अध्याय 4 रासायनिक बलगतिकी संपूर्ण pdf
प्रश्न - अभिक्रिया की दर किसे कहते हैं इसकी इकाई लिखिए ।
उत्तर - अभिक्रिया की दर - इकाई समय अंतराल में अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण में होने वाले परिवर्तन को अभिक्रिया की दर कहते हैं । इसकी इकाई मोल / लीटर सेकंड होती है ।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर इकाई समय अंतराल में अभिकारकों या उत्पाद के सांद्रण में होने वाले परिवर्तन के बराबर होती है ।
यदि सांद्रण में परिवर्तन dx व समय अंतराल dt हो तब -
अभिक्रिया की दर = dx/dt
अभिक्रिया की दर को निम्न प्रकार से प्रदर्शित करते हैं -
1. अभिकारक के सांद्रण में होने वाली कमी के आधार पर -
अभिक्रिया की दर = - dx/dt
2. उत्पाद के सांद्रण में होने वाली कमी के आधार पर -
अभिक्रिया की दर = + dx/dt
प्रश्न - अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
1. अभिकारक का सांद्रण
2. ताप (Temperature)
3. दाब (Pressure)
4. उत्प्रेरक की उपस्थिति
5. अभिकारक के पृष्ठों का क्षेत्रफल
6. विकिरण का प्रभाव
1. अभिकारक का सांद्रण - अभिकारकों का सांद्रण बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है और यह वृद्धि अभिकारकों के सांद्रण के समानुपाती होती है ।
2. ताप (Temperature) - सामान्यतः ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है और प्रति 10℃ ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर लगभग दुगनी हो जाती है । क्योंकि ताप बढ़ाने पर अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है जिससे अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है
3. दाब (Pressure) - जब अभिकारक गैसीय अवस्था में होते हैं तब दाब में वृद्धि करने पर गैस का आयतन कम हो जाता है , जिससे प्रति इकाई आयतन में अणुओं की संख्या बढ़ जाती है । फलस्वरुप प्रति इकाई आयतन में प्रभावकारी टक्करों की संख्या में वृद्धि हो जाती है , जिससे अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है ।
4. उत्प्रेरक की उपस्थिति - सामान्यतः उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ा या घटा देते हैं , किंतु स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं ।
5. अभिकारक के पृष्ठों का क्षेत्रफल - यदि अभिकारक ठोस हो तो अभिकारक के पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है । अतः अभिकारक जितने बारीक चूर्ण के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं , अभिक्रिया की दर उतनी अधिक होती है ।
6. विकिरण का प्रभाव - कुछ अभिक्रियाएं प्रकाश की उपस्थिति में तेजी से संपन्न होती हैं क्योंकि इन अभिक्रियाओं में फोटोन अपनी समस्त ऊर्जा अणुओं को उत्तेजित करने के लिए दे देता है जिससे अणु शीघ्रता से क्रियाशील होकर उत्पाद बना लेता है ।
प्रश्न - निम्न पर टिप्पणी लिखिए -
1. तात्कालिक दर 2. औसत दर 3. वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक
उत्तर - 1. तात्कालिक दर - किसी विशेष क्षण पर निकाली गई अभिक्रिया की दर को तात्कालिक दर या तात्क्षणिक दर कहते हैं ।
जब कोई रासायनिक अभिक्रिया संपन्न होती है तब प्रारंभ में अभिक्रिया की दर अधिक होती है और बाद में कम हो जाती है । जिससे एक ही अभिक्रिया की दर भी भिन्न-भिन्न होती है इसलिए अभिक्रिया की दर को अधिक सही रूप में व्यक्त करने के लिए तात्कालिक दर का उपयोग किया जाता है । इसके लिए इतना सूक्ष्म समय अंतराल लेते हैं कि अभिक्रिया की दर एक - सी बनी रहती है ।
तात्कालिक दर = [ ∆x/∆t ]
2. औसत दर - किसी रासायनिक अभिक्रिया में भिन्न भिन्न समय अंतराल पर निकाली गई अभिक्रिया की दर को औसत दर कहते हैं ।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक या उत्पाद के अंतिम सांद्रण व अभिकारक या उत्पाद के प्रारंभिक सांद्रण के अंतर तथा समय अंतराल के अनुपात को औसत दर कहते हैं ।
अर्थात
औसत दर = अभिकारक (f) - अभिकारक (i) / समयांतराल
औसत दर = उत्पाद (f) - उत्पाद (i) / समयांतराल
3. वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक - इकाई सांद्रण के साथ संपन्न होने वाली अभिक्रिया की दर को वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक या विशिष्ट दर स्थिरांक कहते हैं । और इसे K से प्रदर्शित करते हैं ।
व्यंजक - माना एक रासायनिक अभिक्रिया निम्न प्रकार से संपन्न हो रही है -
A + B ------> उत्पाद
गुल्डबर्ग व बागे के द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम से -
अभिक्रिया की दर [ A ] . [ B ]
-dx / dt = K [ A ] . [ B ]
यहाँ K = वेग स्थिरांक
यदि [ A ] व [ B ] = 1 हो तो -
- dx/dt = K
या
[ K = - dx / dt ]
अतः स्पष्ट है कि अभिकारकों के इकाई सान्द्रण के साथ संपन्न होने वाली अभिक्रिया की दर वेग स्थिरांक के बराबर होती है ।
प्रश्न - अभिक्रिया की दर एवं दर स्थिरांक में अंतर लिखिए ।उत्तर -
अभिक्रिया की दर
1. इकाई समय अंतराल में अभिकारक या उत्पाद के सांद्रण में होने वाले परिवर्तन को अभिक्रिया की दर कहते हैं
2. यह अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर करता है ।
3. इसकी इकाई मोल प्रति लीटर प्रति सेकंड होती है ।
4. इसे dx/dt संकेत द्वारा प्रदर्शित करते हैं ।
5. यह ताप बढ़ाने पर बढ़ती है ।
दर स्थिरांक
