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SHRI COACHING CLASSES


MP BOARD BHOPAL 2021








PART - 1 
d एवं f - ब्लॉक के तत्व

प्रश्न - 1. d एवं f - ब्लॉक के तत्व किसे कहते हैं ? d एवं f - ब्लॉक के तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए ।

उत्तर - d - ब्लॉक के तत्व - वे तत्व जिनके परमाणुओं का अंतिम इलेक्ट्रॉन (n-1)d - कक्षक में प्रवेश करता है , d - ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं ।
जैसे - Sc , Ti , V , Cr , Mn आदि d ब्लाॅक के तत्वों के उदाहरण हैं ।
• d -ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 
(n-1)d 1-10  ns1-2

f - ब्लॉक के तत्व - वे तत्व जिनके परमाणुओं का अंतिम इलेक्ट्रॉन f - कक्षक में प्रवेश करता है , f - ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं ।
जैसे - Ce , Pr , Nd , Pm , Sm आदि ।

f - ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 
(n-2)f 1-14 , (n-1)d 0-1 , ns2

प्रश्न - संक्रमण तत्व किसे कहते हैं ? इन्हें कितनी श्रेणियों में बांटा गया है ।
उत्तर - संक्रमण तत्व - वे तत्व जिनके परमाणु या साधारण आयन में (n-1)d कक्षक अपूर्ण रूप से भरे होते हैं , संक्रमण तत्व कहलाते हैं । यह समूह 2 और 13 के मध्य स्थित होते हैं । d ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10 ,  ns 1-2 होता है ।

संक्रमण तत्वों का वर्गीकरण - संक्रमण तत्वों को निम्न चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है - 
1. प्रथम संक्रमण श्रेणी (3d श्रेणी)
2. द्वितीय संक्रमण श्रेणी (4d श्रेणी)
3. तृतीय संक्रमण श्रेणी (5d श्रेणी)
4. चतुर्थ संक्रमण श्रेणी (6d श्रेणी)

1. प्रथम संक्रमण श्रेणी(3d श्रेणी) - यह श्रेणी स्कैंडियम (Sc-21) से प्रारंभ होकर जिंक(Zn-30) पर समाप्त होती है । इस श्रेणी के तत्वों के अंतिम इलेक्ट्रॉन 3d उपकक्ष में प्रवेश करते हैं ।
जैसे - Sc , Ti , V , Cr , Mn , Fe , Co , Ni , Cu , Zn आदि ।

2. द्वितीय संक्रमण श्रेणी(4d श्रेणी) - यह श्रेणी इट्रियम (Y-39 )से प्रारंभ होकर कैडमियम(Cd-48) पर समाप्त होती है । इस श्रेणी के तत्वों के अंतिम इलेक्ट्रॉन 4d उपकक्ष में प्रवेश करते हैं ।
जैसे - Y , Zr , Nb , Mo , Tc , Ru , Rh , Pd , Ag , Cd

3. तृतीय संक्रमण श्रेणी(5d श्रेणी) - यह श्रेणी लेंथेनम (La- 57) से प्रारंभ होकर मरकरी (Hg-80) पर समाप्त होती है । इस श्रेणी के तत्वों के अंतिम इलेक्ट्रॉन 5d उपकक्ष में प्रवेश करते हैं ।
जैसे - La , Hf , W , Re , Os , Ir , Pt , Au , Hg आदि ।

4. चतुर्थ संक्रमण श्रेणी (6d श्रेणी) - यह श्रेणी एक्टिनियम (Ac-89) तथा रदरफोर्डियम (Rf-104) से कॉपरनीसियम (Cn-112 )तक के तत्व आते हैं । इस श्रेणी के तत्वों के अंतिम इलेक्ट्रॉन 6d उपकक्ष में प्रवेश करते हैं ।
जैसे - Ac (89), Rf , Db , Sg , Bh , Hs , Mt , Ds , Rg , Cn(112)

प्रश्न - संक्रमण तत्व की विशेषताएं लिखिए।
                                अथवा
संक्रमण धातुओं के कोई चार अभिलाक्षणिक गुण लिखिए।
उत्तर - संक्रमण तत्व निम्नलिखित गुण प्रदर्शित करते हैं - 
1. सभी संक्रमण तत्व धात्विक प्रकृति के होते हैं तथा मजबूत व कठोर होते हैं ।
2. संक्रमण तत्वों के गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं ।
3. संक्रमण तत्व ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं। 
4. संक्रमण तत्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं ।
5. संक्रमण तत्व रंगीन आयन बनाते हैं एवं प्रायः अनुचुंबकीय होते हैं ।
6. संक्रमण तत्व संकुल यौगिक बनाते हैं ।
7. संक्रमण तत्व मिश्रधातुओं का निर्माण करते हैं ।
8. संक्रमण धातुएं उत्प्रेरकीय गुण प्रदर्शित करती हैं ।

PART 2

प्रश्न - प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में निम्नलिखित गुणों के परिवर्तन में विवेचना कीजिए - (2019)
1. परमाणु त्रिज्या 
2. आयनन ऊर्जा 
3. धात्विक लक्षण 
4. ऑक्सीकरण अवस्थाएं
1. परमाणु त्रिज्या - संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्याएं s तथा p-ब्लॉक के तत्वों के मध्य होती हैं , किसी संक्रमण श्रेणी में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु क्रमांक में वृद्धि पर परमाणु त्रिज्या क्रमशः घटती है।
प्रारंभ में यह कमी शीघ्रता से होती है और फिर बहुत धीरे-धीरे होने लगती है।

