Class 12th Chapter 7 PART - 15 क्लोरीन उत्पादन की विधियां - नेल्सन सेल ll डीकन विधि ll क्लोरीन के भौतिक गुण एवं उपयोग
कक्षा 12th ll अध्याय - 7 ll PART - 15 क्लोरीन उत्पादन की विधियां - नेल्सन सेल ll डीकन विधि ll क्लोरीन के भौतिक गुण एवं उपयोग - Chemistry by H.K Sir
अथवा
क्लोरीन निर्माण की विधि का निम्न बिंदुओं के आधार पर वर्णन कीजिए -
1. नेल्सन सेल का नामांकित चित्र
2. सिद्धांत
3. डीकन विधि
उत्तर - क्लोरीन के उत्पादन की प्रमुख विधियों के नाम निम्न है -
1. डीकन विधि
2. विद्युत अपघटनी विधि
1. डीकन विधि - क्लोरीन का उत्पादन पहले डीकन विधि द्वारा किया जाता था ,जिसमें HCl गैस को क्यूप्रस क्लोराइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ 450°C ताप पर गर्म किया जाता था।
4HCl + O2 ------> H2O + Cl2
2. विद्युत अपघटनी विधि - क्लोरीन का उत्पादन सोडियम , सोडियम कार्बोनेट तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड के उत्पादन में सह - उत्पाद के रूप में होता है । गलित NaCl या NaCl के सांद्र जलीय विलयन का विद्युत अपघटन करने पर क्लोरीन उपजात के रूप में प्राप्त होती है । इसमें प्रयुक्त विद्युत अपघटनी सेल- नेल्सन सेल का वर्णन निम्न है -
नेल्सन सेल - यह सेल इस्पात की टंकी में बेलनाकार एस्बेस्टस की तह लगी इस्पात की छिद्रयुक्त युक्त नली लगाकर चित्र में दिखाएं अनुसार बनाया जाता है।
इस्पात कि यह छिद्रयुक्त नली कैथोड का कार्य करती है । इस नली में NaCl विलयन भरकर इस्पात की टंकी में लटका देते हैं । इस विलयन में कार्बन की छड़ लगाकर उसे एनोड बनाया जाता है और विद्युत प्रवाहित करने पर NaCl का विद्युत अपघटन हो जाता है । क्लोरीन एनोड पर मुक्त होकर बाहर निकल जाती है और सोडियम आयन एस्बेस्टस की तह को पार कर कैथोड पर मुक्त होने के बाद टंकी में आने वाली भाप से क्रिया करके NaOH का विलयन बनाता है , जो अलग निकाल दिया जाता है ।
NaCl के प्रयुक्त होने वाले उपयुक्त सभी विद्युत अपघटनी सेलों में अभिक्रिया निम्नानुसार होती है -
Nacl ------> Na+ + Cl-
Na+ + e- ------> Na
कैथोड पर - 2Na + H2O ------> 2NaOH + H2
एनोड पर - Cl- ----------> Cl + e-
प्रश्न - क्लोरीन के भौतिक गुण एवं उपयोग लिखिए।
उत्तर - क्लोरीन के भौतिक गुण -
1. हरे पीले रंग की गैस है, जिसमें विशेष तीक्ष्ण गंध आती है।
2. यह वायु से भारी होती है तथा विषैली गैस है।
3. साधारण ताप पर यह जल में विलेय है पर गर्म जल में नहीं घुलती है ।
4. ऐसे - 34.5°C पर द्रव में बदल सकते हैं। और -102°C पर हल्के पीले ठोस में बदल सकते हैं।
क्लोरीन के उपयोग -
1. कागज की लुगदी सूती कपड़े जैसे पदार्थ के विरंजन में।
2. प्रबल रोगाणुनाशी के रूप में ।
3. सोने के निष्कर्षण में ।
4. रंग , विस्फोटक तथा अनेक कार्बनिक पदार्थों के बनाने में ।
5. ऑक्सीकारक के रूप में ।
6. एंटीमलेरियल के बनाने में ।
7. क्लोरीन जल के रूप में प्रयोगशाला में गुणात्मक विश्लेषण में ।
8.ब्रोमीन , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल , विरंजक चूर्ण आदि बनाने में ।
9. B.H.C. , D.D.T. और क्लोरामीन के बनाने में।
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