1. अभिकारकों के इकाई सांद्रण के साथ संपन्न होने वाली अभिक्रिया की दर को दर स्थिरांक कहते हैं ।
2. यह अभिकारक कि प्रारंभ में सांद्रता पर निर्भर नहीं करता है ।
3. विभिन्न अभिक्रियाओं के लिए इसकी इकाई भिन्न-भिन्न होती है । होती है ।
4. इसे K संकेत द्वारा प्रदर्शित करते हैं ।
5. यह ताप बढ़ाने के साथ साथ समान रूप से बढ़ती है ।
अथवा
प्रश्न - निम्न अभिक्रिया के लिए दर समीकरण लिखिए -
1. H2 + Cl2 ------> 2HCl
2. PCl5 ---------> PCl3 + Cl2
उत्तर - 1. -dx/dt = K [ H2 ] [ Cl2 ]
2. -dx/dt = K [ PCl5 ]
प्रश्न - आण्विकता या अणुसंख्यता से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर - आण्विकता या अणुसंख्यता - किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग निर्धारक पद में भाग लेने वाले परमाणु , अणु या आयनो की संख्या को आण्विकता या अणुसंख्यता कहते हैं । इसका मान हमेशा पूर्णांक में होता है और यह एक सैद्धांतिक पद है ।
जब अभिक्रिया के वेग निर्धारक पद में क्रमशः 1 , 2 व 3 अणु भाग लेते हैं तब अभिक्रिया की आण्विकता क्रमशः एक , दो व तीन होती है और ऐसी अभिक्रिया को एक आणविक , द्वि-आण्विक एवं त्रि-आण्विक अभिक्रिया कहते हैं ।
उदाहरण 1. PCl5 -----> PCl3 + Cl2 (एक आण्विक)
उदाहरण 2. H2 + Cl2 ------> 2HCl (द्वि आण्विक)
उदाहरण 3. 2SO2 + O2 -----> 2SO3 (त्रि आण्विक)
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि से आप क्या समझते हो ?
उत्तर - अभिक्रिया की कोटि - किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले परमाणुओं , अणुओं या आयनों की संख्या जिनके सांद्रण में परिवर्तन अभिक्रिया के दौरान होता है अभिक्रिया की कोटि कहलाती है ।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया की कोटि उन समस्त घातांको का योग है जो दर नियम समीकरण में सांद्रण के पदों पर लगाए जाते हैं । यह एक प्रायोगिक पद है । इसका मान शून्य , पूर्णांक , अपूर्णांक होता है । इससे अभिक्रिया की क्रियाविधि स्पष्ट होती है ।
व्यंजक - माना एक रासायनिक अभिक्रिया निम्न प्रकार से संपन्न हो रही है -
pA + qB + rC -------> उत्पाद
उपरोक्त अभिक्रिया में अभिकारकों के सांद्रण में परिवर्तन p , q एवं r है । तब -
दर नियम समीकरण -
- dx/dt = K[ A ] [ B ] [ C ]
अभिक्रिया की कोटि = घातांकों का योग
n = p + q + r
जब अभिक्रिया के लिए n का मान 0 , 1 , 2 व 3 होता है । तब ऐसी अभिक्रिया के लिए कोटि क्रमशः शून्य कोटि , प्रथम कोटि , द्वितीय कोटि एवं तृतीय कोटि होती है ।
प्रश्न - एक रासायनिक अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का व्यंजक निम्न है -
- dx/dt = K[ A ]2/3 [ B ]1/2
तब अभिक्रिया के लिए उसकी कोटी ज्ञात करो ।
उत्तर - - dx/dt = K[ A ]2/3 [ B ]1/3
अभिक्रिया की कोटि = घातांकों का योग
n = 2/3 + 1/3
n = 3/3
n = 1
चूंकि n का मान 1 है अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की है ।
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि एवं अणुसंख्यता में अंतर लिखिए ।
प्रश्न - निम्न अभी क्रियाओं के लिए दर नियम समीकरण एवं अभिक्रिया की कोटि बताइए ।
उत्तर -
1. C12H22O11 + H2O --> C6H12O6 + C6H12O6
* दर नियम समीकरण -
- dx/dt = K[ C12H22O11] [ H2O]
अभिक्रिया की कोटि = घातांकों का योग
n = 1 + 0
n = 1
चूंकि n का मान 1 है अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की है ।
2. CH3COOC2H5 + H2O ---> CH3COOH + C2H5OH
3. PCl5 ------> PCl3 + Cl2
4. 2SO2 + O2 ---> 2SO3
5. 2NO + O2 ---> 2NO2
प्रश्न - शून्य कोटि , प्रथम कोटि , द्वितीय कोटि एवं तृतीय कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हो ? इनकी इकाईयां लिखिए ।
उत्तर - A. शून्य कोटि (Zero order reaction) - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में अभिकारक अणुओं के सांद्रण में परिवर्तन नहीं होता है , शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई मोल प्रति लीटर प्रति सेकण्ड होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग अभिकारक अणुओं के सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है , शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
जैसे -
1. 2HI ---------> H2 + I2
- dx/dt = K [ HI ]
n = 0
2. H2 + Cl2 --------> 2HCl
3. 2NH3 ------> N2 + 3H2
4. CH3-CO-CH3 + I2 -> CH3COCH2-I + HI
5. 2N2O ---------> 2N2 +O2
B. प्रथम कोटि की अभिक्रिया - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में एक अभिकारक अणु के सांद्रण में परिवर्तन होता है , प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई प्रति सेकण्ड होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग एक अभिकारक अणु के सांद्रण पर निर्भर करता है , प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
1. C12H22O11 + H2O --> C6H12O6 + C6H12O6
2. CH3COOC2H5 + H2O ---> CH3COOH + C2H5OH
3. PCl5 ------> PCl3 + Cl2
4. N2O5 ------> N2O4 + O2
5. NH4NO3 ----> NH3 + HNO3
नोट - सभी नाभिकीय अभिक्रियाएं प्रथम कोटि की अभिक्रिया में होती हैं ।
