Class 11th Chapter 5 PART 10 ll पृष्ठ तनाव ll श्यानता
Class 11th Chapter 5 PART 10
Chemistry by HK Sir
प्रश्न - पृष्ठ तनाव किसे कहते हैं इसी प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - पृष्ठ तनाव - द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ सदैव तनाव में रहता है और उसमें कम से कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। इसे पृष्ठ तनाव कहते हैं । यह द्रव का एक महत्वपूर्ण गुण है।
इसकी इकाई न्यूटन प्रति मीटर या जूल प्रति वर्ग मीटर होती है।
उदाहरण -
1. द्रव की बूंद का गोलाकार होना।
2. केस नली में द्रव का चढ़ना ।
पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक -
पृष्ठ तनाव को निम्न कारक प्रभावित करते हैं -
1. ताप - ताप में वृद्धि होने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है क्योंकि ताप बढ़ाने से और वो की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है ।
2.द्रव की प्रकृति - द्रव का पृष्ठ तनाव अणुओं के मध्य उपस्थित अंतरा आणविक बलों से संबंधित है । अतः जिन द्रवो में अंतर आणविक बल प्रबल होता है । उसका पृष्ठ तनाव अधिक होता है ।
प्रश्न - द्रव की बूंद गोलाकार होती है, क्यों ?
उत्तर - पृष्ठ तनाव के कारण द्रव की बूंद गोलाकार होती हैं । क्योंकि किसी द्रव के पृष्ठ के अणु अपेक्षाकृत उच्च गतिज ऊर्जा वाले होते हैं । अतः द्रव की प्रकृति वह आकार ग्रहण करने की होती है, जिससे पृष्ठ पर अणुओं की संख्या कम हो जाए । गोले के पृष्ठ का क्षेत्रफल न्यूनतम होता है । जिसके कारण उसका पृष्ठ तनाव कम होता है । इसलिए द्रव की बूंद गोलाकार होती हैं ।
प्रश्न - श्यानता किसे कहते हैं ? श्यानता को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखिए ।
उत्तर - श्यानता - किसी द्रव की परस्पर संपर्क वाली परतों की, आपेक्षिक गति में प्रतिरोध को श्यानता कहते हैं । सामान्य रूप में द्रव के बहने की क्षमता को श्यानता या विस्कोसिटी कहते हैं । इसे ईटा से प्रदर्शित करते हैं ,जो श्यानता गुणांक कहलाता है । इसका एस आई मात्रक किलोग्राम प्रति मीटर प्रति सेकंड(Kg/ms) होता है ।
श्यानता को प्रभावित करने वाले कारक -
1.अंतर अणुक आकर्षण बल - अंतर अणुक आकर्षण बल द्रव में अणुओं के प्रवाह में अवरोध करते हैं । इसलिए अंतर अणुक आकर्षण बल पर श्यानता निर्भर करती है । जितना अधिक अंतर अणुक आकर्षण बल होगा, द्रव की श्यानता भी उतनी अधिक होगी ।
2.अणु भार - अणु भार बढ़ने पर श्यानता भी बढ़ती है ।
3. दाब - दाब बढ़ने पर आयतन में कमी आती है । जिसके फलस्वरूप अंतर अणुक आकर्षण बल में वृद्धि होती है । इसलिए दाब में वृद्धि करने से श्यानता में वृद्धि होती है ।
4.ताप - ताप में वृद्धि करने से द्रव के प्रवाह को अवरोध करने वाला ससंजक बल कम हो जाता है । जिससे आण्विक गति में वृद्धि होती है । अतः श्यानता में कमी आती है।
Chemistry by H.K Sir
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