Class 12 Chapter 9 Biology
प्रश्न 1.
मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका की संक्षेप में व्याख्यो दीजिए।
उत्तर
पशुपालन, पशुप्रजनन तथा पशुधन वृद्धि की एक कृषि पद्धति है। पशुपालन का संबंध पशुधन जैसे- भैंस, गाय, सूअर, घोड़ा, भेड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से होता है जो मानव के लिए लाभप्रद हैं । इसमें कुक्कुट तथा मत्स्य पालन भी शामिल है। अति प्राचीन काल से मानव द्वारा जैसे-मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा, केकड़ा, मछलियाँ, पक्षी, सूअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे-दूध, अंडे, माँस, ऊन, रेशम, शहद आदि प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादन की वृद्धि एक प्रमुख आवश्यकता है।
पशुपालन खाद्य उत्पादन बढ़ाने के हमारे प्रयासों में मुख्य भूमिका निभाता है। शहद का उच्च पोषक मान तथा इसके औषधीय महत्व को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन पद्धति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डेरी उद्योग से मानव खपत के लिए दुग्ध तथा इसके उत्पाद प्राप्त होते हैं । कुक्कुट का प्रयोग भोजन के लिए अथवा उनके अंडों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं पर आश्रित है। हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या पशुपालन उद्योग से किसी-न-किसी रूप में जुड़ी हुई है। पशुपालन हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। अत: मानव कल्याण में पशुपालन की बहुत बड़ी भूमिका है।
प्रश्न 2.
यदि आपके परिवार के पास एक डेयरी फार्म है तब आप दुग्ध उत्पादन में उसकी गुणवत्ता तथा मात्रा में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से उपाय करेंगे ?
उत्तर :
डेयरी फार्म वह फार्म है जहाँ दुग्ध उत्पादों को प्राप्त करने के लिए दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं जैसे-गाय, भैंस, ऊँट तथा बकरी आदि का पालन-पोषण किया जाता है। ऐसे कार्य जहाँ दूध का उत्पादन हो, उसे डेयरी प्रबंधन कहते हैं । डेयरी फार्म प्रबंधन में हम उन संसाधनों तथा तन्त्रों के विषय में अध्ययन करते हैं जिनसे दुग्ध की गुणवत्ता में सुधार तथा उसका उत्पादन बढ़ता है। दुग्ध उत्पादन मूल रूप से फार्म में रहने वाले पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।
अच्छी नस्ल का चयन तथा उनकी अच्छी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए पशुओं की अच्छी देखभाल जिसमें उसके रहने के लिए अच्छा घर तथा पर्याप्त जल तथा रोगाणु मुक्त वातावरण होना चाहिए। पशुओं को भोजन प्रदान करने का तरीका वैज्ञानिक होना चाहिए। इसमें विशेषकर चारे की गुणवत्ता तथा मात्रा पर बल दिया जाना चाहिए। इसके अलावा दुग्धीकरण, दुग्ध उत्पादों का भण्डारण तथा परिवहन के दौरान सफाई तथा पशु एवं पशुपालकों का कार्य सर्वोपरि है। पशु चिकित्सकों से पशुओं की नियमित जाँच होनी चाहिए जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर कराई जा सकें
प्रश्न 3.
नस्ल शब्द का क्या अर्थ है ? पशु प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर
नस्ल (Breed)-जन्तुओं का वह समूह जिसके सदस्य कद-काठी,रंग-रूप व अन्य आकारिकी लक्षणों में समान तथा समान पूर्वज परम्परा के हों, नस्ल कहलाते हैं।
पशु प्रजनन के उद्देश्य-
- पशु उत्पादन को बढ़ाना
- पशु उत्पाद के वांछित गुणों में सुधार
- रोग प्रतिरोधी पशुओं का विकास
- अधिक व्यापक क्षेत्र हेतु अनुकूलन के लिए।
प्रश्न 4.
पशु प्रजनन में प्रयोग में लायी जाने वाली विधियों के नाम बताइये।आपके अनुसार कौनसी विधि सर्वोत्तम
है ? क्यों?
उत्तर
पशु प्रजनन की विभिन्न विधियाँ हैं-अंत:प्रजनन (inbreeding), बहि-प्रजनन (outbreeding), बहि:संकरण (outcrossing), संकरण (cross breeding) तथा अन्तःप्रजाति संकरण (interspecific Hybridization)। इन सब विधियों में संकरण सर्वोत्तम प्रजनन विधि है । इस विधि में दो भिन्न नस्लों के वांछित गुणों का बनने वाले संकर में संयोजन होता है। इस प्रकार बनने वाला संकर हेटेरोसिस (Heterosis) प्रदर्शित करता है। पशुओं की अनेक उन्नत-नस्लें इस विधि से विकसित की गई है, जैसे-करन स्विस व सुनन्दिनी गाय।
प्रश्न.5.
मौन (मधुमक्खी पालन) से आप क्या समझते हैं ? हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है?
उत्तर : मधुमक्खी पालन-शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का रख-रखाव ही मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन है। महत्व-मधुमक्खी पालन का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है
- शहद उच्च पोषक महत्व का आहार है तथा औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
- मधुमक्खियाँ मोम भी पैदा करती हैं जिसका कांतिवर्धक वस्तुओं की तैयारी तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिश वाले उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
- मधुमक्खियाँ हमारे बहुत से फसलों जैसे-सूर्यमुखी, सरसों, सेब तथा नाशपाती के लिए परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि इनके छत्तों को खेतों के बीच रख दिया जाये तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार फसल तथा शहद दोनों के उत्पादन में सुधार हो जाता है।
प्रश्न 6.