C. द्वितीय कोटि (Second Order Reaction) - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में दो अभिकारक अणु के सांद्रण में परिवर्तन होता है , द्वितीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई लीटर प्रति मोल प्रति सेकण्ड होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग दो अभिकारक अणुओं के सांद्रण पर निर्भर करता है , द्वितीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
जैसे - 1. CH3COOH + NaOH ---> CH3COONa + H2O
2. 2NO ----> N2 + O2
3. 2O3 ---> 3O2
D. तृतीय कोटि की अभिक्रिया (Third Order Reaction) - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में तीन अभिकारक अणुओं के सांद्रण में परिवर्तन होता है , तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई मोल-2 लीटर2 सेकण्ड-1 होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग तीन अभिकारक अणुओं के सांद्रण पर निर्भर करता है , तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
जैसे -
1. 2SO2 + O2 ---> 2SO3
2. 2NO + O2 ----> 2NO2
3. 2FeCl3 + SnCl2 ----> 2FeCl2 + SnCl4
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण की विधियों के नाम लिखिए ।
उत्तर - किसी रासायनिक अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण के लिए निम्न विधियों का उपयोग करते हैं -
1. ग्राफीय विधि
2. प्रारंभिक दर या आरंभिक दर विधि
3. समाकलित दर समीकरण विधि
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण की ग्राफीय विधि का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - ग्राफीय विधि - इस विधि का उपयोग ऐसी अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण में होता है जिसमें एक अभिकारक अणु भाग लेता है ।
इस विधि में समय-समय पर अभिकारक की सांद्रता ज्ञात कर लेते हैं । इसके पश्चात अभिक्रिया की दर व सांद्रता के बीच ग्राफ खींचते हैं । यदि -
1. अभिक्रिया की दर (dx/dt) व सांद्रता (a-x ) के बीच ग्राफ खींचने पर सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है , तब अभिक्रिया प्रथम कोटि की होगी ।
2. अभिक्रिया की दर (dx/dt) व सांद्रता (a-x )2 के बीच ग्राफ खींचने पर सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है , तब अभिक्रिया द्वितीय कोटि की होगी ।
3. अभिक्रिया की दर (dx/dt) व सांद्रता (a-x )3 के बीच ग्राफ खींचने पर सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है , तब अभिक्रिया तृतीय कोटि की होगी ।
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण के समाकलित दर समीकरण विधि को समझाइए ।
उत्तर - समाकलित दर समीकरण विधि - इस विधि में अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता a लेकर अभिक्रिया प्रारंभ करते हैं , फिर भी t समय पश्चात सांद्रण में परिवर्तन a-x ज्ञात कर लेते हैं । फिर इन मानों को प्रथम , द्वितीय , तृतीय कोटि के समाकलित दर समीकरण में रखकर K की गणना करते हैं , जिस कोटि के समाकलित दर समीकरण के लिए K का मान स्थिर आता है । अभिक्रिया उसी कोटि की होती है ।
जैसे - प्रारंभिक सांद्रण (a) , समयांतराल (t) , सांद्रण में परिवर्तन (a-x) के मान को प्रथम कोटि के समाकलित दर समीकरण में रखकर K के मान की गणना करने पर प्रथम कोटि के समाकलित दर समीकरण के लिए K का मान स्थिर आता है । अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की होगी ।
1. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण निम्न है -
K = 2.303/t log a/(a-x)
2. द्वितीय कोटि कि अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण -
K = 1/t [ x/a(a-x) ]
3. तृतीय कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण -
K = 1/2t [ 2(2a-x) /a2(a-x)2 ]
नोट -
log 1 = 0 log 2 = 0.3010
log 3 = 0.4771 log 4 = 0.6020
log 5 = 0.6989 log 6 = 0.7781
log 7 = 0.8450 log 8 = 0.9031
log 9 = 0.9542 log 10 = 1
प्रश्न - प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण की व्युत्पत्ति कीजिए ।
उत्तर - अभिक्रिया की दर - इकाई समय अंतराल में अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण में होने वाले परिवर्तन को अभिक्रिया की दर कहते हैं । इसकी इकाई मोल / लीटर सेकंड होती है ।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर इकाई समय अंतराल में अभिकारकों या उत्पाद के सांद्रण में होने वाले परिवर्तन के बराबर होती है ।
यदि सांद्रण में परिवर्तन dx व समय अंतराल dt हो तब -
अभिक्रिया की दर = dx/dt
अभिक्रिया की दर को निम्न प्रकार से प्रदर्शित करते हैं -
1. अभिकारक के सांद्रण में होने वाली कमी के आधार पर -
अभिक्रिया की दर = - dx/dt
2. उत्पाद के सांद्रण में होने वाली कमी के आधार पर -
अभिक्रिया की दर = + dx/dt
प्रश्न - अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
1. अभिकारक का सांद्रण
2. ताप (Temperature)
3. दाब (Pressure)
4. उत्प्रेरक की उपस्थिति
5. अभिकारक के पृष्ठों का क्षेत्रफल
6. विकिरण का प्रभाव
1. अभिकारक का सांद्रण - अभिकारकों का सांद्रण बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है और यह वृद्धि अभिकारकों के सांद्रण के समानुपाती होती है ।
