कक्षा 11th अध्याय 4 PART - 4
श्री कोचिंग क्लासेस बेगमगंज
उत्तर - परमाणु के संयोजी कोश में उपस्थित लगभग समान ऊर्जा एवं आकृति वाले कक्षक आपस में संयुक्त होकर ऊर्जा का पुनः वितरण कर के समान ऊर्जा एवं समान आकृति के कक्षकों का निर्माण करते हैं तब इस प्रक्रिया को संकरण कहते हैं तथा नए बने कक्षकों को संकरित कक्षक कहते हैं।
संकरण के नियम - संकरण के नियम निम्न है -
1.संकरण में भाग लेने वाले कक्षक लगभग समान ऊर्जा वाले होने चाहिए ।
2.जितने कक्षक संकरण में भाग लेते हैं उतने ही नए संकरित कक्षक बनते हैं ।
3.संकरण में कक्षक भाग लेते हैं ना कि इलेक्ट्रॉन । संकरण में पूर्ण भरे ,आधे भरे एवं खाली सभी प्रकार के कक्षक भाग ले सकते हैं ।
4.संकरित कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण इस प्रकार होता है कि अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिकतम हो ।
5.संकरित कक्षक ऊर्जा एवं आकार में समान होते हैं किंतु धर्म में इनका विन्यास एक दूसरे से भिन्न हो सकता है।
संकरण के प्रकार -
संकरण की प्रक्रिया में भाग लेने वाले कक्षकों के आधार पर संकरण को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है जैसे -
1.sp संकरण
2.sp2 संकरण
3.sp3 संकरण
4.sp3d संकरण
5.sp3d2 संकरण
6.sp3d3 संकरण
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