2. आयनन ऊर्जा - संक्रमण तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जा s - ब्लॉक तत्व की आयनन ऊर्जा की तुलना में उच्च , किंतु p -ब्लॉक के तत्वों से कम होती है ।किसी संक्रमण श्रेणी में बाएं से दाएं चलने पर आयनन ऊर्जा का मान धीरे धीरे बढ़ता है । आयनन ऊर्जा में वृद्धि नाभिकीय आवेश में वृद्धि के कारण होती है , किंतु यह वृद्धि धीरे-धीरे होती है , क्योंकि नाभिकीय आवेश में वृद्धि का प्रभाव , परिरक्षण प्रभाव में वृद्धि के कारण आंशिक रूप से निरस्त हो जाता है ।

3. धात्विक लक्षण - संक्रमण तत्व धात्विक प्रकृति के होते हैं । यह कठोर , उच्च घनत्व वाले तथा ऊष्मा एवं विद्युत के सुचालक होते हैं और उनमें विशिष्ट धात्विक चमक होती है । इनमें धात्विक लक्षण निम्न आयनन ऊर्जा और रिक्त d - कक्षकों के कारण होता है ।

4. ऑक्सीकरण अवस्थाएं - संक्रमण धातु परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएं अर्थात कई ऑक्सीकरण अवस्था में प्रदर्शित करती हैं , इसका कारण यह है कि इन धातुओं के ns कक्षकों के इलेक्ट्रॉनों के अतिरिक्त (n - 1)d कक्षकों के कुछ या सभी इलेक्ट्रॉन भी रासायनिक बंध बनाने में भाग ले सकते हैं। क्योंकि इनके ns और (n - 1)d इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में बहुत कम अंतर होता है ।

प्रश्न - संक्रमण धातुएं उच्च गलनांक एवं क्वथनांक दर्शाती हैं , क्यों ? 
उत्तर - इन तत्वों के परमाणु में एक दूसरे के लिए बंधन शक्ति अत्यधिक होती है अर्थात धात्विक बंध प्रबल होता है । अतः इनके गलनांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं ।

प्रश्न - संक्रमण धातुएं परिवर्ती संयोजकता या परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती हैं , क्यों ?
उत्तर - संक्रमण तत्व में ns इलेक्ट्रॉनों के अतिरिक्त (n - 1)d ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन भी रासायनिक बंध बनाने में भाग ले सकते हैं । d - कक्षकों में जितने अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं , वह उतना ही अधिक संयोजकता दर्शाता है । इसीलिए यह तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - Fe , +2 व +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है ।

प्रश्न - Zn केवल +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है , क्यों ? 
उत्तर - जिंक परमाणु अपने बाह्यतम कक्ष में से दो इलेक्ट्रॉन त्यागने के बाद स्थाई विन्यास प्राप्त कर लेता है , इसलिए यह +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है ।

प्रश्न - संक्रमण धातुएं अच्छी उत्प्रेरक होती हैं , क्यों ?
                              अथवा
संक्रमण धातुओंं के उत्प्रेरकीय गुण का स्पष्टीकरण कीजिए ।

उत्तर - 1. संक्रमण तत्वों में अपूर्ण या रिक्त d - कक्षक होते हैं । यह अभिकारकों के साथ अपने रिक्त कक्षकों के द्वारा अस्थाई माध्यमिक यौगिक बना लेते हैं । यह माध्यमिक यौगिक एक निम्नतर सक्रियण ऊर्जा वाला नवीन पथ अभिक्रिया के लिए उपलब्ध कर देते हैं , जिससे अभिक्रिया के वेग में वृद्धि हो जाती है ।

2. यह अधिशोषण के लिए विस्तृत प्रष्ठ क्षेत्र उपलब्ध कराते हैं जो अभिकारकों को अधिशोषित करके उसकी सांद्रता में वृद्धि करते हैं ।

प्रश्न - Zn केवल +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है , क्यों ? 
उत्तर - जिंक परमाणु अपने बाह्यतम कक्ष में से दो इलेक्ट्रॉन त्यागने के बाद स्थाई विन्यास प्राप्त कर लेता है , इसलिए यह +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है ।


प्रश्न - संक्रमण metal या d - ब्लॉक की धातुएं सरलता से मिश्र धातुएं बना लेती हैं , क्यों ?
उत्तर - संक्रमण धातुओं के परमाण्विक आकार लगभग समान होते हैं जिसके कारण एक धातु के परमाणु दूसरी धातु के परमाणु को  उसके क्रिस्टल जालक में से प्रतिस्थापन कर सकते हैं । इस कारण जब दो या दो से अधिक संक्रमण धातुओं के मिश्रित विलयन को ठंडा करते हैं तब प्रायः ठोस मिश्र धातु प्राप्त होती है ।
पीतल , कांसा तथा विभिन्न प्रकार के इस्पात मिश्र धातुओं के उदाहरण हैं , मिश्र धातु अपेक्षाकृत कठोर और उच्च गलनांक वाले होते हैं ।


प्रश्न - संक्रमण धातुएं सामान्यतः रंगीन यौगिक बनाती हैं , क्यों ?

उत्तर - संक्रमण धातु आयनो का रंग अपूर्ण रूप से भरे हुए d - कक्षको के कारण होता है l संक्रमण धातु आयनों में जिनमें अयुग्मित d - इलेक्ट्रॉन है , इस इलेक्ट्रॉन का एक d - कक्षक से दूसरे d - कक्षक में संक्रमण होता है । इस संक्रमण के समय वे दृश्य प्रकाश के कुछ विकिरणों का अवशोषण करते हैं तथा शेष विकिरणों को रंगीन प्रकाश के रूप में उत्सर्जित कर देते हैं । अतः आयन का रंग उसके द्वारा अवशोषित रंग का पूरक नीले रंग का होता है।
जैसे - Cu2+ नीला रंग का होता है ।


प्रश्न - संक्रमण धातुएं धात्विक गुण प्रदर्शित करती हैं , क्यों ?
उत्तर - किसी तत्व द्वारा अपने परमाणु में से एक अथवा दो इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाने की क्षमता पर उसका धात्विक गुण निर्भर करता है , सभी संक्रमण तत्व धातु हैं , क्योंकि इनकी बाहरी कक्षा में एक या दो इलेक्ट्रॉन होते हैं जो कि आसानी से त्यागे जा सकते हैं , क्योंकि इनकी आयनन ऊर्जा निम्न होती है । अतः यह धात्विक प्रकृति के होते हैं ।


प्रश्न - जिंक , कैडमियम एवं मरकरी को संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है , क्यों ?
उत्तर - ऐसे तत्व जिनमें d - उपकोश आंशिक रूप से भरे हुए रहते हैं , उन्हें संक्रमण तत्व कहते हैं ।

PART - 3

प्रश्न - 3d श्रेणी में आयनन ऊर्जा के मान सामान्यतः मैग्नीज तक बढ़ते हैं , फिर कुछ अनियमितताएं या स्थिर मान पाए जाते हैं , क्यों ?