2. ताप (Temperature) - सामान्यतः ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है और प्रति 10℃ ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर लगभग दुगनी हो जाती है । क्योंकि ताप बढ़ाने पर अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है जिससे अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है
3. दाब (Pressure) - जब अभिकारक गैसीय अवस्था में होते हैं तब दाब में वृद्धि करने पर गैस का आयतन कम हो जाता है , जिससे प्रति इकाई आयतन में अणुओं की संख्या बढ़ जाती है । फलस्वरुप प्रति इकाई आयतन में प्रभावकारी टक्करों की संख्या में वृद्धि हो जाती है , जिससे अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है ।
4. उत्प्रेरक की उपस्थिति - सामान्यतः उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ा या घटा देते हैं , किंतु स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं ।
5. अभिकारक के पृष्ठों का क्षेत्रफल - यदि अभिकारक ठोस हो तो अभिकारक के पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है । अतः अभिकारक जितने बारीक चूर्ण के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं , अभिक्रिया की दर उतनी अधिक होती है ।
6. विकिरण का प्रभाव - कुछ अभिक्रियाएं प्रकाश की उपस्थिति में तेजी से संपन्न होती हैं क्योंकि इन अभिक्रियाओं में फोटोन अपनी समस्त ऊर्जा अणुओं को उत्तेजित करने के लिए दे देता है जिससे अणु शीघ्रता से क्रियाशील होकर उत्पाद बना लेता है ।
प्रश्न - निम्न पर टिप्पणी लिखिए -
1. तात्कालिक दर 2. औसत दर 3. वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक
उत्तर - 1. तात्कालिक दर - किसी विशेष क्षण पर निकाली गई अभिक्रिया की दर को तात्कालिक दर या तात्क्षणिक दर कहते हैं ।
जब कोई रासायनिक अभिक्रिया संपन्न होती है तब प्रारंभ में अभिक्रिया की दर अधिक होती है और बाद में कम हो जाती है । जिससे एक ही अभिक्रिया की दर भी भिन्न-भिन्न होती है इसलिए अभिक्रिया की दर को अधिक सही रूप में व्यक्त करने के लिए तात्कालिक दर का उपयोग किया जाता है । इसके लिए इतना सूक्ष्म समय अंतराल लेते हैं कि अभिक्रिया की दर एक - सी बनी रहती है ।
तात्कालिक दर = [ ∆x/∆t ]
2. औसत दर - किसी रासायनिक अभिक्रिया में भिन्न भिन्न समय अंतराल पर निकाली गई अभिक्रिया की दर को औसत दर कहते हैं ।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक या उत्पाद के अंतिम सांद्रण व अभिकारक या उत्पाद के प्रारंभिक सांद्रण के अंतर तथा समय अंतराल के अनुपात को औसत दर कहते हैं ।
अर्थात
औसत दर = अभिकारक (f) - अभिकारक (i) / समयांतराल
औसत दर = उत्पाद (f) - उत्पाद (i) / समयांतराल
3. वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक - इकाई सांद्रण के साथ संपन्न होने वाली अभिक्रिया की दर को वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक या विशिष्ट दर स्थिरांक कहते हैं । और इसे K से प्रदर्शित करते हैं ।
व्यंजक - माना एक रासायनिक अभिक्रिया निम्न प्रकार से संपन्न हो रही है -
A + B ------> उत्पाद
गुल्डबर्ग व बागे के द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम से -
अभिक्रिया की दर [ A ] . [ B ]
-dx / dt = K [ A ] . [ B ]
यहाँ K = वेग स्थिरांक
यदि [ A ] व [ B ] = 1 हो तो -
- dx/dt = K
या
[ K = - dx / dt ]
अतः स्पष्ट है कि अभिकारकों के इकाई सान्द्रण के साथ संपन्न होने वाली अभिक्रिया की दर वेग स्थिरांक के बराबर होती है ।
प्रश्न - अभिक्रिया की दर एवं दर स्थिरांक में अंतर लिखिए ।उत्तर -
अभिक्रिया की दर
1. इकाई समय अंतराल में अभिकारक या उत्पाद के सांद्रण में होने वाले परिवर्तन को अभिक्रिया की दर कहते हैं
2. यह अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर करता है ।
3. इसकी इकाई मोल प्रति लीटर प्रति सेकंड होती है ।
4. इसे dx/dt संकेत द्वारा प्रदर्शित करते हैं ।
5. यह ताप बढ़ाने पर बढ़ती है ।
दर स्थिरांक
1. अभिकारकों के इकाई सांद्रण के साथ संपन्न होने वाली अभिक्रिया की दर को दर स्थिरांक कहते हैं ।
2. यह अभिकारक कि प्रारंभ में सांद्रता पर निर्भर नहीं करता है ।
3. विभिन्न अभिक्रियाओं के लिए इसकी इकाई भिन्न-भिन्न होती है । होती है ।
4. इसे K संकेत द्वारा प्रदर्शित करते हैं ।
5. यह ताप बढ़ाने के साथ साथ समान रूप से बढ़ती है ।
अथवा
प्रश्न - निम्न अभिक्रिया के लिए दर समीकरण लिखिए -
1. H2 + Cl2 ------> 2HCl
2. PCl5 ---------> PCl3 + Cl2
उत्तर - 1. -dx/dt = K [ H2 ] [ Cl2 ]
2. -dx/dt = K [ PCl5 ]
प्रश्न - आण्विकता या अणुसंख्यता से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर - आण्विकता या अणुसंख्यता - किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग निर्धारक पद में भाग लेने वाले परमाणु , अणु या आयनो की संख्या को आण्विकता या अणुसंख्यता कहते हैं । इसका मान हमेशा पूर्णांक में होता है और यह एक सैद्धांतिक पद है ।
जब अभिक्रिया के वेग निर्धारक पद में क्रमशः 1 , 2 व 3 अणु भाग लेते हैं तब अभिक्रिया की आण्विकता क्रमशः एक , दो व तीन होती है और ऐसी अभिक्रिया को एक आणविक , द्वि-आण्विक एवं त्रि-आण्विक अभिक्रिया कहते हैं ।
उदाहरण 1. PCl5 -----> PCl3 + Cl2 (एक आण्विक)
उदाहरण 2. H2 + Cl2 ------> 2HCl (द्वि आण्विक)
उदाहरण 3. 2SO2 + O2 -----> 2SO3 (त्रि आण्विक)
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि से आप क्या समझते हो ?