खाद्य उत्पादन को बढ़ाने में मत्स्यकी की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर
मत्स्यकी एक प्रकार का उद्योग है जिसका संबंध मछली अथवा अन्य जलीय जीवों को पकड़ना, उनका प्रसंस्करण तथा उन्हें बेचने से होता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं आदि पर आश्रित है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्यकी का महत्वपूर्ण स्थान है। यह तटीय राज्यों में विशेषकर लाखों मछुआरों तथा किसानों को आय तथा रोजगार प्रदान करती है।
बहुत से लोगों के लिए यही जीविका का एक मात्र साधन है। मत्स्यकी की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें अपनाई जा रही हैं। मत्स्यकी उद्योग विकसित हुआ है तथा फला-फूला है, जिससे सामान्यत: देश को तथा विशेषत: किसानों को काफी आमदनी हुई। इसकी प्रगति को देखते हुए अब हम ‘हरित क्रांति’ की भाँति ‘नील क्रांति’ की बात करने लगे हैं।
प्रश्न 7.
पादप प्रजनन में शामिल विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन कीजिये। .
उत्तर
पादप प्रजनन के विभिन्न चरण-विभिन्नताओं का संग्रह (Collection of variability), जनकों का मूल्यांकन तथा चयन (Evaluation and selection of parents), चयनित जनकों के बीच संकरण (cross hybridization among selected parents)। श्रेष्ठ पुनर्योजन का चयन तथा परीक्षण (selection and testing of superior recombinants), नये कृषकों का परीक्षण, नियुक्ति तथा व्यवसायीकरण (testing, release and commercialization of new cultivars)
प्रश्न 8.
जैव प्रबलीकरण का क्या अर्थ है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
जैव प्रबलीकरण (Biofortification)-पोषक मान (Nutritional valye) बढ़ाने के उद्देश्य को लेकर किया पादप प्रजनन जैव प्रबलीकरण कहलाता है। पोषक मान से यहाँ तात्पर्य सूक्ष्म पोषक तत्व जैसेविटामिन्स या खनिज, अथवा वांछित अमीनो अम्ल अथवा स्वास्थ्यकारी वसा का स्तर है।
खाद्य पदार्थों में इन पोषक पदार्थों का स्तर बढ़ाकर जन स्वास्थ्य को सुधारने का सार्थक प्रयास किया जा सकता है।
पोषक गुणवत्ता के उन्नयन हेतु किया गया पादप प्रजनन निम्नलिखित को सुधारने के उद्देश्य से किया जाता है
- प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता (Protein content and quality)
- तेल की मात्रा व गुणवत्ता (Oil content and quality)
- विटामिन्स की मात्रा (Vitamin content)
- सूक्ष्म पोषक व खनिज मात्रा (Micronutrient and mineral content)
सन् 2000 में मक्का की ऐसी संकर किस्म का विकास किया गया जिसमें महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल लाइसिन (lysine) व ट्रिप्टोफेन (tryptophan) की मात्रा मक्का के उपलब्ध संकरों में इन अमीनो अम्लों की मात्रा से दोगुनी थी। शक्ति, रतन व प्रोटीन किस्में लाइसिन से भरपूर हैं।
प्रश्न 9.
विषाणु मुक्त पादप तैयार करने के लिए पादपों का कौन-सा भाग सर्वाधिक उपयुक्त है तथा क्यों?
उत्तर
पौधे के शीर्षस्थ व कक्षस्थ विभज्योतक (Apical and axillary meristem) विषाणुरहित होते हैं। अतः पौधों का शीर्षस्थ (apical) भाग विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए उपयुक्त है।
प्रश्न 10.
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के मुख्य लाभ क्या हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation) द्वारा पादप उत्पादन के निम्न लाभ हैं
- कम समय में बड़ी मात्रा में पौधे-तैयार किये जा सकते हैं।
- इस प्रकार बने पौधे विषाणु रहित व स्वस्थ होते हैं।
- पौधे एक वर्ष में तैयार हो जाते हैं। अनुकूल मौसम आने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
- जो पादप बीज बनाने में असमर्थ हैं उनका उत्पादन इस विधि से करना संभव है।
प्रश्न 11.
पत्ती में कौतक पादप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया गया है, उसमें विभिन्न घटकों का पता लगाओ।
उत्तर
संवर्धन माध्यम के निम्न प्रमुख घटक होते हैं
- कार्बन स्रोत-सुक्रोज या अन्य शर्करा।
- अन्य कार्बनिक पदार्थ-अमीनो अम्ल, विटामिन।
- अकार्बनिक लवण-पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्सियम, सल्फर आदि के लवण।
- वृद्धि नियामक (Growth regulator) हॉर्मोन्स-ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन।
- जल।
- अगर-अगर-माध्यम को ठोस बनाने हेतु।
प्रश्न 12.
शस्य पादपों की किन्हीं पाँच संकर किस्मों के नाम बताइए जिनका विकास भारत वर्ष में हुआ है। .
उत्तर
- धान-IR-36, पूसा, बासमती-1, जया, पदमा, रत्ना।
- गेहूँ-सोनालिका, कल्यान, सोना, (HD-3090 पूसा अमूल्या 2013 में, (HD-3086 पूसा गौतमी 2013 में)।
- मक्का -गंगा – 5, रंजीत नवजोत।
- भिण्डी-पूस आवनी।
- बैंगन-पूसा बैंगनी, पूसा क्रांति और मुक्तवेशी।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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