CH-8 Biology
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मलेरिया परजीवी के वाहक का नाम लिखिए।
उत्तर
मादा एनाफिलीज मच्छर।
प्रश्न 2.
HIV का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
ह्यूमन इम्यूनो-डेफिसियेंसी वाइरस।
प्रश्न 3.
डिफ्थीरिया, पोलियो एवं कुकुर खाँसी से बचाव हेतु लगाये जाने वाले टीके का नाम लिखिए।
उत्तर
D.PT. वैक्सीन एवं पोलियो वैक्सीन
प्रश्न 4.
ELISA का नाम लिखिए।
उत्तर
एन्जाइम लिन्क्ड इम्यूनो सॉर्बेन्ट असे।
प्रश्न 5.
कीमोथैरेपी से किस रोग का इलाज किया जाता है ?
उत्तर
कैन्सर का।
प्रश्न 6.
ओपियम का स्रोत क्या होता है?
उत्तर
अफीम।
प्रश्न 7.
उत्तेजक पदार्थों के तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर
कैफीन, कोकीन, एम्फीमाइन्स!
प्रश्न 8.
तम्बाकू में पाये जाने वाले हानिकारक रासायनिक यौगिक का नाम लिखिए।
उत्तर
निकोटिन।
प्रश्न 9.
LSD के स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर
क्लैविसेप्स परप्यूरिया
प्रश्न 10.
ट्रैकुलाइजर का एक उदाहरण भी दीजिये।
उत्तर
फेनोथाइएजीन।
प्रश्न 11.
मनुष्यं के विचार एवं भावनाओं को परिवर्तित करके भ्रम की स्थिति पैदा करने वाली औषधियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर
सायकोडेलिक।
प्रश्न 12.
HIV संक्रमण से होने वाली बीमारी कौन-सी है ?
उत्तर
AIDSI
प्रश्न 13.
एड्स का परीक्षण किसके द्वारा किया जाता है ?
उत्तर
ELISA परीक्षण द्वारा।।
प्रश्न 14.
वर्तमान में देश के विभिन्न भागों में चिकनगुनिया रोग की पुष्टि हुई है। इस रोग के लिए उत्तरदायी वाहक (वेक्टर) का नाम लिखिए।
उत्तर
चिकनगुनिया रोग के लिए वेक्टर का नाम एडीज मच्छर है।
प्रश्न 15.
प्रतिरक्षा कितने प्रकार की होती है ? नाम लिखिए।
उत्तर
प्रतिरक्षा दो प्रकार की होती है, जिन्हें क्रमशः सहज तथा उपार्जित प्रतिरक्षा कहते हैं।
प्रश्न 16.
वयस्क कृमि वुचेरिया शरीर में कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर
वयस्क कृमि लिम्फ ग्रंथियाँ व लिम्फ मार्ग में पाया जाता है।
प्रश्न 17.
अर्बुद कितने प्रकार के होते हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर
अर्बुद दो प्रकार के होते हैं-
- सुदम (बिनाइन) और
- दुर्दम (मैलिग्नेंट)।
प्रश्न 18.
एड्स रोग से शरीर को कौन-सी प्रमुख हानि होती है ?
उत्तर
एड्स रोग में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 19.
गुटका सेवन करने वाले व्यक्ति के जबड़े की मांसपेशियाँ कठोर हो जाने के कारण उसका जबड़ा ठीक से नहीं खुलता है। संभावित रोग का नाम बताइए।
उत्तर
सबम्यूकस फाइब्रोसिस रोग होता है।
प्रश्न 20.
डी. पी. टी. (DPT) टीके का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
डिफ्थीरिया पटुंसिस टिटेनस।
प्रश्न 21.
कैंसर में दी जाने वाली दवाओं व उपचार के पार्श्व प्रभाव (Side effect) बताइए।
उत्तर
बालों का झड़ना एवं एनीमिया ।
प्रश्न 22.
NACO का पूरा नाम बताइए।
उत्तर
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन।
प्रश्न 23.
मरीजुआना किस पौधे का सत्व (Extract) है ? नाम बताइए।
उत्तर
भांग (केनाविस सेटाइवा)।
प्रश्न 24.
अफीम, मार्फीन, हेरोइन, पेथीडीन तथा मेथेडॉन को सामूहिक रूप से क्या कहते
उत्तर
ओपिमेट नार्कोटिक्स।
प्रश्न 25.
मैरी मैलॉन का उपनाम क्या है ?
उत्तर
मैरी मैलॉन का उपनाम “टाइफॉइड मैरी है।
प्रश्न 26.
मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने के बाद HIV जिन दो कोशिकाओं को गुणित करता है, उनके नाम लिखिए।
उत्तर
मैक्रोफेजेज तथा सहायक T-लिम्फोसाइड्स।
प्रश्न 27.
न्यूमोनिया रोग में शरीर के कौन से अंग संक्रमित होते हैं ?
उत्तर
फुफ्फुस (Lungs) के वायुकोष्ठ (Alveoli) संक्रमित होते हैं।
प्रश्न 28.
तीव्र ज्वर, भूख की कमी, पेट में दर्द तथा कब्ज से पीड़ित लक्षणों के आधार पर चिकित्सक किस प्रकार पुष्टि करेगा कि व्यक्ति को टाइफॉइड है, अमीबिसिस नहीं?
उत्तर
टाइफॉइड रोग की पुष्टि विडाल परीक्षण के द्वारा की जाती है।
प्रश्न 29.
एल. एस. डी. (LSD) का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
लाइसार्जिक अम्ल डाइएथिल एमाइड्स।
प्रश्न 30.
कैंसर उत्पन्न करने वाले विषाणु क्या कहलाते हैं ?
उत्तर
कैंसर उत्पन्न करने वाले विषाणु अर्बुदीय विषाणु (ओन्कोजेनिक वाइरस) कहलाते हैं।
प्रश्न 31.
विशिष्ट इम्यूनिटी को प्राप्त करने के लिए आवश्यक दो मुख्य कोशिकाओं के समूहों के नाम लिखिए।
उत्तर
- T-लिम्फोसाइट्स
- B-लिम्फोसाइट्स।
प्रश्न 32.
लसीकाभ अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर
वे अंग जिनमें लसीकाणुओं की उत्पत्ति, परिपक्वन एवं प्रयुरोद्भवन होता है, लसीकाभ अंग कहलाता है।
उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मेटास्टेसिस का क्या मतलब है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर
अर्बुद कोशिकाएँ सक्रियता से विभाजित और वर्धित होती हैं जिससे वे अत्यावश्यक पोषकों के लिए सामान्य कोशिकाओं से स्पर्धा करती है और उन्हें पोषण के अभाव में रखती हैं। ऐसे अर्बुदों से उतरी हुई कोशिकाएँ रक्त द्वारा दूरदराज स्थलों पर पहुँच जाती हैं और जहाँ ये भी पहुँचती हैं नये अर्बुद बनाना प्रारंभ कर देती है। मेटास्टेसिस कहलाने वाला यह गुण दुर्दम अबुंदों का सबसे खतरनाक गुण है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
(1) प्रतिरोधकता
(2) वैक्सीन
(3) इन्टरफेरॉन
(4) टीकाकरण।
उत्तर
(1) प्रतिरोधकता-प्रत्येक जीव में रोगों से लड़ने या बचाव की क्षमता पायी जाती है। जीवों की रोगों से लड़ने की इस क्षमता को प्रतिरोधकता या प्रतिरक्षा कहते हैं।
(2) वैक्सीन-ऐसी औषधि जिसमें किसी रोग के कमजोर रोग कारक जीव होते हैं तथा उसका उपयोग रोग के प्रति प्रतिरोधकता को उत्पन्न करने में किया जाता है, उसे ही वैक्सीन कहते हैं। उदाहरण-पोलियो वैक्सीन।
(3) इन्ट फेरॉन-हमारी कोशाओं से बने ऐसे प्रोटीन जो विषाणुओं तथा कुछ दूसरे पदार्थों के कोशिका में प्रवेश करने से बनते हैं। इन्टरफेरॉन कहलाते हैं। ये रोगाणुओं व विषाणुओं के प्रभाव को नष्ट कर रोगों से बचाते हैं।
(4) टीकाकरण - टीकाकरण वह उपाय है जिसके द्वारा किसी जीव में किसी रोग के प्रति उपार्जित प्रतिरोधकता पैदा की जाती है।
प्रश्न 3.
जन्मजात एवं अर्जित प्रतिरोधकता में अन्तर लिखिए।
उत्तर
प्रश्न 4.
स्वप्रतिरोधकता किसे कहते हैं ?