उत्तर - अभिक्रिया की कोटि - किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले परमाणुओं , अणुओं या आयनों की संख्या जिनके सांद्रण में परिवर्तन अभिक्रिया के दौरान होता है अभिक्रिया की कोटि कहलाती है ।
अथवा
किसी रासायनिक अभिक्रिया की कोटि उन समस्त घातांको का योग है जो दर नियम समीकरण में सांद्रण के पदों पर लगाए जाते हैं । यह एक प्रायोगिक पद है । इसका मान शून्य , पूर्णांक , अपूर्णांक होता है । इससे अभिक्रिया की क्रियाविधि स्पष्ट होती है ।
व्यंजक - माना एक रासायनिक अभिक्रिया निम्न प्रकार से संपन्न हो रही है -
pA + qB + rC -------> उत्पाद
उपरोक्त अभिक्रिया में अभिकारकों के सांद्रण में परिवर्तन p , q एवं r है । तब -
दर नियम समीकरण -
- dx/dt = K[ A ] [ B ] [ C ]
अभिक्रिया की कोटि = घातांकों का योग
n = p + q + r
जब अभिक्रिया के लिए n का मान 0 , 1 , 2 व 3 होता है । तब ऐसी अभिक्रिया के लिए कोटि क्रमशः शून्य कोटि , प्रथम कोटि , द्वितीय कोटि एवं तृतीय कोटि होती है ।
प्रश्न - एक रासायनिक अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का व्यंजक निम्न है -
- dx/dt = K[ A ]2/3 [ B ]1/2
तब अभिक्रिया के लिए उसकी कोटी ज्ञात करो ।
उत्तर - - dx/dt = K[ A ]2/3 [ B ]1/3
अभिक्रिया की कोटि = घातांकों का योग
n = 2/3 + 1/3
n = 3/3
n = 1
चूंकि n का मान 1 है अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की है ।
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि एवं अणुसंख्यता में अंतर लिखिए ।
प्रश्न - निम्न अभी क्रियाओं के लिए दर नियम समीकरण एवं अभिक्रिया की कोटि बताइए ।
उत्तर -
1. C12H22O11 + H2O --> C6H12O6 + C6H12O6
* दर नियम समीकरण -
- dx/dt = K[ C12H22O11] [ H2O]
अभिक्रिया की कोटि = घातांकों का योग
n = 1 + 0
n = 1
चूंकि n का मान 1 है अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की है ।
2. CH3COOC2H5 + H2O ---> CH3COOH + C2H5OH
3. PCl5 ------> PCl3 + Cl2
4. 2SO2 + O2 ---> 2SO3
5. 2NO + O2 ---> 2NO2
प्रश्न - शून्य कोटि , प्रथम कोटि , द्वितीय कोटि एवं तृतीय कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हो ? इनकी इकाईयां लिखिए ।
उत्तर - A. शून्य कोटि (Zero order reaction) - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में अभिकारक अणुओं के सांद्रण में परिवर्तन नहीं होता है , शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई मोल प्रति लीटर प्रति सेकण्ड होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग अभिकारक अणुओं के सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है , शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
जैसे -
1. 2HI ---------> H2 + I2
- dx/dt = K [ HI ]
n = 0
2. H2 + Cl2 --------> 2HCl
3. 2NH3 ------> N2 + 3H2
4. CH3-CO-CH3 + I2 -> CH3COCH2-I + HI
5. 2N2O ---------> 2N2 +O2
B. प्रथम कोटि की अभिक्रिया - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में एक अभिकारक अणु के सांद्रण में परिवर्तन होता है , प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई प्रति सेकण्ड होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग एक अभिकारक अणु के सांद्रण पर निर्भर करता है , प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
1. C12H22O11 + H2O --> C6H12O6 + C6H12O6
2. CH3COOC2H5 + H2O ---> CH3COOH + C2H5OH
3. PCl5 ------> PCl3 + Cl2
4. N2O5 ------> N2O4 + O2
5. NH4NO3 ----> NH3 + HNO3
नोट - सभी नाभिकीय अभिक्रियाएं प्रथम कोटि की अभिक्रिया में होती हैं ।
C. द्वितीय कोटि (Second Order Reaction) - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में दो अभिकारक अणु के सांद्रण में परिवर्तन होता है , द्वितीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई लीटर प्रति मोल प्रति सेकण्ड होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग दो अभिकारक अणुओं के सांद्रण पर निर्भर करता है , द्वितीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
जैसे - 1. CH3COOH + NaOH ---> CH3COONa + H2O
2. 2NO ----> N2 + O2
3. 2O3 ---> 3O2
D. तृतीय कोटि की अभिक्रिया (Third Order Reaction) - वह रासायनिक अभिक्रिया जिनके संपन्न होने में तीन अभिकारक अणुओं के सांद्रण में परिवर्तन होता है , तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती है । इसकी इकाई मोल-2 लीटर2 सेकण्ड-1 होती है ।
अथवा
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसका वेग तीन अभिकारक अणुओं के सांद्रण पर निर्भर करता है , तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती हैं ।
जैसे -
1. 2SO2 + O2 ---> 2SO3
2. 2NO + O2 ----> 2NO2
3. 2FeCl3 + SnCl2 ----> 2FeCl2 + SnCl4
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण की विधियों के नाम लिखिए ।
उत्तर - किसी रासायनिक अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण के लिए निम्न विधियों का उपयोग करते हैं -
1. ग्राफीय विधि
2. प्रारंभिक दर या आरंभिक दर विधि
3. समाकलित दर समीकरण विधि
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण की ग्राफीय विधि का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - ग्राफीय विधि - इस विधि का उपयोग ऐसी अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण में होता है जिसमें एक अभिकारक अणु भाग लेता है ।
इस विधि में समय-समय पर अभिकारक की सांद्रता ज्ञात कर लेते हैं । इसके पश्चात अभिक्रिया की दर व सांद्रता के बीच ग्राफ खींचते हैं । यदि -
1. अभिक्रिया की दर (dx/dt) व सांद्रता (a-x ) के बीच ग्राफ खींचने पर सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है , तब अभिक्रिया प्रथम कोटि की होगी ।
2. अभिक्रिया की दर (dx/dt) व सांद्रता (a-x )2 के बीच ग्राफ खींचने पर सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है , तब अभिक्रिया द्वितीय कोटि की होगी ।
