परिरक्षण प्रभाव एवं आयनन ऊर्जा

प्रश्न - परिरक्षण प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर - परिरक्षण प्रभाव - नाभिक एवं अंतिम कोश के  इलेक्ट्रोनों के बीच एक ऐसा प्रतिकर्षी आवरण कार्य करता है  जो नाभिक के आकर्षण को कम कर देता हैैैै इसे आवरणी प्रभाव या परिरक्षण प्रभाव या शील्डिंग इफेक्ट या स्क्रीनिंग प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न - आयनन ऊर्जा किसे कहते हैं इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर -आयनन ऊर्जा -किसी तत्व के विलगित या गैसीय परमाणु के बाहरी कक्ष में से एक इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को उस तत्व की आयनन ऊर्जा या आयनन विभव कहते हैं।
आवर्त में - आवर्त में बाएं से दाएं जानेेे पर आयनन ऊर्जा का मान अधिक होता जाताा है क्योंकि नाभिकीय आवेश में वृद्धि के कारण परमाणु का आकार घटता है जिससे आयनन ऊर्जा का मान बढ़ जाता है।

 वर्ग में - वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिससे अयनन ऊर्जा का मान घटता है।

#आयनन ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक - आयनन ऊर्जा को निम्नलिखित को कारक प्रभावित करते हैं-
1.परमाणु आकार - परमाणु का आकार अधिक होने पर आयनन ऊर्जा का मान कम हो जाताा है क्योंकि प्रभावी नाभिकीय आवेश अर्थात आकर्षण कम हो जाता है।
2. नाभिकीय आवेश - नाभिकीय आवेश का मान अधिक होनेेे पर आयनन ऊर्जा का मान भी अधिक होताा है क्योंकि परमाणु का आकार घटता है।
3. परिरक्षण प्रभाव - परिरक्षण प्रभाव का मान अधिक होने पर आयनन ऊर्जा का मान घटता है क्योंकि परमाणु का आकार बढ़ता है।
4. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - जिन तत्वों के अंतिम कोश का बाहरी उपकोश पूर्ण या अर्ध पूर्ण  है ,  उनकी आयनन ऊर्जा अधिक होती है ।

प्रश्न - नाइट्रोजन की आयनन ऊर्जा का मान ,ऑक्सीजन की आयनन ऊर्जा के मान से अधिक होता है ,क्यों ?
उत्तर - नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन में ऑक्सीजन की आयनन ऊर्जा का मान अधिक होना चाहिए था क्योंकि आवर्त सारणी में बाएं से दाएं जानेे पर आयनन ऊर्जा का मान बढ़ता है परंतु नाइट्रोजन की आयनन ऊर्जा का मान ऑक्सीजन की आयनन ऊर्जा से अधिक होता है क्योंकि  नाइट्रोजन के p- कक्षक अर्धपूरित होते हैं जिससेेे यह स्थाई होता है अतःः इसके अंतिम कोश से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए नाइट्रोजन की आयनन ऊर्जा का मान ऑक्सीजन की आयनन ऊर्जा के मान सेेेे अधिक होता है।
प्रश्न - बेरिलियम(Be) एवं बोरान(B) में किसकी आयनन ऊर्जा का मान अधिक होता है ?
                           अथवा 
बेरिलियम(Be) की आयनन ऊर्जा का मान बोरान(B) की आयनन ऊर्जा से अधिक होता है क्यों ?
उत्तर - बेरिलियम तथा बोरान में, बोरान की आयनन ऊर्जा का मान अधिक होना चाहिए था क्योंकि आवर्त सारणी में बाएं से दाएं जानेे पर आयनन ऊर्जा का मान बढ़ता है किंतु बेरिलियम की आयनन ऊर्जा का मान बोरान से अधिक होता है क्योंकि बेरिलियम का अंतिम कक्षक पूर्ण पूरित होता है और हम जानते हैंं कि पूरित तथाा अर्धपुरित  कक्षक स्थाई होते हैं इसलिए इनके अंतिम कोश से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए बेरिलियम की आयनन ऊर्जा बोरान से अधिक होती है।

प्रश्न - विद्युत ऋणात्मकता क्या है । इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -विद्युत ऋणता - एक सहसंयोजक अणु में किसी परमाणुु के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता उसकी विद्युत ऋणता या  ऋणविद्युता कहलाती  है

आवर्तिता - आवर्त सारणी में बाएं से दाएं जाने पर विद्युत ऋणता का मान अधिक तथा समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर  विद्युत ऋणता का मान कम होता है।

विद्युत ऋणता को प्रभावित करने वाले कारक-
विद्युत ऋणता को कारक प्रभावित करते हैं -
1. परमाणु आकार - परमाणु आकार अधिक होनेेेेेेे पर  विद्युत ऋणता का मान कम हो जाता है।
2. नाभिकीय आवेश - नाभिकीय आवेश का मान बढ़ने पर  विद्युत ऋणता का मान भी बढ़ता है।
3. परिरक्षण प्रभाव - परिरक्षण प्रभाव का मान अधिक होने पर विद्युत ऋणता घटती है क्योंकि परमाणु का आकार बढ़ता है।

प्रश्न - इलेक्ट्रॉन बंधुता किसे कहते हैं इलेक्ट्रॉन बंधुता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - इलेक्ट्रॉन बंधुता - एक  विलगित गैसीय  परमाणु के अंतिम कक्ष में एक इलेक्ट्रॉन प्रवेश करानेेेेेेे पर जो ऊर्जा मुक्त्त होती है उसेेेे उस परमाणु की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी  या  इलेक्ट्रॉन बंधुता कहतेे हैं । इसे इलेक्ट्रॉन वोल्ट प्रति परमाणु या किलो जूल प्रति मोल में मापा जाताा है। इसका मान ऋणत्मक  होताा है। इसे A या ∆egH से व्यक्त करते हैं ।
उदाहरार्थ - क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पीपी - 349 किलो जूल प्रति मोल है अर्थात जब एक मोल क्लोरीन परमाणु , क्लोरीन आयन में बदलता है तो 349 किलो जूल ऊर्जा मुक्त होती है।

इलेक्ट्रॉन बंधुता को प्रभावित करने वाले कारक - 
1. परमाणु आकार - परमाणुुु का आकार बढ़नेे प नाभिक का अंतिम कक्ष में प्रवेश करने वालर इलेक्ट्रॉन केे प्रति आकर्षण कम होता जाएगा इसलिए इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी का  ऋणत्मक मान कम होगा।
2. नाभिकीय आवेश - नाभिकीय आवेश जितना अधिक होगा परमाणुु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति उतनी ही अधिक होगी इस कारण मुक्त होने वाली ऊर्जा अधिक हो अर्थात इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी का  मान अधिक ऋणत्मक होगा।
3. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - वे तत्वव जिनमें  अर्ध पूरित या पूर्ण पूरित उपकोश होते हैं उनमें इलेक्ट्रॉन प्रवेश कराने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अतः ऐसेे तत्वों की इलेक्ट्रॉन बंधुता कम होती है।
4. परिरक्षण प्रभाव - जब परिरक्षण प्रभाव का मान कम होता है तब नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के मध्य आकर्षण बढ़ जाता हैै तथा इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान बढ़ताा है।

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