उत्तर - यह प्रवृत्ति 4d एवं 5d श्रेणी में भी पाई जाती है और यह अनियमित मान , अनियमित परमाणु आकार के कारण होते हैं , क्योंकि दो विपरीत कारको नाभिकीय आवेश में वृद्धि या परिरक्षण प्रभाव में वृद्धि में से कोई एक घटती है ।


प्रश्न - संक्रमण धातु की प्रथम पंक्ति में क्रोमियम तक अनुचुंबकत्व बढ़ता है और फिर घटने लगता है , क्यों ? 

उत्तर - संक्रमण धातु की प्रथम पंक्ति में क्रोमियम तक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि होती है तथा फिर युग्मन प्रारंभ होने के कारण इनकी संख्या घटती जाती है । अतः इसी के अनुसार पहले क्रोमियम तक अनुचुंबकत्व बढ़ता है और फिर घटने लगता है ।

प्रश्न - मिश्र धातु किसे कहते हैं ? प्रमुख मिश्र धातुओं के नाम लिखते हुए उसके उपयोग लिखिए।
उत्तर - मिश्र धातु - दो या दो से अधिक धातुओं अथवा अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं । प्रमुख मिश्रधातु जिसमें लैंथेनाइड होता है वह मिशधातु है । जिसमें 95% लैंथेनाइड तथा 5% आयरन के साथ थोड़ी मात्रा में सल्फर , कार्बन, कैल्शियम एवं एल्यूमीनियम होते हैं । इसका उपयोग मैग्नीशियम आधारित मिश्र धातु में करते हैं जो गोली के आवरण एवं लाइटर में उपयोग होती है ।

प्रश्न - संक्रमण धातु की प्रथम श्रेणी की कौन सी धातु सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था रखती है एवं क्यों ?
उत्तर - कॉपर का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]3d10 4s1 है जो एक इलेक्ट्रॉन सरलता से त्याग कर स्थाई विन्यास 3d10 देता है ।


प्रश्न - पहचानिए निम्न में कौन जलीय विलियन में रंग देते हैं ?
Ti3+ , V3+ , Cu+ , Sc3+ Mn2+ Fe3+ Co2+
प्रत्येक का कारण दीजिए ।
उत्तर - ऐसे आयन जिनमें एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं , जलीय विलयन में d-d संक्रमण के कारण रंगीन होते हैं ।


आयन                विन्यास                 रंग


Ti3+                   3d1                 रंगीन

V3+                    3d2                 रंगीन 

Cu+                    3d10             रंगहीन

Sc3+                  3d0                रंगहीन

Mn2+                 3d5                  रंगीन

Fe3+                  3d5                   रंगीन

Co2+                  3d7                   रंगीन


प्रश्न - टाइटेनियम को आश्चर्यजनक धातु क्यों कहते हैं ?
                             अथवा
टाइटेनियम को रणनीतिक धातु का जाता है , क्यों ?
टाइटेनियम को आश्चर्यजनक धातु कहते हैं क्योंकि यह कठोर व उच्च गलनांक वाली धातु है । यह ऊष्मा और विद्युत की सुचालक होती है । इसके अलावा यह संक्षारण प्रतिरोधी भी होती है । इसका उपयोग टैंक , तोप , बंदूक व रक्षात्मक कवच बनाने में किया जाता है , इसलिए इसे रणनीतिक धातु भी कहते हैं।

प्रश्न - क्या कारण है कि 5d श्रेणी के तत्वों की आयनन ऊर्जा का मान 4d श्रेणी से अधिक होता है ?
• किसी समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर आयनन ऊर्जा का मान घटता है , लेकिन 5d श्रेणी के संक्रमण तत्वों की आयनन ऊर्जा का मान 4d श्रेणी के तत्वों के मान से अधिक होता है इसका कारण इन दोनों श्रेणियों के बीच आने वाले 14 लैंथेनाइड तत्वों का रहना तथा उनके आकार में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाना है । अतः नाभिकीय आकर्षण बल बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉन के लिए अधिक हो जाता है यही उनके अधिक विभव के अधिक होने कारण है।

प्रश्न - Cu+ रंगहीन है , जबकि Cu2+ रंगीन होता है , क्यों ?
Cu+ का d-उपकोश पूर्ण भरा होता है । इस प्रकार इनका d-d संक्रमण नहीं होता है और वह सफेद अथवा रंगहीन रहता है ।
जबकि Cu2+ में अयुग्मित 3d इलेक्ट्रॉन होने के कारण एवं d-d संक्रमण संभव होने के कारण वह रंगीन होता है।


PART - 4

प्रश्न - संक्रमण धातु में संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति होती है , क्यों ?
उत्तर - संक्रमण तत्वों के संकुल यौगिक बनाने के कारण निम्न है -
1. इन तत्वों के आयनों का आकार कम तथा नाभिकीय आवेश उच्च होता है , जिसके कारण यह आयन या अणु को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

2. लीगेंड द्वारा दिए जाने वाले इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करने के लिए इन तत्वों के आयनों में रिक्त ऑर्बिटल होते हैं ।