3. अभिक्रिया की दर (dx/dt) व सांद्रता (a-x )3 के बीच ग्राफ खींचने पर सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है , तब अभिक्रिया तृतीय कोटि की होगी ।
प्रश्न - अभिक्रिया की कोटि के निर्धारण के समाकलित दर समीकरण विधि को समझाइए ।
उत्तर - समाकलित दर समीकरण विधि - इस विधि में अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता a लेकर अभिक्रिया प्रारंभ करते हैं , फिर भी t समय पश्चात सांद्रण में परिवर्तन a-x ज्ञात कर लेते हैं । फिर इन मानों को प्रथम , द्वितीय , तृतीय कोटि के समाकलित दर समीकरण में रखकर K की गणना करते हैं , जिस कोटि के समाकलित दर समीकरण के लिए K का मान स्थिर आता है । अभिक्रिया उसी कोटि की होती है ।
जैसे - प्रारंभिक सांद्रण (a) , समयांतराल (t) , सांद्रण में परिवर्तन (a-x) के मान को प्रथम कोटि के समाकलित दर समीकरण में रखकर K के मान की गणना करने पर प्रथम कोटि के समाकलित दर समीकरण के लिए K का मान स्थिर आता है । अतः अभिक्रिया प्रथम कोटि की होगी ।
1. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण निम्न है -
K = 2.303/t log a/(a-x)
2. द्वितीय कोटि कि अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण -
K = 1/t [ x/a(a-x) ]
3. तृतीय कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण -
K = 1/2t [ 2(2a-x) /a2(a-x)2 ]
नोट -
log 1 = 0 log 2 = 0.3010
log 3 = 0.4771 log 4 = 0.6020
log 5 = 0.6989 log 6 = 0.7781
log 7 = 0.8450 log 8 = 0.9031
log 9 = 0.9542 log 10 = 1
प्रश्न - प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर समीकरण की व्युत्पत्ति कीजिए ।
अथवा
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का व्यंजक ज्ञात कीजिए ।
उत्तर - माना प्रथम कोटि की अभिक्रिया निम्न प्रकार से संपन्न हो रही है -
A --------------> उत्पाद
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक का व्यंजक ज्ञात कीजिए ।
उत्तर - माना प्रथम कोटि की अभिक्रिया निम्न प्रकार से संपन्न हो रही है -
A --------------> उत्पाद
उत्तर -
प्रश्न - सिद्ध कीजिए कि शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता (a) के समानुपाती होता है ?
उत्तर - शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए दर स्थिरांक व सांद्रण के संबंध को निम्न समीकरण से व्यक्त करते हैं -
K = x / t ------(1)
अर्द्ध आयुकाल अर्थात t = t1/2 एवं x = a/2 हो , तो समीकरण (1) में इन मानों को रखने पर -
K = a / 2 / t1/2
t1/2 = a / 2K
प्रश्न - सिद्ध कीजिए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल अभिकारक के प्रारंभिक सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है । ( 2019 , 2020 )
अथवा
अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल क्या है ? प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयुकाल की गणना कीजिए ।
अथवा
अर्ध आयुकाल से आप क्या समझते हो ? इसका व्यंजक लिखिए ।
उत्तर - अर्द्ध आयुकाल (Half life period) - किसी रासायनिक अभिक्रिया को आधी पूर्ण होने में जो समय लगता है , उसे उस अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल कहते हैं ।
अथवा
वह समयांतराल जिस पर किसी अभिकारक की सांद्रता प्रारंभिक सांद्रता की आधी हो जाती है , अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल कहलाता है , इसे t1/2 से प्रदर्शित करते हैं ।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयु काल का व्यंजक निम्न है -
t1/2 = 0.693 / K
व्युत्पत्ति - प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयुकाल का व्यंजक प्रथम कोटि के समाकलित दर समीकरण से निम्न प्रकार से प्राप्त करते हैं -
K = 2.303/t log a/(a-x)
जब अभिक्रिया आधी पूर्ण होती है , तब x = a/2 तथा t = t1/2 होगा ।
उपर्युक्त समीकरण में सांद्रता वाला कोई पद नहीं है , इससे स्पष्ट होता है कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयुकाल अभिकारक की प्रारंभिक सांता पर निर्भर नहीं करता है ।
Note - (1). प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल वेग स्थिरांक के व्युत्क्रमानुपाती होता है । अतः -
t1/2 = 1/K
(2). द्वितीय कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल प्रारंभिक सांद्रण के व्युत्क्रमानुपाती होता है , अतः -
t1/2 = 1/a
(3). तृतीय कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल सांद्रण के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है , अर्थात -
t1/2 = 1/a2
(4). शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल उसके सांद्रण के समानुपाती होता है , अर्थात -
t1/2 = a
प्रश्न - सिद्ध कीजिए की प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय आधी अभिक्रिया के संपन्न होने में लगे समय का 10 गुना होता है ?
हल - दिया है - t50% के लिए -
a = 100
a-x = 100 - 50
t50% = ?
सूत्र - t = 2.303/k .log a/a-x
सूत्र में मान रखने पर -
t50% = 2.303/k log 100/100-50
t50% = 2.303/k log 100/50
t50% = 2.303/k log 10/5
t50% = 2.303/k log 2 -----------(1)
t99.9% के लिए - a = 100
a-x = 100 - 99.9
t99.9% = ?
सूत्र - t = 2.303/k log a / (a-x)
सूत्र में मान रखने पर -
t99.9% = 2.303 / k. log 100 / 100 - 99.9
t99.9% = 2.303 / k .log 100 / 0.1
t99.9% = 2.303 / k . log 1000 ---(2)
समीकरण (2) में (1) का भाग देने पर -
t99.9% / t50% = 2.303 / k log 1000 / 2.303/k log 2
[ log1000 = 3 ]
t99.9% / t50% = log 3000 / log 0.3010
t99.9% / t50% = log 30000 / log 3010
t99.9% / t50% = लगभग 10 (9.96)
t99.9% = 10 × t50% उत्तर
अतः स्पष्ट है कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय , आधी अभिक्रिया संपन्न होने में लगे समय का लगभग 10 गुना होता है।
प्रश्न - एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया 40 मिनट में 90% पूर्ण हो जाती है इस अभिक्रिया का अर्ध आयु काल ज्ञात कीजिए । (2013)
हल - K की गणना - दिया है -
a = 100
a-x = 100 - 90 = 10
t = 40 मिनट
K = ?
