Class 12th Chapter 6 ll बॉक्साइट अयस्क से Al धातु का निष्कर्षण
प्रश्न - बॉक्साइट अयस्क से एल्युमीनियम धातु का निष्कर्षण कैसे किया जाता है, समझाइए ।
उत्तर - एल्युमीनियम का प्रमुख अयस्क बॉक्साइट है । इससे एल्युमीनियम धातु का निष्कर्षण निम्न पदों में किया जाता है -
A. बॉक्साइट का शोधन
B. एलुमिना का विद्युत अपघटन
C.एल्युमीनियम का शोधन
A.बॉक्साइट का शोधन - बॉक्साइट में मुख्यतः आयरन, टाइटेनियम एवं सिलिकॉन के ऑक्साइड ,अशुद्धियों के रूप में रहते हैं एल्युमीनियम के निष्कर्षण का पहला चरण इन अशुद्धियों को निम्न विधियों में से किसी एक विधि द्वारा हटाया जाना जरूरी है -
1. बायर विधि(Buyer's process) - इस विधि का उपयोग कब किया जाता है जब बॉक्साइट में हेमेटाइट(Fe2O3)की प्रतिशत मात्रा अधिक होती है ।
2.सरपेक विधि(Serpek's process) - इस विधि का उपयोग तब किया जाता है । जब अयस्क में सिलिका(SiO2) की अशुद्धि अधिक होती है ।
इस विधि का एक लाभ यह है कि इसमें सह उत्पाद के रूप में महत्वपूर्ण *अमोनिया* गैस भी प्राप्त होती है ।
3.हॉल विधि(Hall's process) - इस विधि का उपयोग किया जाता है जब उसमें हेमेटाइट एवं सिलिका दोनों की अशुद्धि मिली रहती है ।
B.एलुमिना का विद्युत अपघटन - शुद्ध एलुमिना का विद्युत अपघटन हॉल व हैरोल्ट विधि द्वारा किया जाता है ।जिससे शुद्ध एल्युमीनियम धातु प्राप्त होती है ।
एलुमिना का सीधे विद्युत अपघटन करने में दो कठिनाइयां आती हैं -
1. एलुमिना का गलनांक(2050°C), एलुमिनियम के क्वथनांक (1800°C) से अधिक होने के कारण गलित एलुमिना का विद्युत अपघटन करेंगे तो एलुमिनियम वाष्प अवस्था में प्राप्त होगा ।
2. शुद्ध एलुमिना विद्युत का कुचालक होता है अतः केवल उसे गलाकर अपघटन नहीं किया जा सकता है ।
उपरोक्त दोनों कठिनाइयों को दूर करने के लिए एलुमिना में 60 भाग क्रायोलाइट तथा 20 भाग फ्लोरस्पार मिला दिया जाता है।
*क्रायोलाइट* फ्लक्स (गालक) का कार्य करता है अर्थात यह न केवल एलुमिना के गलनांक को कम करता है बल्कि उसे सुचालक भी बना देता है।
*फ्लोरस्पार* से चालकता और अधिक बढ़ जाती है और यह मिश्रण 870°C पर पिघल जाता है । विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पात्र में एनोड पर ऑक्सीजन तथा केथोड़ पर एल्युमीनियम धातु मुक्त होती है ।
एल्युमिनियम विद्युत अपघट्य से भारी होने के कारण सेल टैंक के तली में एकत्र होता है जिसे नल द्वारा समय-समय पर अलग कर लिया जाता है । इस प्रकार प्राप्त एलमुनियम की शुद्धता 99.5% होती है ।
जब एलुमिना समाप्त हो जाता है तब विद्युत अपघट्य का अवरोध बढ़ जाता है जिससे समांतर क्रम में लगा हुआ बल्ब जलने लगता है इस समय सेल में और अधिक चार्ज( एलुमिना ,क्रायोलाइट फ्लोरस्पार ) डाल दिया जाता है । यह विधि निरंतर चलने वाली है ।
C.एलुमिनियम का शोधन - एलुमिनियम धातु का शोधन हूप विधि द्वारा किया जाता है क्योंकि में प्राप्त एलमुनियम में आरंभ में सिलिकॉन की अशुद्धियां होती हैं।
इस विधि में लोहे का एक पात्र होता है जिसमें कार्बन का स्तर लगा होता है इस पात्र में द्रव्य पदार्थों की तीन परतें होती हैं -
a. सबसे नीचे पिघला हुआ अशुद्ध Al होता है जो एनोड का कार्य करता है । इस अशुद्ध एल्यूमीनियम में कॉपर व सिलिकॉन की अशुद्धि होती है । जिससे उसका घनत्व अधिक होता है।
b. बीच में बेरियम, सोडियम एवं एल्यूमीनियम के फ्लोराइडों का द्रवित मिश्रण विद्युत अपघट्य के रूप में होता है ।
c. सबसे ऊपर पहले हुए एल्यूमीनियम की परत होती है जो कैथोड का कार्य करती है।
विद्युत धारा प्रवाहित करने पर बीच वाली परत से शुद्ध एल्यूमीनियम निकलकर ऊपर की कैथोड परत में आ जाता है ,और उतनी ही मात्रा में एल्यूमीनियम निचली परत से बीच वाली परत में आ जाता है इस प्रकार सबसे ऊपरी परत में लगभग 99.98% शुद्धता का एल्यूमीनियम रहता है । जिसको समय-समय पर निकाल लिया जाता है और अशुद्धियां नीचे एनोड परत में ही रह जाती हैं ।
CHEMISTRY By H.K SIR
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