3. ऐसे तत्व जिनमें उपकोश आंशिक रूप से भरे रहते हैं उन्हें संक्रमण तत्व कहते हैं ।


प्रश्न - संक्रमण धातुओं के चुंबकीय गुणों को उसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर बताइए ।
                                 अथवा
अनुचुंबकत्व और प्रति चुंबकत्व को समझाइए।

उत्तर - संक्रमण धातुएं चुंबकीय गुण प्रदर्शित करते हैं ।

1. प्रतिचुंबकीय गुण - जब किसी पदार्थ में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हो तो वह प्रतिचुंबकत्व दर्शाता है । जिंक एक प्रतिचुंबकीय धातु है।

2. अनुचुंबकत्व गुण  - जब किसी पदार्थ में उपस्थित इलेक्ट्रॉन अयुग्मित तो वह अनुचुंबकत्व दर्शाता है। यह गुण पदार्थ में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करता है।
Fe , Co , Ni अनुचुंबकीय गुण प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न - अंतराकाशी यौगिक क्या है ? धातु के ऐसे यौगिक क्यों ज्ञात हैं ?

उत्तर - अंतराकाशी यौगिक - अधिकांश संक्रमण तत्व उच्च ताप पर अधात्विक तत्वों के परमाणुओं जैसे हाइड्रोजन , बोरोन , कार्बन , निकिल , सिलिकॉन आदि के साथ अंतराकाशी यौगिक बनाते हैं । संक्रमण धातु के क्रिस्टल , जालक के अंतराकाशी रिक्तियों में यह अधात्विक तत्वों के छोटे परमाणु ठीक ठीक फिट हो जाते हैं । यह अंतरकाशी योगिक कहलाते हैं ।


प्रश्न - परमाणु क्रमांक में वृद्धि से संक्रमण तत्वों के प्रथम श्रेणी के पहले आधे की +2 अवस्था अधिक एवं अधिक स्थाई होती है , विस्तृत विवेचना कीजिए।

उत्तर - स्कैंडियम (+3) को छोड़कर प्रथम श्रेणी के सभी संक्रमण तत्व +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं । यह 4s के दो इलेक्ट्रॉनों के त्यागने के कारण होता है । प्रथम चरण में जब हम Ti2+ से Mn2+ की तरफ चलते हैं , तो इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d2 से 3d5 में परिवर्तित होता है । जिसका अर्थ है अधिक से अधिक d - कक्षकों का अर्ध पूर्ण भरना है । जो +2 अवस्था को अधिक से अधिक स्थायित्व प्रदान करते हैं ।


PART - 5

प्रश्न - क्रोमाइट अयस्क से पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि लिखिए तथा इसके उपयोग लिखिए ।
अथवा
पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि , गुण एवं उपयोग लिखिए ।
उत्तर - पोटैशियम डाइक्रोमेट एक महत्वपूर्ण ऑक्सीकारक है । इस यौगिक में क्रोमियम की ऑक्सीकरण अवस्था +6 होती है ।

पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि पोटैशियम डाइक्रोमेट को क्रोमाइट अयस्क या क्रोम आयरन या फेरोक्रोम से बनाया जाता है । जो निम्नलिखित पदों में होते हैं - 

1. क्रोमाइट अयस्क (FeCr2O4) का सोडियम क्रोमेट(Na2CrO4) में परिवर्तन - क्रोमाइट अयस्क को सोडियम हाइड्रोक्साइड या सोडियम कार्बोनेट के साथ वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में गरम करने पर सोडियम क्रोमेट बनता है ।

     4FeCr2O4 + 16NaOH + 7O2 ---> 8Na2CrO4 + 2Fe2O3 + 8H2O

पदार्थ को छिद्रमय रखने हेतु कुछ मात्रा में शुष्क चूने को मिलाते हैं । जल के साथ निष्कर्षण करने पर Na2CrO3 विलयन में चला जाता है जबकि आयरन ऑक्साइड (Fe2O3) रह जाता है जिसे छानकर अलग कर लेते हैं ।

2. सोडियम क्रोमेट (Na2CrO4 )का सोडियम डाई क्रोमेट (Na2Cr2O7 )में परिवर्तन - सोडियम क्रोमेट विलयन सांद्र H2SO4 के साथ अभिक्रिया करके सोडियम डाई क्रोमेट बनाता है।
            2 Na2CrO4 + H2SO4 ----> Na2Cr2O7 + Na2SO4 + H2O

सोडियम क्रोमेट (Na2CrO4) कम विलेय होता है । जिसका वाष्पन करने पर Na2SO4 . 10H2O के रूप में क्रिस्टलीकृत हो जाता है जिसे पृथक कर लिया जाता है ।

3. सोडियम डाई क्रोमेट(Na2Cr2O7 ) का पोटैशियम डाईक्रोमेट (K2Cr2O7 ) में परिवर्तन सोडियम डाई क्रोमेट के जलीय विलयन का उपचार के KCl के साथ किए जाने पर पोटेशियम डाई क्रोमेट प्राप्त होता है । पोटेशियम डाई क्रोमेट के अल्प विलेय प्रकृति के कारण इसके क्रिस्टल ठंडे में प्राप्त किए जाते हैं ।
Na2Cr2O7 + 2KCl ----> K2Cr2O7 + 2NaCl

K2Cr2O7 के गुण - 
1. K2Cr2O7 नारंगी लाल रंग का क्रिस्टलीय ठोस है
2. जिसका गलनांक 670 K है ।
3. यह ठंडे जल में कम विलेय हैं किंतु गर्म जल में विलेय है ।
4.  यह प्रबल ऑक्सीकारक है ।