सूत्र - t = 2.303 / k . log a / (a-x)
सूत्र में मान रखने पर -
t = 2.303 / 40 . log 100 / 10
t = 2.303 / 40 . log 10
log 10 = 1
t = 2.303 / 40
K = 0.057 min-1
t1/2 की गणना - दिया है - K = 0.057
t1/2 = ?
सूत्र - t1/2 = 0.693 / K
सूत्र में मान रखने पर -
उत्तर - शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए दर स्थिरांक व सांद्रण के संबंध को निम्न समीकरण से व्यक्त करते हैं -
K = x / t ------(1)
अर्द्ध आयुकाल अर्थात t = t1/2 एवं x = a/2 हो , तो समीकरण (1) में इन मानों को रखने पर -
K = a / 2 / t1/2
t1/2 = a / 2K
t1/2 समानुपाती a
अतः स्पष्ट है कि शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल अभिकारक के प्रारंभिक सांद्रता के समानुपाती होता है ।
अतः स्पष्ट है कि शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल अभिकारक के प्रारंभिक सांद्रता के समानुपाती होता है ।
प्रश्न - सिद्ध कीजिए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल अभिकारक के प्रारंभिक सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है । ( 2019 , 2020 )
अथवा
अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल क्या है ? प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयुकाल की गणना कीजिए ।
अथवा
अर्ध आयुकाल से आप क्या समझते हो ? इसका व्यंजक लिखिए ।
उत्तर - अर्द्ध आयुकाल (Half life period) - किसी रासायनिक अभिक्रिया को आधी पूर्ण होने में जो समय लगता है , उसे उस अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल कहते हैं ।
अथवा
वह समयांतराल जिस पर किसी अभिकारक की सांद्रता प्रारंभिक सांद्रता की आधी हो जाती है , अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल कहलाता है , इसे t1/2 से प्रदर्शित करते हैं ।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयु काल का व्यंजक निम्न है -
t1/2 = 0.693 / K
व्युत्पत्ति - प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयुकाल का व्यंजक प्रथम कोटि के समाकलित दर समीकरण से निम्न प्रकार से प्राप्त करते हैं -
K = 2.303/t log a/(a-x)
जब अभिक्रिया आधी पूर्ण होती है , तब x = a/2 तथा t = t1/2 होगा ।
K = 2.303/t1/2 × log a/(a-a/2)
K = 2.303/t1/2 × log a/(a/2)
K = 2.303/t1/2 × log 2
K = 2.303/t1/2 × 0.3010
t1/2 = 0.693/K
उपर्युक्त समीकरण में सांद्रता वाला कोई पद नहीं है , इससे स्पष्ट होता है कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्ध आयुकाल अभिकारक की प्रारंभिक सांता पर निर्भर नहीं करता है ।
Note - (1). प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल वेग स्थिरांक के व्युत्क्रमानुपाती होता है । अतः -
t1/2 = 1/K
(2). द्वितीय कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल प्रारंभिक सांद्रण के व्युत्क्रमानुपाती होता है , अतः -
t1/2 = 1/a
(3). तृतीय कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल सांद्रण के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है , अर्थात -
t1/2 = 1/a2
(4). शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयुकाल उसके सांद्रण के समानुपाती होता है , अर्थात -
t1/2 = a
प्रश्न - सिद्ध कीजिए की प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय आधी अभिक्रिया के संपन्न होने में लगे समय का 10 गुना होता है ?
हल - दिया है - t50% के लिए -
a = 100
a-x = 100 - 50
t50% = ?
सूत्र - t = 2.303/k .log a/a-x
सूत्र में मान रखने पर -
t50% = 2.303/k log 100/100-50
t50% = 2.303/k log 100/50
t50% = 2.303/k log 10/5
t50% = 2.303/k log 2 -----------(1)
t99.9% के लिए - a = 100
a-x = 100 - 99.9
t99.9% = ?
सूत्र - t = 2.303/k log a / (a-x)
सूत्र में मान रखने पर -
t99.9% = 2.303 / k. log 100 / 100 - 99.9
t99.9% = 2.303 / k .log 100 / 0.1
t99.9% = 2.303 / k . log 1000 ---(2)
समीकरण (2) में (1) का भाग देने पर -
t99.9% / t50% = 2.303 / k log 1000 / 2.303/k log 2
[ log1000 = 3 ]
t99.9% / t50% = log 3000 / log 0.3010
t99.9% / t50% = log 30000 / log 3010
t99.9% / t50% = लगभग 10 (9.96)
t99.9% = 10 × t50% उत्तर
अतः स्पष्ट है कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय , आधी अभिक्रिया संपन्न होने में लगे समय का लगभग 10 गुना होता है।
प्रश्न - एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया 40 मिनट में 90% पूर्ण हो जाती है इस अभिक्रिया का अर्ध आयु काल ज्ञात कीजिए । (2013)
हल - K की गणना - दिया है -
a = 100
a-x = 100 - 90 = 10
t = 40 मिनट
K = ?
सूत्र - t = 2.303 / k . log a / (a-x)
सूत्र में मान रखने पर -
t = 2.303 / 40 . log 100 / 10
t = 2.303 / 40 . log 10
log 10 = 1
t = 2.303 / 40
K = 0.057 min-1
t1/2 की गणना - दिया है - K = 0.057
t1/2 = ?
सूत्र - t1/2 = 0.693 / K
सूत्र में मान रखने पर -
t1/2 = 0.693 / 0.057
t1/2 = 693 / 57
t1/2 = 231 / 19
t1/2 = 12.15 मिनट
प्रश्न - SO2Cl2 का अपनी प्रारंभिक मात्रा से आधी मात्रा में आयोजित होने में 60 मिनट का समय लगता है यदि अभिक्रिया प्रथम कोटि की हो तो वेग स्थिरांक की गणना कीजिए ।
हल - प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की गणना -
दिया है - t1/2 = 60 मिनट
K = ?