उत्तर
स्व प्रतिरोधकता (Auto-immunity)-वह प्रतिरोधकता जो जीवों में अपनी ही रचनाओं के खिलाफ पैदा हो जाती है, स्व-प्रतिरोधकता कहलाती है। यह प्रतिरोधकता कई बीमारियों को पैदा कर देती है। ये बीमारियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि शरीर कि रचना के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हुई है।
उदाहरणस्वरूप - यदि शरीर में R.B.Cs. के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हुई है, तो यह अपनी ही R.B.Cs को नष्ट करके ऐनीमिया रोग पैदा करती है, लेकिन यदि पेशी कोशिकाओं के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो जाए तो यह पेशी कोशिकाओं को नष्ट करके शरीर में कमजोरी पैदा करती है। इसी प्रकार यदि यकृत कोशिकाओं के प्रति प्रतिरोधकता विकसित होती है, तो यह यकृत कोशिकाओं को नष्ट करके हिपेटाइटिस रोग पैदा करती है, अतः स्व-प्रतिरोधकत. डिजनरेटिव बीमारियों को पैदा करती है।
प्रश्न 5.
एलर्जन क्या है ? एलर्जी किस प्रकार उत्पन्न होती है ?
उत्तर
एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों को एलर्जन कहते हैं। एलर्जन का प्रारम्भिक उद्भासन शरीर में अति संवेदनशीलता उत्पन्न करता है लेकिन एलर्जी उत्पन्न नहीं करता है। शरीर बाद में प्राथमिक प्रतिरक्षित अनुक्रिया विकसित कर लेता है, जिसमें B कोशाएँ प्रतिरक्षा उत्पन्न करती हैं किन्तु लगातार आक्रमण से कई बार प्रतिरक्षियाँ परास्त हो जाती हैं। इस संघर्ष मे हिस्टामाइन नामक रसायन शरीर में उत्पन्न होकर द्वितीयक प्रतिरक्षित अनुक्रिया अथवा एलर्जी उत्पन्न करता है, इसे वीभत्स खुराक कहते हैं। इससे त्वचा पर खुजली, दरारें, आँखों से पानी निकलना, हाँफना, छींकना, सूजन आदि लक्षण दिखायी पड़ते हैं।
प्रश्न 6.
B-कोशिका एवं T-कोशिका क्या है ?
अथवा
T-कोशिका क्या है?
उत्तर
श्वेत रुधिर कोशिकाएँ (लिम्फोसाइट्स) शरीर प्रतिरक्षात्मक तन्त्र की मुख्य कोशिकाएँ होती हैं। शरीर प्रतिरक्षात्मक तंत्र की लिम्फोसाइट्स दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें B-कोशिका एवं T-कोशिका कहते हैं। ये दोनों कोशिकाएँ भ्रूणीय अवस्था में यकृत कोशिकाओं और वयस्क अवस्था में अस्थिमज्जा की कोशिकाओं द्वारा बनती हैं। रे दोनों कोशिकायें परिपक्व होने के बाद शरीर के रुधिर एवं लसीका के साथ परिसंचरित होती रहती हैं । T-कोशिकाएँ कोशिकीय प्रतिरक्षा तथा B-कोशिकाएँ प्रतिरक्षियों के निर्माण करने का कार्य करती हैं।
प्रश्न 7.
D.P.T. का टीका किन-किन रोगों से बचाव करता है ? प्रत्येक बीमारी के रोग कारक का नाम लिखिये।
उत्तर
यह टीका निम्नलिखित तीन बीमारियों से बचने के लिए लगाया जाता है
- डिफ्थीरिया
- कुकुर खाँसी
- टिटेनस।
रोगकारक का नाम जीवाणु
- डिफ्थीरिया – कोर्नीबैक्टीरिया डिफ्थेरी
- कुकुर खाँसी – बोर्डेटेला पुर्टसिस (जीवाणु)
- टिटेनस – क्लॉस्ट्रीडियम टिटैनी।
प्रश्न 8.
सुजननिकी किसे कहते हैं ?
उत्तर
सुजननिकी (Eugenics)-सुजननिकी वह विधि है, जिसके द्वारा भावी मानव पीढ़ी को आनुवंशिक आधार पर सुधारने का प्रयास किया जाता है। आजकल यह जीव विज्ञान की एक शाखा का रूप ले चुकी है। सुजननिकी में मानव सुधार के लिए दो कार्य किये जाते हैं। पहले कार्य द्वारा शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों को प्रजनन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
प्रश्न 9.
एलर्जी क्या है ? इसके कारणों को समझाइए।
अथवा
एलर्जी का प्रतिरक्षात्मक तन्त्र से क्या संबंध है ?