K2Cr2O7 के उपयोग - 
1. ऑक्सीकारक के रूप में ।
2. चमड़ा उद्योग में क्रोम टेनिंग के लिए ।
3. प्रयोगशाला में कांच के पात्रों की सफाई के लिए ।
4. रंगाई व छपाई में , फोटोग्राफी में , 
5. जिलेटिन फिल्म के कठोरीकरण के लिए ।
6. क्रोमियम के योगिक बनाने में  ।
_____________________________________________
प्रश्न :
क्रोमिल क्लोराइड परीक्षण समीकरण सहित लिखिए ।
उत्तर - क्रोमिल क्लोराइड परीक्षण - क्रोमायल क्लोराइड परीक्षण का उपयोग क्लोराइड आयन के निश्चयत्मक परीक्षण के लिए करते हैं ।
जब किसी धातु क्लोराइड को ठोस पोटैशियम डिक्रोमेट एवं सांद्र H2SO4 के साथ गर्म किया जाता है तब गहरे नारंगी रंग की क्रोमिल क्लोराइड की वाष्प उत्पन्न होती है ।

Na2Cr2O7 + 3H2SO4 + 4NaCl       ---->   2CrO2Cl2 + K2SO4 + 2Na2SO4 + H2O
_____________________________________________
प्रश्न :
पायरोलुसाइट से KMnO4 बनाने की विधि , गुण एवं उपयोग लिखिए।
उत्तर - पोटेशियम परमैग्नेट एक प्रबल ऑक्सीकारक है । यह विभिन्न माध्यमों के विलयनों में भिन्नता के साथ ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करता है । पोटेशियम परमैग्नेट को बोलचाल की भाषा में पोटाश या लाल दवा कहा जाता है , जिसे पायरो लुसाइट नामक अयस्क से बनाया जाता है , जो मुख्य रूप से MnO2 होता है ।

KMnO4 बनाने की विधि - 
1. पायरो लुसाइट (MnO2) का K2MnO4 में परिवर्तन - पायरो लुसाइट को वायुमंडलीय ऑक्सीजन में KOH के साथ अभिकृत पर पोटेशियम मैग्नेट का हरा पदार्थ बनता है ।

MnO2 + KOH + O2  ----->  K2MnO4  + H2O

2. पोटेशियम मैग्नेट (K2MnO4) का पोटेशियम परमैग्नेट (KMnO4) में परिवर्तन K2MnO4 के हरे पदार्थ को Cl2 या CO2 के साथ निष्कर्षित करके रासायनिक ऑक्सीकरण या विद्युत अपघटनी ऑक्सीकरण द्वारा KMnO4 में ऑक्सीकृत करते हैं ।

2K2MnO4  +  Cl2  ------> 2KCl  +  2KMnO4
  या
3K2MnO4  +  CO2  ------> 2K2CO3 +  2KMnO4  + 2MnO2


KMnO4 के गुण - 
1. यह गहरा बैगनी क्रिस्टलीय ठोस है ।
2. यह 240°C पर अपघटित होता है ।
3. यह जल में कम विलेय हैं ।
4. यह प्रबल ऑक्सीकारक है ।

KMnO4 के उपयोग - 
1. प्रयोगशाला एवं उद्योगों में ऑक्सीकारक के रूप में ।
2. कार्बनिक यौगिकों के असंतृप्तता परीक्षण में ।
3. शुष्क सेलों में ।
4. कुछ यौगिकों के गुणात्मक विश्लेषण में ।
5. ऊन , कॉटन , सिल्क एवं अन्य टेक्सटाइल फाइबर के विरंजन में ।
6. तेलों को रंगहीन करने में ।
7. जल के शोधन में ।

प्रश्न - K2Cr2O7 एवं KMnO4 के अम्लीय माध्यम में ऑक्सिकारक गुण लिखिए ।

उत्तर - 









Q.
परमाणु क्रमांक 61,91, 101 एवं 109 वाले तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(i) z = 61: [Xe]4f5d506s2
(ii) Z = 91: [Rn]5f26d17s2
(iii) Z = 101: [Rn]5f136d07s2
(iv) Z = 109: [Rn]5f146d7s2



PART 6

प्रश्न - अंतः संक्रमण तत्व क्या है ? उदाहरण दीजिए ।

उत्तर - अंतः संक्रमण - वे तत्व जिनमें परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ आने वाला इलेक्ट्रॉन उनके परमाणु के अंतिम कोश से दो कक्ष पूर्व वाले कक्ष के f उपकक्ष में प्रवेश करता है । अंतः संक्रमण तत्व कहलाते हैं । यह तत्व f - ब्लॉक के तत्व भी कहलाते हैं । इनमें दो श्रेणियां 4f एवं 5f उपस्थित होती हैं । यह तत्व आंतर संक्रमण तत्व भी कहलाते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉन (n-1) कोश अर्थात उपांतिम कोश के भीतर के कोश में भरे जाते हैं । इनमें कुल तत्वों की संख्या 28 है । इनके बाहरी 3 कक्ष अपूर्ण होते हैं ।
Ha(72) , Lr (103) , Ce ( 58) , Pr(59) 

f ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - (n-2 )f1-14 , (n-1)d0-1 , ns2 होता है ।

f ब्लॉक तत्वों का वर्गीकरण इन तत्वों को दो श्रेणियों 4f एवं 5f में बांटा गया है - 

1. प्रथम आंतर संक्रमण श्रेणी या लैंथेनाइड श्रेणी - वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 4f उपकोश में प्रवेश करते हैं , वे लैंथेनाइड या प्रथम आंतर संक्रमण श्रेणी के तत्व कहलाते हैं । यह तत्व आवर्त सारणी में लेंथेनम के बाद आते हैं इसलिए लैंथेनाइड कहलाते हैं । लैंथेनाइड श्रेणी में कुल 14 तत्व आते हैं । इस वर्ग में लेंथेनम(La-57)नहीं आता है , क्योंकि वह d-ब्लॉक का तत्व है ।यह तत्व आवर्त सारणी के नीचे पृथक रखे गए हैं ।

[ Ce (58) से Lu (71) ]