सूत्र - k = 0.693/ t1/2
K = 0.693/ 60 min
K = 0.693/ 60 × 60
K = 1.925 × 10*-4 उत्तर
प्रश्न - देहली ऊर्जा एवं सक्रियण ऊर्जा से आप क्या समझते हो ? देहली ऊर्जा एवं सक्रियण ऊर्जा में संबंध बताइए ।
उत्तर - देहली ऊर्जा - ऊर्जा की वह न्यूनतम मात्रा जो अभिकारक अणुओं को प्रभावकारी टक्करों द्वारा उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक होती है , देहली ऊर्जा कहलाती है ।
अथवा
किसी अभिकारक अणु द्वारा ऊर्जा अवरोध को पार करने के लिए लगने वाली ऊर्जा देहली ऊर्जा कहलाती है ।
देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा + अणु की निम्नतम ऊर्जा
सक्रियण ऊर्जा ( Activation Energy ) - वह ऊर्जा जो अणु को सक्रिय करने के लिए आवश्यक होती है , उसे सक्रियण ऊर्जा कहते हैं और इसे Ea से प्रदर्शित करते हैं । सक्रियण ऊर्जा युक्त अणु ऊर्जा अवरोध को पार करके संकुल उत्पाद बनाता है ।
सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अणु की निम्नतम ऊर्जा
देहली ऊर्जा एवं सक्रियण ऊर्जा में संबंध - सक्रियण ऊर्जा और देहली ऊर्जा में परस्पर निकट का संबंध होता है । अणु ऊर्जा ग्रहण करके सक्रियण ऊर्जा प्राप्त कर लेता है जो शीघ्र ही देहली ऊर्जा में बदल जाती है । देहली ऊर्जा युक्त अणु उत्पाद में बदल जाता है । अतः -
देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा + अणु की निम्नतम ऊर्जा
सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अणु की निम्नतम ऊर्जा
प्रश्न - रासायनिक अभिक्रिया में सक्रियण ऊर्जा का क्या महत्व है ? संक्षेप में लिखिए ।
उत्तर - सक्रियण ऊर्जा की धारणा के अनुसार अभिकारक सीधे ही उत्पादों में नहीं बदलते हैं वरन वे पहले इतनी अतिरिक्त ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं कि वे अभिकारक और उत्पाद के मध्य विद्यमान सक्रियण ऊर्जा अवरोध को पार कर जाएं । इसका अर्थ यह है कि अभिकारकों तथा उत्पादों के बीच एक उर्जा अवरोध होता है जिसके एक तरफ अभिकारक तथा दूसरी तरफ उत्पाद होते हैं । अभिक्रिया में अभिकारक इतनी ऊर्जा ग्रहण
t1/2 = 693 / 57
t1/2 = 231 / 19
t1/2 = 12.15 मिनट
प्रश्न - SO2Cl2 का अपनी प्रारंभिक मात्रा से आधी मात्रा में आयोजित होने में 60 मिनट का समय लगता है यदि अभिक्रिया प्रथम कोटि की हो तो वेग स्थिरांक की गणना कीजिए ।
हल - प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की गणना -
दिया है - t1/2 = 60 मिनट
K = ?
सूत्र - k = 0.693/ t1/2
K = 0.693/ 60 min
K = 0.693/ 60 × 60
K = 1.925 × 10*-4 उत्तर
प्रश्न - देहली ऊर्जा एवं सक्रियण ऊर्जा से आप क्या समझते हो ? देहली ऊर्जा एवं सक्रियण ऊर्जा में संबंध बताइए ।
उत्तर - देहली ऊर्जा - ऊर्जा की वह न्यूनतम मात्रा जो अभिकारक अणुओं को प्रभावकारी टक्करों द्वारा उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक होती है , देहली ऊर्जा कहलाती है ।
अथवा
किसी अभिकारक अणु द्वारा ऊर्जा अवरोध को पार करने के लिए लगने वाली ऊर्जा देहली ऊर्जा कहलाती है ।
देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा + अणु की निम्नतम ऊर्जा
सक्रियण ऊर्जा ( Activation Energy ) - वह ऊर्जा जो अणु को सक्रिय करने के लिए आवश्यक होती है , उसे सक्रियण ऊर्जा कहते हैं और इसे Ea से प्रदर्शित करते हैं । सक्रियण ऊर्जा युक्त अणु ऊर्जा अवरोध को पार करके संकुल उत्पाद बनाता है ।
सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अणु की निम्नतम ऊर्जा
देहली ऊर्जा एवं सक्रियण ऊर्जा में संबंध - सक्रियण ऊर्जा और देहली ऊर्जा में परस्पर निकट का संबंध होता है । अणु ऊर्जा ग्रहण करके सक्रियण ऊर्जा प्राप्त कर लेता है जो शीघ्र ही देहली ऊर्जा में बदल जाती है । देहली ऊर्जा युक्त अणु उत्पाद में बदल जाता है । अतः -
देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा + अणु की निम्नतम ऊर्जा
सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अणु की निम्नतम ऊर्जा
प्रश्न - रासायनिक अभिक्रिया में सक्रियण ऊर्जा का क्या महत्व है ? संक्षेप में लिखिए ।
उत्तर - सक्रियण ऊर्जा की धारणा के अनुसार अभिकारक सीधे ही उत्पादों में नहीं बदलते हैं वरन वे पहले इतनी अतिरिक्त ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं कि वे अभिकारक और उत्पाद के मध्य विद्यमान सक्रियण ऊर्जा अवरोध को पार कर जाएं । इसका अर्थ यह है कि अभिकारकों तथा उत्पादों के बीच एक उर्जा अवरोध होता है जिसके एक तरफ अभिकारक तथा दूसरी तरफ उत्पाद होते हैं । अभिक्रिया में अभिकारक इतनी ऊर्जा ग्रहण
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