उत्तर
जब हमारे शरीर में ऐसा पदार्थ प्रवेश करता है, जिसके प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो गया है, तब अचानक तीव्रता से हमारे शरीर में प्रतिरोधात्मक क्रियाएँ होने लगती हैं, जो पूरे शरीर में शोथ, जलन, खुजली या दाने के रूप में दिखाई देती हैं, इन्हीं सभी क्रियाओं को एक साथ एलर्जी कहते हैं। अतः एलर्जी हमारे शरीर में उच्च प्रतिरोधकक्षमता का प्रतीक है। धूल तथा परागकणों, सौन्दर्य प्रसाधनों, विविध रसायनों तथा रोगकारकों के कारण एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं।
प्रश्न 10.
टीकाकरण प्रतिरक्षा में किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर
टीकाकरण वह उपाय है जिसके द्वारा किसी जीव में किसी रोग के प्रति प्रतिरोधकता को पैदा किया जाता है। इस तकनीकी में कमजोर रोगकारक जीव को शरीर में प्रवेश करा दिया जाता है तब शरीर का प्रतिरक्षात्मक तंत्र प्रेरित होकर इस रोगकारक के प्रति प्रतिरक्षियों का निर्माण करके रोगप्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास कर लेता है, और जब वास्तविक रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तब ये प्रतिरक्षी उसे नष्ट कर देते हैं और रोग से जीव की रक्षा हो जाती है। रोगकारकों या रोगाणुओं के कृत्रिम रूप से प्रवेश कराने वाले कारक को टीका कहते हैं। आजकल बच्चों को पोलियो, टिटेनस, डिप्थीरिया, कुकुर खाँसी, चेचक आदि के टीके लगाये जाते हैं।
प्रश्न 11.
औषधि व्यसन क्या है ? इसके क्या कारण होते हैं ?
उत्तर
शारीरिक तथा मानसिक रूप से नशीली दवाओं एवं नशीले पदार्थों पर निर्भरता व्यसन (Addition) कहलाता है।
सामाजिक दबाव या उत्सुकतावश नशीले पदार्थों का सेवन करके उत्तेजन तथा रोमांच का अनुभव होता है। व्यक्ति तीव्र इच्छा शक्ति के अभाव में लगातार सेवन करता है और एक समय ऐसा आता है कि वह चाहकर भी नहीं छोड़ पाता इस स्थिति को व्यसन कहते हैं। इसके प्रमुख कारण हैं-
- उत्सुकता
- उत्तेजना एवं अपूर्व आनन्द की प्राप्ति
- अधिक कार्यक्षमता की इच्छा
- कल्पना लोक की सैर
- सामाजिक दबाव
- निराशाओं और चिन्ता से छुटकारा
- पारिवारिक इतिहास
- व्यापारिक प्रचार एवं असामाजिक तत्व
- दर्द से आराम
- स्वर्गलोक की सैर।
प्रश्न 12.
शामक एवं ट्रैकुलाइजर्स में क्या अन्तर है ?
उत्तर
शामक एवं ट्रैकुलाइजर्स में अन्तर.
प्रश्न 13.
L.S.D. के स्रोत का नाम लिखिए। इसके कुप्रभावों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर
लाइसर्जिक एसिड डाइएथिलेमाइड (L.S.D.) हल्का नशीला पदार्थ जो मस्तिष्क पर अस्थायी असर डालता है। इसे क्लेविसेप्स परप्यूरिया नामक कवक के वर्धा भाग से प्राप्त किया जाता है। ये कवक राई के पौधे में एर्गाट (Ergot) नामक बीमारी पैदा करता है। इससे राई के बाल के दानों में इस कवक के तन्तु गुच्छे के रूप में विकसित होते हैं इसे एर्गाट कहते हैं। एर्गाट को एकत्रित कर इसके अर्क से L.S.D. प्राप्त करते हैं।
प्रभाव-मनुष्य के मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है जिससे उसके व्यवहार तथा रहन-सहन के तरीकों में काफी परिवर्तन आ जाता है। रक्त चाप बढ़ जाता है। गर्भवती महिला ज्यादा प्रयोग करें तो गर्भपात भी हो सकता है।
प्रश्न 14.
मानव शरीर एवं समाज पर ऐल्कोहॉल के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
मानव शरीर व समाज पर ऐल्कोहॉल के प्रभाव-
- मस्तिष्क नियंत्रण की शक्ति समाप्त हो जाती है।
- गलत-सही सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है। मस्तिष्क की अक्रियता में सारे संबंध भूल जाता है।
- ज्यादा सेवन से आमाशय, हृदय, यकृत, वृक्क एवं अन्य अंगों की पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं।
- रोग प्रतिरोधक शक्ति समाप्त हो जाती है ।
- ऐल्कोहॉल के आदी व्यक्ति की पुतलियाँ फैल जाती हैं ।
- कुछ दिनों बाद प्रायः व्यक्ति अपराधिक प्रवत्ति का हो जाता है।
प्रश्न 15.
