CLASS 11th CHAPTER 4 PART-9 संयोजकता बंध सिद्धांत एवं उसकी कमियां ll बंध कोण ll अनुनाद ll द्विध्रुव आघूर्ण

प्रश्न - संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) क्या है ? इसके प्रमुख अभिगृहीत लिखिए। एवं संयोजकता बंध सिद्धांत की कमियां लिखिए।

उत्तर - संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) - संयोजकता बंध सिद्धांत को सर्वप्रथम सन 1927 में हिटलर एवं लंदन ने प्रस्तुत किया । जिसे सन 1933 में पोलिंग एवं स्लेटर ने विस्तृत रूप से विकसित किया इस प्रकार हिटलर - लंदन द्वारा प्रस्तुत एवं पोलिंग - स्लेटर द्वारा विकसित सिद्धांत को सम्मिलित रूप से संयोजकता बंध सिद्धांत कहते हैं ।

इस सिद्धांत के प्रमुख अभिगृहीत निम्न है -

1. परमाणुओं के मध्य सहसंयोजी बंध उनके संयोजकता कोष के अर्ध पूरित परमाण्विक ऑर्बिटलों के अतिव्यापन से बनते हैं ।

2. अतिव्यापन में भाग लेने वाले कक्षकों के इलेक्ट्रॉनों के चक्रण विपरीत होते हैं ।

3. बंध की प्रबलता अतिव्यापन की सीमा पर निर्भर करती है ।

4. अतिव्यापन से ऊर्जा मुक्त होती है ।


संयोजकता बंध सिद्धांत की सीमाएं -
1. अणुओं के  अनुचुंबकीय तथा प्रति चुंबकीय व्यवहार को समझाने में असफल रहा ।

2. उपसहसंयोजक बंध के संबंध में कोई जानकारी नहीं देता है ।

3. सहसंयोजक बंध की ध्रुवता तथा अनुनाद को समझाने में असफल रहा ।

4.इलेक्ट्रॉन न्यून योगिकों और धातुओं में बंधन स्पष्ट करने में असफल रहा ।

5.अणु आयनों  के बनने को नहीं समझा पाया ।

प्रश्न - अनुनाद ( Resonance) किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर - अनुनाद - जब किसी योगिक के सभी गुणों की उसके दिए गए किसी एक संरचना सूत्र द्वारा व्याख्या नहीं की जा सकती तब इस स्थिति में उसके 1 से अधिक संरचना सूत्र लिखे जाते हैं, जिससे उसके अधिकांश ज्ञात गुणों की व्याख्या हो सकती है ,यह सभी संरचना सूत्र अनुनादी संरचनाएं या विहित संरचनाएं या कैनॉनिकल संरचनाएं कहलाती हैं तथा यह घटना अनुनाद कहलाती है ।
जैसे CO2 , C6H6,N2O,HNO3,SO3,SO2 आदि में अनुनाद पाया जाता है ।

प्रश्न - द्विध्रुव आघूर्ण किसे कहते हैं ।इसका मात्रक लिखिए ।
उत्तर - द्विध्रुव आघूर्ण - किसी बंध का द्विध्रुव आघूर्ण परमाणुओं पर आवेश की मात्रा तथा उनके बीच की दूरी के गुणनफल के बराबर होता है । द्विध्रुव आघूर्ण दैशिक होता है । इसकी दिशा एक तीर (+-->) के द्वारा प्रदर्शित की जाती है । तीर की पूंछ धन आवेश की ओर तथा ऋण आवेश की ओर की रहता है ।         

                       u = e × d

जहां u = द्विध्रुव आघूर्ण
       e = आवेश की मात्रा
       d = परमाणुओं के बीच की दूरी।
 द्विध्रुव आघूर्ण का मात्रक डिबाई होता है जिसे D से प्रदर्शित करते हैं । यह एक सदिश राशि है ।

प्रश्न - बंध कोण से आप क्या समझते हो ?
उत्तर - बंध कोण - दो परमाणुओं के द्वारा तीसरे परमाणु से प्रथक- प्रथक बने बंधों के मध्य का कोण बंधकोण कहलाता है ।
उदाहरण - जल के अणु का बंध कोण 104.5° होता है ।

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