2. द्वितीय आंतर संक्रमण श्रेणी या एक्टिनाइड श्रेणी - वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 5f उपकोश में प्रवेश करते हैं , वे एक्टिनाइड या द्वितीय आंतर संक्रमण श्रेणी के तत्व कहलाते हैं । यह तत्व आवर्त सारणी में एक्टिनियम के बाद आते हैं इसलिए एक्टिनाइड कहलाते हैं । एक्टिनाइड श्रेणी में कुल 14 तत्व आते हैं । इस वर्ग में एक्टिनियम(Ac-89) नहीं आता है , क्योंकि वह d-ब्लॉक का तत्व है । यह तत्व आवर्त सारणी के नीचे पृथक रखे गए हैं ।

[ Th (90) से Lr (103) ]

प्रश्न - लैंथेनाइड के सामान्य गुण लिखिए ।

उत्तर - 1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - लैंथेनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [ Xe ] 4f1-14 , 5d0-1 , 6s2 हैै ।

2. ऑक्सीकरण अवस्थाएं - लैंथेनाइडो की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +3 है । यह ऑक्सीकरण अवस्था 6s2 एवं 5d से तीनों इलेक्ट्रॉनों के निकलने के कारण होती है । कुछ तत्व +2 एवं +4 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं ।

3. रंग (Colour) - लैंथेनाइड आयन रंगीन होते हैं इसका कारण आंशिक रूप से भरे हुए f - कक्षक होते हैं । इन आयनों का रंग f-f संक्रमण हेतु दृश्य प्रकाश के अवशोषण के कारण होता है ।
जैसे -  Pm3+ - हरा   ,   Tm3+ - हरा      ,   Nd3+ - गुलाबी

4. अनुचुंबकीय प्रकृति - 4f उपकोश में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण अधिकांश लैंथेनाइड आयन अनुचुंबकीय गुण प्रदर्शित करते हैं । केवल La3+ एवं Lu3+ आयन प्रतिचुंबकीय प्रकृति के होते हैं , क्योंकि इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं ।

5. आयनन ऊर्जाएं एवं विद्युत धनात्मक लक्षण - सामान्यता सभी लैंथेनाइडों की आयनन ऊर्जा निम्न होते हैं एवं यह सभी विद्युत धनात्मक प्रकृति के होते हैं । इन तत्वों की विद्युत धनात्मक प्रकृति इनके बड़े परमाणु आकार एवं आयनन ऊर्जा के निम्न मान के कारण होती है । 

6. गलनांक एवं क्वथनांक - लैंथेनाइडों के गलनांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं , किंतु परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ नियमित क्रम नहीं पाया जाता है ।

7. संकुल निर्माण - सभी लैंथेनाइड आयन EDTA के साथ संकुल बनाते हैं । छोटे आयन प्रबल संकुल बनाते हैं , किंतु लैंथेनाइडों में संकुल बनाने की प्रवृत्ति अधिक नहीं होती है , क्योंकि इनका आवेश घनत्व निम्न होता है । संकुल बनाने की प्रवृत्ति एवं संकुल का स्थायित्व परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ बढ़ता है।

प्रश्न - लैंथेनाइडों के उपयोग लिखिए ।

उत्तर - लैंथेनाइडों के उपयोग - 

1. गैस लैंप मेंटल बनाने में ( Ce , Th के ऑक्साइड )
 2. जेट इंजन के पार्ट्स बनाने में (30% मिशधातु एवं 1% Zr )
3. रंगीन कांच एवं फिल्टर बनाने में ( Pr2O3 एवं Nd2O4 )
4. पेट्रोलियम भंजन में उत्प्रेरक के रूप में ।
5. टेलीविजन स्क्रीन में ।

PART  7

प्रश्न - लैंथेनाइडों की पांच विशेषताएं लिखिए ।

विशेषतायें -
1.  यह f - ब्लॉक के तत्व हैं ।
2. यह चांदी के समान चमकदार धातुएं हैं ।
3. यह ऊष्मा तथा विद्युत के अच्छे चालक हैं ।
4. इनका गलनांक तथा घनत्व उच्च होता है ।
5. La से Lu तक इनकी परमाणु त्रिज्या में लगातार कमी होती है , इसे लैंथेनाइड संकुचन कहते हैं।
6. यह द्विक लवण बनाते हैं ।
7. लैंथेनाइड में संकुल बनाने की मध्यम क्षमता होती है तथा बाएं से दाएं चलने पर इसमें वृद्धि होती है ।
8. लैंथेनाइड के हाइड्रोक्साइड , आयनिक व क्षारकीय होते हैं ।

प्रश्न - लैंथेनाइड क्या है ? इनका प्रथक्करण कठिन क्यों है समझाइए ।
• लैंथेनाइड -  परमाणु क्रमांक 58 से 71 तक वाले तत्व अथवा लैंथेनम तत्वों से गुणों में समानता रखने वाले 14 तत्व,  लैंथेनाइड कहलाते हैं । यह तत्व लेंथेनम के समान गुण दर्शाते हैं । इन तत्वों के परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ-साथ इलेक्ट्रॉन f कक्षक में प्रवेश करता है , अतः यह f - ब्लॉक के तत्व भी कहलाते हैं ।
• लैंथेनाइड संकुचन के कारण तथा बाहरी दो कोश का विन्यास समान होने के कारण इन तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण अत्यधिक समानता रखते हैं । अतः इनका पृथक्करण कठिन होता है। इन्हे आयन विनिमय विधि द्वारा प्रथक किया जाता है ।

प्रश्न - लैंथेनाइड संकुचन से आप क्या समझते हैं ? कारण सहित व्याख्या कीजिए ।
अथवा
लैंथेनाइड संकुचन क्या है ? इसका क्या कारण है एवं इसके क्या परिणाम होते हैं ।
उत्तर - लैंथेनाइड संकुचन - लैंथेनाइड के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ उनके परमाणु एवं अणु के आकार में कमी होती है , इसे लैंथेनाइड संकुचन कहते हैं ।