व्यसन के प्रत्याहारी लक्षणों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर
व्यसन के प्रत्याहारी लक्षण इस बात का संकेत देते हैं कि व्यक्ति औषधि/एल्कोहॉल व्यसन के अंतिम दौर में है तथा अब उसकी शरीर और अधिक औषधि सेवन/ऐल्कोहॉल के उपयोग के लायक नहीं रह गया है। ये लक्षण हैं
- शरीर में कंपकपी होनी (Tremois)
- मिचली आना (Nausea)
- उल्टी होना (Vomiting)
- कमजोरी लगना (Weakness)
- अनिद्रा (Insomnia)
- उत्कंठा (Anxiety)
प्रश्न 16.
साइकोट्रापिक औषधि किसे कहते हैं ?
उत्तर
साइकोटापिक औषधियाँ-ऐसी औषधियाँ मुख्यत: मनुष्य की चिन्तन शक्ति एवं मानसिक प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। इनके सतत् उपयोग से व्यक्ति के व्यवहार, होशो-हवाश एवं बोधगम्यता में परिवर्तन हो जाता है। अतः इन्हें मनोदशा परिवर्तक औषधि भी कहा जाता है। इन औषधियों के लगातार सेवन से व्यक्ति उनका आदी हो जाता है, वह इन औषधियों पर पूर्ण रूप से निर्भर हो जाता है तथा इनके उपयोग के बिना नहीं रह पाता है।
प्रश्न 17.
शामक औषधियाँ क्या हैं ये कितने प्रकार की होती हैं ? इनके प्रभाव लिखिए।
उत्तर
शामक औषधियाँ- इसके अंतर्गत ऐसी औषधियों को सम्मिलित किया गया है जो सीधे मस्तिष्क अर्थात् केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को निष्क्रिय कर देती हैं। ये शरीर को निश्चिन्त, सुस्त तथा स्वतंत्र कर देती है। इनकी अधिक मात्रा में सेवन से नींद आने लगती है। निद्रा उत्पन्न करने वाली इन औषधियों को हिप्नोटिक्स भी कहा जाता है। उदाहरण-बरबीचुरेट्स एवं बेन्जोडाइएजोपिन्स।
1. बरबीचुरेट्स- यह संश्लेषित औषधि होती है जिसे बरबीचुरिक अम्ल से तैयार किया जाता है। इनके प्रयोग से व्यक्ति हतोत्साहित हो जाता है तथा उसे नींद आ जाती है। इसी कारण इन्हें निद्राकारी पिल्स भी कहते हैं। ये व्यक्ति की क्रियात्मक सक्रियता तथा चिन्ता या उत्कंठा को कम करती है। यह निद्रा लाती है। इनके लगातार उपयोग से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है। व्यक्ति को इनकी आदत से छुटकारा दिलाना कठिन हो जाता है। लम्बी अवधि तक इसके प्रयोग से व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगती है। हकलाकर बोलने लगता है। उदाहरण-हेक्साबारबिटॉल, मीथोहेक्सीटॉल।
2. बेन्जोडाइएजोपिन्स-ये प्रति उत्कंठात्मक या एन्टी-एन्जाइटी औषधियाँ होती हैं। इनके उपयोग से नींद आती है। उदाहरण–वेलियम, डाइएजोपॉम आदि।
प्रश्न 18.
इन्टरफेरॉन क्या है ?
