Class 12th Chapter 16

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प्रश्न - औषधि किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार की होती हैं।
उत्तर - औषधि (Drugs) - कम आण्विक द्रव्यमान की वह रसायन जो अधिक आणविक द्रव्यमान (प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , न्यूक्लिक अम्ल ) से अभिक्रिया करके व्यक्ति को लाभ पहुंचाती हैं , औषधियां कहलाती हैं ।
औषधि निम्न प्रकार की होती हैं - 
1. पीड़ाहारी औषधि 
2. प्रशांत औषधि
3. निंद्रा कारी औषधि 
4. एंटासिड औषधि 
5. प्रति एलर्जी औषधि 
6. पूतिरोधी औषधि
7. प्रतिजैविक औषधि 
8. प्रतिजनन औषधि आदि ।

प्रश्न - निम्न औषधियों को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए - 
1. ज्वरनाशी (Antipyretic) - ऐसी औषधि जो ज्वर के समय शरीर का ताप कम करने के लिए प्रयुक्त की जाती हैं , ज्वरनाशी औषधियां कहलाती हैं ।
जैसे - एस्प्रिन , पेरासिटामोल आदि।
 
नोट - एस्प्रिन का उपयोग खाली पेट नहीं करना चाहिए क्योंकि एस्प्रिन आमाशय में सैलिसिलिक अम्ल बना देती है जो आमाशय में भाव उत्पन्न करता है ।


2. पीड़ाहारी औषधि(Analgesic) - वे रासायनिक पदार्थ जो शरीर की पीड़ा को कम करते हैं , पीड़ाहारी या दर्दनाशी या दर्दनिवारक कहलाते हैं ।
जैसे - मार्फिन , कोडीन , हेरोइन , आइबूप्रोफेन , सोडियम डाइक्लोफेन आदि ।
यह दो प्रकार की होती हैं -
a. स्वापक औषधी(Narcotics) - तीव्र व असहनीय दर्द होने पर ऐसी पीड़ाहारी औषधि का प्रयोग किया जाता है , जो निंद्रा व अचेतना उत्पन्न करती है । इन्हें स्वापक पीड़ाहारी कहते हैं । इनका सेवन करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है । यह नशेयुक्त रसायन है , जो मृत्यु कारक होते हैं ।
जैसे - मार्फिन , कोडीन , हेरोइन आदि।

b. अस्वापक औषधी(Non-narcotics) - यह सामान्य पीड़ाहारी है जिनके सेवन से व्यक्ति इनका आदि नहीं होता है । इन पीड़ाहारी औषधि में ज्वरनाशी लक्षण भी पाए जाते हैं । यह नशेरहित रसायन है , जो मृत्यु कारक नहीं होते हैं ।
जैसे - पेरासिटामोल , एस्प्रिन आदि ।

3. प्रति सूक्ष्मजैविक(Antimicrobial) - वे रसायन जो सूक्ष्म जीवो जैसे - बैक्टीरिया , वायरस , कवक , फफूंद आदि की वृद्धि को रोकते हैं या उन्हें नष्ट करते हैं । प्रति सूक्ष्मजैविक कहलाते हैं ।
इन सूक्ष्म जीवों के द्वारा उत्पन्न रोगों पर नियंत्रण तीन प्रकार से किया जा सकता है - 
1. ऐसी औषधि के उपयोग द्वारा जो शरीर में उपस्थित सूक्ष्म जीवो को मार देती है , यह औषधियां जीवाणुनाशक कहलाते हैं ।

2. ऐसी औषधियां जो सूक्ष्मजीवीयों की वृद्धि को रोकती हैं यह औषधियां जीवाणुरोधी कहलाती हैं ।

3. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करके ।


4. प्रतिजैविक ( Antibiotics ) - वे रासायनिक पदार्थ जो एक सूक्ष्मजीवी द्वारा उत्पन्न होते हैं और दूसरे सूक्ष्मजीवियों के लिए विषैले होते हैं अर्थात उसे नष्ट कर देते हैं , प्रतिजैविक कहलाते हैं ।
जैसे - पेनिसिलिन , स्ट्रैप्टोमायसिन , क्लोरेफीनिकोल , डेसिडेजेरीन आदि ।

