगा हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है। इस पर महात्मा जी ने कहा कि, "अभी तुम बच्चे हो धर्म-कर्म की बाते नहीं समझ पाओगे।" पास में ही बैठे दूसरे लोगों ने भी उससे कहा कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हें अपने आप इन सब बातो की जानकारी हो जाएगी।                               दूसरे दिन...