उत्तर
इन्टरफेरॉन जन्तु की जीवित कोशाओं द्वारा उत्पन्न वे शक्तिशाली विषाणु प्रतिरोधी पदार्थ हैं जो वाइरल रोगों के कारण उत्पन्न होते हैं। ये विषाणु के प्रथम संक्रमण के बाद उत्पन्न होते हैं तथा विषाणु के द्वितीय आक्रमण से जीव की रक्षा करते हैं। ये विषाणु रोगों की रोकथाम ठीक उसी तरह करते हैं जिस प्रकार प्रतिजैविक जीवाणु रोगों की रोकथाम करते हैं लेकिन जन्तु इन्टरफेरॉन मानवों पर प्रभावी नहीं है। जैव तकनीकी को सहायता से इन्हें मानव शरीर से बाहर भी व्यवसायिक स्तर पर प्राप्त किया जा सकता है।
मानव स्वास्थ्य तथा रोग दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कैंसर क्या है ? कैंसर के प्रकार लिखिए तथा कैंसर रोग के प्रमुख कारण लिखिए।
अथवा
कैंसर रोग होने के कारण प्रस्तुत करते हुए इस रोग के लक्षण लिखिए।
उत्तर
जब कोशिका विभाजन एवं कोशिका वृद्धि असामान्य होती है, तो इसके कारण ट्यूमर का निर्माण होता है, जिसे कैंसर कहते हैं। अत: कैंसर एक प्रकार की असंगठित ऊतक वृद्धि की बीमारी है, जो कोशिकाओं में अनियन्त्रित विभाजन तथा विकास के कारण होती है। जिन कोशिकाओं की अनियन्त्रित वृद्धि के कारण कैंसर होता है, उन्हें नियोप्लास्टिक (Neoplastic) कोशिकाएँ कहते हैं।
कैंसर के प्रकार (Types of Cancer)-कैंसर को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है-
1. सार्कोमास (Sarcomas).-संयोजी ऊतक का कैंसर है। 2% व्यक्तियों में यह रोग होता है।
2. कासनोमास (Carcinomas)-यह कैंसर एपिथीलियम कोशिकाओं में होता है। स्तन ग्रन्थि, फेफड़ा, आमाशय एवं अग्नाशय कैंसर। 85% कैंसर इसी प्रकार का होता है।
3. लिम्फोमास (Cancer of Lymphatic Tissue)-यह लसीका ऊतकों में पाया जाने वाला कैंसर है। इस प्रकार के कैंसर में लसीका गाँठे (Lymph nodes) तथा प्लीहा (Spleen) अधिक मात्रा में (Lymphocytes) बनाती है।
4. ल्यूकेमियास (Leukemias)–यह रुधिर कोशिकाओं में पाया जाता है। इसे रुधिर कैंसर भी कहते हैं। उपर्युक्त प्रकारों के अलावा भी कुछ विशेष प्रकार के कैंसर पाये जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं
(a) मेलेनोमास (Melanomas)–वर्णक कोशिकाओं का कैंसर।
(b) ग्लियोमास (Gliomas)-तंत्रिका कोशिका का कैंसर।
(c) टीरेटोमास (Teratomas)-यह कोशिका विभाजन एवं भ्रूणीय विकास से संबंधित है।
कैंसर के कारण-कैंसर उत्पन्न करने वाले भौतिक व रासायनिक कारकों को कार्सिनोजेन कहते हैं। कैंसर के प्रमुख कारक या कारण निम्नानुसार हैं
- धूम्रपान के कारण मुख व फेफड़ों का कैंसर होता है। इसी प्रकार सुपारी तथा कुछ दूसरे रसायन भी कैंसर पैदा करते हैं।
- ज्यादा उम्र में हॉर्मोनल सन्तुलन बिगड़ने के कारण भी कैंसर होता है।
- कुछ विषाणुओं के संक्रमण के कारण भी कैंसर होता है।
- उत्परिवर्तन के कारण भी कैंसर पैदा होता है।
- सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें, प्रदूषक तथा रेडियोऐक्टिव किरणें भी कैंसर पैदा करती हैं।
कैंसर के लक्षण -कैंसर के प्रमुख लक्षण निम्नानुसार होते हैं
- किसी घाव का 7 भरना तथा असाधारण और बार-बार रक्तस्राव का होना या अन्य स्राव का निकलना। विशेषकर स्त्रियों में मासिक धर्म बन्द हो जाने के बाद प्रायः ऐसा होना
- बिना दर्द के असाधारण गाँठ या शरीर के किसी भी भाग का बढ़ जाना विशेषकर स्त्रियों के स्तन में गाँठ पड़ जाना या असाधारण वृद्धि होना।
- गले की खराबी या गले का रोग जो ठीक होने तथा भरने का नाम न ले।
- ‘पाखाने तथा मूत्र विसर्जन की आदतों में परिवर्तन होना।
- बार-बार अपच होना तथा खाने की चीजों को निगलने में परेशानी होना
- मस्सों एवं तिल (Wart and mole) के रंग तथा आकार में अचानक परिवर्तन का होना ।
- किसी भी अल्सर का इलाज के बाद भी ठीक न होना।
प्रश्न 2.