प्रतिजैविक के प्रकार - प्रतिजैविक दो प्रकार के होते हैं - 
a. जीवाणुनाशी - यह सूक्ष्म जीवाणुओं को मारते हैं ।
b. जीवाणुरोधी - यह सूक्ष्म जीवाणुओं पर निरोधक प्रभाव डालते हैं ।

प्रतिजैविक के उपयोग - 
पेनिसिलिन - निमोनिया , ब्रोंकाइटिस
स्ट्रैप्टोमायसिन - तपेदिक(टायफायड)
क्लोरेफीनिकोल - मस्तिष्क ज्वर
डेसिडेजेरीन - कैंसर



5. पूतिरोधी (Antiseptic) - वे रासायनिक पदार्थ जो हानिकारक सूक्ष्मजीवियों एवं बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं या उनकी वृद्धि को रोकते हैं , पूतीरोधी कहलाते हैं । यह जीवित ऊतको को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं । पूतीरोधी का उपयोग जीवित ऊतको पर जैसे त्वचा के कटने या घाव होने पर किया जाता है । पूतीरोधी का उपयोग शरीर में बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न गंध को कम करने के लिए किया जाता है ।
जैसे - डेटॉल , सेवलोन , बोरेक्स , पोटेशियम परमैग्नेट , आयोडीन टिंक्चर , बाइथायोनल साबुन , माउथ वॉश , डियो , टूथपेस्ट , चेहरे का पाउडर आदि ।

नोट - प्रतिजैविक तथा पूतीरोधी , प्रति सूक्ष्म जैविक औषधियां हैं ।


6. रोगाणुनाशी ( Disinfectants) - वे पदार्थ जो बैक्टीरिया एवं अन्य सूक्ष्मजीवियों को नष्ट कर देते हैं , रोगाणुनाशी  कहलाते हैं । यह जीवित ऊतको को नुकसान पहुंचाते हैं । इनका उपयोग पात्रों , फर्सों एवं संयंत्रों को साफ करने में किया जाता है ।
जैसे - फीनोल , क्रिसोल , हाइड्रोजन पराक्साइड , सल्फर डाइऑक्साइड , क्लोरीन आदि ।


7. प्रशांतक(Tranquilizer) - तनाव कम करने अथवा मानसिक बीमारियों के उपचार में प्रयुक्त औषधियां , प्रशांतक कहलातती हैं । 
यह दो प्रकार के होते हैं - 
a. शामक 
b. प्रतिनिराशक

a. शामक - यह औषधियां ऐसे रोगियों को दी जाती हैं जो हिंसात्मक प्रवृत्ति वाले होते हैं , यह निंद्रा भी उत्पन्न करती हैं ।
जैसे - डाइजिपाम , इक्वेनल

b. प्रतिनिराशक - यह औषधियां अति निराशा व आत्मविश्वास हीनता की स्थिति में दी जाती हैं ।
जैसे - कोकेन , वाइटेलिन आदि ।


8. एंटासिड (Antacid) - वे पदार्थ जो आमाशय में उत्पन्न हुए अम्ल की अधिकता को उदासीन कर देते हैं , एंटासिड या प्रतिअम्ल या अम्लतारोधी कहलाते हैं ।
जैसे - मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड , रेनिटिडिन , ओमाप्रेजोल आदि ।


9. सल्फा ड्रग - सल्फेनेलैमाइड के व्युत्पन्न जो एंटीबायोटिक के समान अनेक सूक्ष्मजीवियों को नष्ट करते हैं या उनकी वृद्धि को रोक देते हैं , सल्फा ड्रग कहलाते हैं ।
जैसे - सल्फाडाइजीन , सल्फागुनाडिन आदि ।

10. एंटीफर्टिलिटी (प्रतिजनन ) -





11. प्रति ऑक्सिकारक (Antioxidant) - वे रसायन जो खाद्य पदार्थों की ऑक्सीजन से क्रियाशीलता घटा देते हैं प्रति ऑक्सीकारक कहलाते हैं । अथवा वे रसायन जो स्वयं का ऑक्सीकरण करते हैं लेकिन खाद्य पदार्थों का ऑक्सीकरण नहीं होने देते , प्रति ऑक्सीकारक कहलाते हैं ।
जैसे - BHT ( 2 , 6 - डाई तृतीयक ब्यूटिल हाइड्रोक्सी टालुईन)

 BHA( 2 - तृतीयक ब्यूटिल हाइड्रोक्सी एनिसोल)

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