लैंथेनाइड संकुचन का कारण -
• लैंथेनाइडों में आने वाला नया इलेक्ट्रॉन बाहरी कक्ष में ना जाकर (n - 2)f उपकोश में प्रवेश करता है । फलस्वरुप इलेक्ट्रॉन और नाभिक के मध्य आकर्षण बल में वृद्धि होती है , जिससे परमाणु या आयन संकुचित हो जाता है ।

लैंथेनाइड संकुचन के परिणाम -
1. लैंथेनाइडों के गुणों में परिवर्तन - लैंथेनाइड संकुचन के कारण इनके रासायनिक गुणों में बहुत कम परिवर्तन होता है अतः शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना अत्यंत कठिन होता है ।

2. अन्य तत्वों के गुणों पर प्रभाव - लैंथेनाइड संकुचन का लैंथेनाइडों से पूर्व आने वाले तथा इनके बाद आने वाले तत्वों के आपेक्षिक गुणों पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है ।
जैसे - टाइटेनियम और जिरकोनियम के गुणों में भिन्नता होती है , जबकि जिरकोनियम (Zr) और हाफनियम(Hf) के गुणों में काफी समानता होती है।

3. सह संयोजक लक्षण - लैंथेनाइड संकुचन के कारण आयनों की धnayन क्षमता बढ़ती है जिससे सह संयोजक लक्षण बढ़ता है तथा क्षारीय प्रकृति घटती है । La(OH)3 सबसे अधिक क्षारीय जबकि Lu(OH)3 सबसे कम क्षारीय होता है ।

प्रश्न - दिए गए निम्न परमाणु संख्याओं में से अंतर संक्रमण तत्वों के परमाणु संख्याओं का निर्धारण कीजिए - 29, 59, 74, 95, 102 , 104.

उत्तर - इनमें लैंथेनाइड 58 से 71 तक एवं एक्टिनाइड 90 से 103 तक होते हैं । अतः परमाणु क्रमांक 59 , 95  एवं 102 वाले तत्व अंतर संक्रमण तत्व हैं ।

प्रश्न - एक्टिनाइड श्रेणी का अंतिम तत्व कौन सा है  ? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए एवं इस तत्व की संभावित ऑक्सीकरण अवस्था पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर - एक्टिनाइड श्रेणी का अंतिम तत्व लौरेंशियम( Lr- 103 ) है । इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [ Rn ] 5f14 , 6d1 , 7s2 है एवं संभावित ऑक्सीकरण अवस्था +3 है ।

प्रश्न - परमाणु क्रमांक 61 , 91 , 101 एवं 109 वाले तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए ।
उत्तर -
Z=    61    [ Xe ] 4f5  ,  5d0 , 6s2
Z=    91    [ Rn ] 5f2 ,   6d1 , 7s2
Z = 101    [ Rn ] 5f13 , 6d0 , 7s2
Z = 109    [ Rn ] 5f14 , 6d7 , 7s2


Part 8
प्रश्न - d एवं f - ब्लॉक के तत्व में अंतर लिखिए ।

प्रश्न - लैंथेनाइड एवं एक्टिनाइड में अंतर लिखिए ।





प्रश्न - एक्टिनाइड किसे कहते हैं ? इनका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दीजिए एवं उनके द्वारा प्रदर्शित ऑक्सीकरण अवस्थाओं का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर - एक्टिनाइड - एक्टिनियम(Ac-89) से लौरेंशियम (Lr-103) तक के तत्वों को एक्टिनाइड कहते हैं तथा एक्टिनियम का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 5f0 , 6d1 , 7s2 होता है । इसके बाद के 14 तत्व में क्रमानुसार 14 इलेक्ट्रॉन रिक्त 5f ऑर्बिटल में भरते हैं । क्योंकि इन तत्वों के बाह्यतम और उपांतिम कोशो में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान रहती है । इसलिए सभी एक्टिनाइड एक दूसरे से गुणों में बहुत समानता रखते हैं । 


इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - एक्टिनियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [ Rn ] 6d1 , 7s2 है । थोरियम(90) से आगे 5f उपकोश क्रम से पूरित होता है । 5f तथा 6d की उर्जा समान होती है , इसलिए 5f और 6d उपकोशों के पूर्ण होने के क्रम में संदेह है । 

उदाहरणार्थ - यह निश्चितता से नहीं कहा जा सकता कि थोरियम में कोई 5f है या नहीं । इसकी दो संभावनायें हैं , जैसे [ Rn ] 5f0 , 6d2 , 7s2 अथवा [ Rn ] 5f1 , 6d1 , 7s2



ऑक्सीकरण अवस्था - एक्टिनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है । इसके अतिरिक्त यह है +2 , +4 , +5 और +6 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रकट करते हैं । लैंथेनाइडों की अपेक्षा एक्टिनाइड श्रेणी के प्रारंभ के प्रत्येक सदस्यों की अनेक ऑक्सीकरण अवस्थाएं होती हैं । इनमें से कुछ तत्व संक्रमण श्रेणी के तत्वों से अधिक समानता प्रदर्शित करते हैं । जैसे - Th +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है और उसका व्यवहार चतुर्थ समूह के तत्वों के समान होता है । 

इसी प्रकार यूरेनियम +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है और यह बहुत से गुणों में षष्टम समूह के तत्वों से मिलता जुलता है । परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ एक्टिनाइडों में +3 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक से अधिक स्थाई होती जाती है ।  