प्रतिरक्षात्मक तंत्र क्या है ? मनुष्य के प्रतिरक्षात्मक तंत्र के विभिन्न घटकों एवं उनकी भूमिकाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
प्रतिरक्षात्मक तंत्र–एक विशेष श्वेत रुधिर कोशिकाएँ या ल्यूकोसाइट्स जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहते हैं, शरीर प्रतिरक्षात्मक तन्त्र की मुख्य कोशिकाएँ होती हैं। प्रतिरक्षात्मक तन्त्र की लिम्फोसाइट्स दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें B-कोशिका और T-कोशिका कहते हैं। ये दोनों कोशिकाएँ भ्रूणीय अवस्था में यकृत कोशिकाओं और वयस्क अवस्था में अस्थिमज्जा की कोशिकाओं द्वारा बनती हैं। इनमें से T-कोशिकाएँ कोशिकीय प्रतिरक्षा और B-कोशिकाएँ प्रतिरक्षियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होती हैं। दोनों ही कोशिकाएँ ऐण्टिजनों से प्रेरित होकर ही अपने-अपने कार्यों को करती हैं।
(1) B-calfahratti a fucsaiti ho ufar ufafchal (Mechanism or Action of B-cells to Antigens)-जब कोई ऐण्टिजन शरीर द्रव (रुधिर एवं लसीका) में प्रवेश करता है तब B-कोशिकाएँ इससे प्रेरित होकर प्रतिरक्षियों का निर्माण करती हैं। मानव शरीर में हजारों प्रकार के ऐण्टिजन के लिए अलग-अलग हजारों प्रकार की विशिष्ट B-कोशिकाएँ पाई जाती हैं। जब कोई B-कोशिका ऐण्टिजन के संपर्क में आती है, तो यह प्रेरित होकर तेजी से गुणन करके बहुत-सी एक क्लोन (Clone) प्लाज्मा कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, इस एक क्लोन की अधिकांश कोशिकाएँ लगभग एक सेकण्ड में 2000 प्रतिरक्षी अणुओं का निर्माण करती हैं। B-कोशिकाओं में प्रतिरक्षियों के उत्पादन की यह क्षमता इन कोशिकाओं के विकास एवं परिपक्वन के दौरान उपार्जित लक्षणों के एकत्रित होने के कारण भ्रूणीय अवस्था में ही बनती है।
(2) T-calforcatuit on tfucwatato ufà ufaisher (Mechanism or Action of T-cells to Antigens)-T-कोशिकाएँ भी B-कोशिकाओं के ही समान एक क्लोन T-कोशिकाओं के उत्पादन के द्वारा ऐण्टिजनों के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। प्रत्येक T-कोशिका एक विशिष्ट ऐण्टिजन से संबंधित होती है। इसलिए हमारे शरीर में विशिष्ट प्रकार के ऐण्टिजनों के लिए अलग-अलग T-कोशिकाएँ 4-5 वर्ष या इससे अधिक समय तक जीवित रहती हैं। T-कोशिकाओं द्वारा उत्पादित एक क्लोन कोशिकाएँ, एण्टिजन की प्रतिक्रिया की दृष्टि से जनक T-कोशिका के समान होती हैं, लेकिन ये विभिन्न कार्यों को करती हैं। ये निम्न प्रकार की हो सकती हैं
(i) मारक T-कोशिकाएँ (Killer T-cells = KT-cells)-ये ऐण्टिजन को सीधे आक्रमण के द्वारा नष्ट करती हैं। इसके लिए ये कुछ ऐसे रसायनों का स्राव करती हैं, जो भक्षकाणुओं (Phagocytes) को आकर्षित करके इन्हें ऐण्टिजनों के तेजी से भक्षण के लिए प्रेरित करती हैं। ये दूसरी T-कोशिकाओं को आकर्षित करने के लिए भी कुछ रसायनों का स्राव करती हैं। T-कोशिकाएँ ऐण्टिजनों के प्रति इन क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए शरीर के उन स्थानों पर जाती हैं, जहाँ पर ऐण्टिजनों का आक्रमण होता है।
(ii) सहायकT-कोशिकाएँ (Helper T-cells = HT-cells)-ये वेT-कोशिकाएँ हैं, जो B-कोशिकाओं को प्रतिरक्षियों के निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं।
(iii) दाबक T-कोशिकाएँ (Suppressor T-cells = ST cells)-ये वे T-कोशिकाएँ हैं, जो प्रतिरक्षात्मक तन्त्र द्वारा अपने ही शरीर की कोशिकाओं पर आक्रमण करने से रोकती हैं। इनमें से कुछ कोशिकाएँ एक निश्चित ऐण्टिजन के लिए याददाश्त कोशिकाओं का भी काम करती हैं।
प्रश्न 3.
तंबाकू धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तंबाकू धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव -
(1) यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा तंत्रिकीय आवेग के संचरण के मार्ग को प्रभावित करता है। कम मात्रा में इसका उपयोग मस्तिष्क के विभिन्न केन्द्रों को उत्तेजित करता है, परन्तु इसका लम्बा उपयोग तन्त्रिका-तन्त्र की क्रियाशीलता को कम करता है।
(2) यह एड्रीनेलीन के स्राव को प्रेरित करके रक्त दाब तथा हृदय गति को बढ़ाता है। रक्त दाब को बढ़ाकर यह हृदय की बीमारियों को उत्तेजित करता है।
(3) गर्भवती महिलाओं में धूम्रपान, भ्रूण के विकास को रोकता है।
(4) तम्बाकू के धुएँ में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन तथा सार भी पाया जाता है। CO रुधिर की O2, संवहन क्षमता को कम करती है। हाइड्रोकार्बन कैन्सर को प्रेरित करते हैं । इस कारण तम्बाकू चबाने वालों में मुँह तथा धूम्रपान करने वालों में गले एवं फेफड़ों का कैन्सर अधिक होता है।
(5) तम्बाकू का किसी भी रूप में प्रयोग लार तथा आमाशयी रसों के अधिक स्रावण को प्रेरित करता है, जिससे आमाशय में अम्लीयता बढ़ जाती है, फलत: आहार नाल में अल्सर का खतरा बढ़ जाता है और श्लेष्मा की अवशोषणशीलता कम हो जाती है। व्यक्ति अल्पपोषण, भूख एवं कब्ज का शिकार हो जाता है।
(6) धूम्रपान वृक्कों की क्रियाशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह पेशियों एवं कंकाली ऊतकों को शिथिल करके व्यक्ति को दुर्बल बनाता है। इसके सेवन से व्यक्ति की उम्र घटती जाती है। इसके प्रयोग से ब्रोंकाइटिस तथा एम्फीसेमा (Emphysema) नामक रोग भी होता है।
(7) तम्बाकू के लगातार सेवन से स्वादेन्द्रीय कम संवेदनशील हो जाती है तथा मुँह व गला हमेशा सूखा रहता है। इससे घ्राण शक्ति भी कमजोर हो जाते हैं, क्योंकि श्लेष्मा के ऊपर लार की एक स्तर जमा हो जाती है।
प्रश्न 4.
पुनर्वासन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
औषधि एवं ऐल्कोहॉल व्यसन से ग्रसित व्यक्ति का अपनी पूर्व अवस्था, अर्थात् स्वस्थ अवस्था या सामान्य स्वास्थ्य वाली अवस्था में वापस आ जाना ही पुनर्वासन कहलाता है। पुनर्वासन हेतु व्यक्ति की नशाखोरी की आदत को धीरे-धीरे समाप्त करने का प्रयास किया जाता है। व्यक्ति में औषधि व्यसन के प्रत्याहारी लक्षणों (Withdrawal symptoms) के उपचार हेतु प्रारंभ में उन्हें निस्तब्धकारी औषधियाँ (Tranquillizers) देकर ठीक किया जाता है, परन्तु यह औषधि निर्भरता का अल्पावधि उपचार (Short term treatment) ही होता है।
व्यसन से ग्रसित व्यक्ति के दीर्घकालीन उपचार (Long term treatment) हेतु औषधि उपचार के साथसाथ व्यवहारात्मक शिक्षा भी देना आवश्यक होता है, ताकि व्यक्ति इन औषधियों के कुप्रभावों को समझ सके तथा स्वयं ही औषधि निर्भरता छोड़ने का प्रयास करने लगे। इस कार्य हेतु सम्बन्धियों (Relatives), दोस्तों एवं चिकित्सकों के द्वारा उनका मनोवैज्ञानिक (Psychological) एवं सामाजिक उपचार (Therapy) आवश्यक होता है। लोगों को ऐसे व्यक्तियों के साथ सहानुभूति रखते हुए उन्हें इनके कुप्रभावों की जानकारी देनी चाहिए तथा उनकी औषधि निर्भरता को धीरे-धीरे समाप्त करना चाहिए।
औषधि व्यसन से ग्रसित व्यक्ति के पुनर्वासन के दौरान व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में भोजन, विटामिन्स, इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) आदि पदार्थ भी देने चाहिए। चूँकि सामान्यतः यह देखा गया है कि व्यसन से ग्रसित कोई व्यक्ति अचानक औषधि सेवन बन्द कर देता है तो उसके मस्तिष्क में CAMP (Cyclic adenosine monophosphate) का स्तर बढ़ जाता है जो कि एक प्रत्याहारी लक्षण (Withdrawal symptom) है। ऐसे रोगी को विटामिन-C देने से CAMP का स्तर नियंत्रित रहता है तथा व्यक्ति में प्रत्याहारी लक्षण उत्पन्न नहीं हो पाते हैं।
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