प्रश्न - लैंथेनाइड एवं एक्टिनाइड में समानताएं लिखिए ।

उत्तर - लैंथेनाइड एवं एक्टिनाइड में समानताएं - 

1. दोनों f - ब्लॉक तत्वों के सदस्य हैं ।

2. दोनों अपने ही श्रेणी के सदस्यों से गुणों में समानता प्रदर्शित करते हैं ।


3. दोनों की सामान्य एवं सर्वाधिक स्थाई ऑक्सीकरण अवस्था 3 है ।


4. दोनों बहुत क्रियाशील एवं विद्युत धनात्मक प्रकृति के होते हैं ।


5. दोनों के सदस्य अनुचुंबकीय प्रकृति के होते हैं ।


6. दोनों आंतर संक्रमण तत्व कहलाते है ।



प्रश्न - एक्टिनाइड के उपयोग लिखिए ।

उत्तर - एक्टिनाइड के उपयोग - 

1. थोरियम , यूरेनियम एवं प्लूटोनियम नाभिकीय रिएक्टर में ईंधन के रूप में बहुत उपयोगी होते हैं  ।
2. थोरियम ऑक्साइड का उपयोग गैस मेन्टल बनाने में किया जाता है ।
3. थोरियम लवण का उपयोग चिकित्सा में कैंसर के उपचार में किया जाता है ।
4. यूरेनियम एवं इसके लवण का उपयोग कांच उद्योग , वस्त्र एवं सिरेमिक उद्योग में किया जाता है ।
5. प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु बम बनाने में तथा परमाणु भट्टी में ईंधन के रूप में भी किया जाता है ।

प्रश्न - भारी लैंथेनाइड , इट्रियम अर्थ क्यों कहलाते हैं ?

उत्तर - भारी लैंथेनाइड , इट्रियम प्राकृतिक खनिजों में साथ - साथ पाए जाते हैं व गुणों में समानता रखते हैं ।

प्रश्न - Pd , Pt , Os , Or , Ru व  Rh प्लेटिनम तत्व कहलाते हैं , क्यों ?
उत्तर - सभी प्लेटिनम के समान गुण रखते हैं , इसलिए प्लेटिनम तत्व कहलाते हैं ।

प्रश्न - लैंथेनाइड d - ब्लॉक का तत्व है फिर भी d - ब्लॉक तत्व लेंथेनम के नाम पर लैंथेनाइड कहलाते हैं , क्यों ?

उत्तर - इनके गुण लैंथेनाइड तत्वों से बहुत अधिक समानता रखते हैं , इसलिए लैंथेनाइड कहलाते हैं ।



कक्षा 12th || अध्याय 8 ||
d एवं f-ब्लॉक के तत्व
H.K Sir (CHEMISTRY)



Important questions for BOARD Exam
प्रश्न - 1.
लैंथेनाइड एवं एक्टिनाइड में अंतर लिखिए ।

प्रश्न - 2.
d - ब्लॉक एवं f - ब्लॉक के तत्वों में अंतर लिखिए ।

प्रश्न - 3.
संक्रमण तत्व किन्हें कहते हैं ? इनको कितनी श्रेणियों में बांटा गया है ? समझाइए ।

प्रश्न - 4.
संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता में प्रदर्शित करते हैं क्यों

प्रश्न - 5.
संक्रमण तत्व रंगीन आयन बनाते हैं , क्यों ?

प्रश्न -6.
लैंथेनाइड क्या है ? इनका प्रथक्करण कठिन क्यों है , समझाइए ।

प्रश्न -7.
d - ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए ।

प्रश्न - 8.
d - ब्लॉक तत्वों के निम्न गुणों का वर्णन कीजिए - 
1.  रंगीन आयन व यौगिकों का निर्माण
2.  मिश्रधातु का निर्माण

प्रश्न  9.
f - ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए एवं लैंथेनाइड और एक्टिनाइड के दो - दो उपयोग लिखिए ।

प्रश्न  10.
कारण दीजिए-
A. संक्रमण तत्व मिश्र धातु में क्यों बनाते हैं ?

B. लैंथेनाइड संकुचन का क्या कारण है ?

C. संक्रमण तत्व ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं , क्यों ?

D. क्यूप्रस आयन (Cu+) रंगहीन हैं , जबकि क्यूप्रिक आयन (Cu++) आयन रंगीन है , क्यों ?

प्रश्न - 11.
a. जिंक केवल +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है , क्यों ?
b. संक्रमण तत्व अधिकतर संकुल यौगिक बनाते हैं , क्यों ?
c. संक्रमण तत्व अच्छे उत्प्रेरक होते हैं , क्यों ?


प्रश्न  12.
संक्रमण तत्व क्या है ? संक्रमण तत्वों के कोई चार अभिलाक्षणिक गुण लिखिए ।

प्रश्न  13.
संक्रमण तत्व अनुचुंबकीय क्यों होते हैं ?

प्रश्न  14.
पोटेशियम परमैग्नेट के अम्लीय माध्यम में कोई चार ऑक्सीकारक गुणों को समीकरण द्वारा समझाओ ।

प्रश्न  15.
१. लैंथेनाइड  तत्व क्या है ?
२. लैंथेनाइड संकुचन से आप क्या समझते हो ।
३. क्रोमिल क्लोराइड परीक्षण समीकरण सहित लिखिए ।


प्रश्न -16. 
पायरोलुसाइट से KMnO4 बनाने की विधि ,  रासायनिक समीकरण सहित लिखिए ।

प्रश्न -17.
क्रोमाइट अयस्क से पोटेशियम डाइक्रोमेट किस प्रकार बनाया जाता है ? समीकरण सहित लिखिए ।

प्रश्न  18.
लैंथेनाइड संकुचन क्या है ? इसका क्या कारण है ।


प्रश्न - 19.
Fe2+  व  Fe3+ के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए । दोनों में कौन अधिक अनुचुंबकीय है ? बताइए ।

                              अथवा

Fe2+  आयन की त्रिज्या,  Mn2+ आयन की त्रिज्या से कम होती है , क्यों ?

प्रश्न -20.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में गुणों में परिवर्तन की विवेचना कीजिए -
a.  परमाणु त्रिज्या
b. आयनन ऊर्जा
c. धात्विक लक्षण
d. ऑक्सीकरण अवस्थाएं ।


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