11CH12 कार्बनिक रसायन
श्रीकोचिंग क्लासेस बेगमगंज
कक्षा : 11वींविषय : रसायन शास्त्र
अध्याय : 12 : कार्बनिक रसायन
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प्रश्न 1. कार्बनिक रसायन किसे कहते हैं ?
उत्तर - कार्बनिक रसायन - रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत कार्बन एवं उसके यौगिकों का अध्ययन किया जाता है , उसे कार्बनिक रसायन कहते हैं
प्रश्न 2. सजातीय श्रेणी किसे कहते हैं ? सजातीय श्रेणी की विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर - सजातीय श्रेणी - कार्बनिक यौगिकों की वह श्रेणी जिसके सदस्य समान क्रियात्मक समूह से जुड़े हैं तथा जिसके दो क्रमागत सदस्यों के अणुओं में CH2 का अंतर होता है , सजातीय श्रेणी या समजातीय श्रेणी कहलाती है ।
जैसे - एल्कोहल श्रेणी के प्रथम चार सदस्यों के नाम व सूत्र निम्न है -
CH3-OH (मेथिल अल्कोहल)
CH3-CH2-OH (एथिल अल्कोहल)
CH3-CH2-CH2-OH (प्रोपिल अल्कोहल)
CH3-CH2-CH2-CH2-OH (ब्यूटिल एल्कोहॉल)
सजातीय श्रेणी की विशेषताएं -
1. सजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है । जैसे - CnH2n+1-OH
2. श्रेणी के क्रमागत सदस्यों के अणु सूत्र में -CH2 का अंतर होता है ।
3. श्रेणी के सदस्यों को कुछ सामान्य अभिक्रियाओं द्वारा बनाया जा सकता है ।
4. सदस्यों के रासायनिक गुण अधिकांशतः समान होते हैं ।
5. सदस्यों के भौतिक गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है ।
प्रश्न 3 . समावयवता किसे कहते हैं यह कितने प्रकार की होती है उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर - समावयवता - जब दो या दो से अधिक योगिकों के अणु सूत्र सामान किंतु भौतिक एवं रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं , तब ऐसे यौगिकों को समावयवी कहते हैं तथा इस घटना को समावयवता कहते हैं ।
जैसे - एथिल एल्कोहल एवं डाई मेथिल ईथर का अणु सूत्र समान है और यह एक दूसरे के समावयवी हैं ।
समावयवता का वर्गीकरण - समावयवता को निम्न दो प्रकार को में वर्गीकृत किया गया है -
1. संरचनात्मक समावयवता - संरचनात्मक समावयवता निम्न प्रकार की होती है -
१. स्थान या स्थिति समावयवता
२. श्रंखला समावयवता
३. क्रियात्मक समावयवता
४. वलय श्रंखला समावयवता
५. मध्यावयवता
६. चलावयवता
2. त्रिविमीय समावयवता - त्रिविमीय समावयवता में दो प्रकार की होती है -
१. विन्यासी समावयवता
२. संरूपीय समावयवता
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प्रश्न 4. स्थान समावयवता , श्रंखला समावयवता एवं क्रियात्मक समावयवता किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर - 1. स्थान समावयवता - जब समावयवी यौगिकों की कार्बन श्रृंखला में क्रियात्मक समूह भिन्न-भिन्न कार्बन परमाणु से जुड़े होते हैं , तब इस प्रकार की समावयवता , स्थिति या स्थान समावयवता कहलाती है ।
जैसे - प्रोपेनॉल (C3H7-OH) अणुसूत्र के 2 स्थान संमावयवी संभव है -
१). CH3-CH2-CH2-OH (प्रोपेन-1-ऑल)
२). CH3-CH(OH)-CH3 (प्रोपेन-2-ऑल)
2. श्रंखला समावयवता - जब समावयवी यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की श्रंखला की लंबाई भिन्न-भिन्न होती है तब यह श्रंखला समावयवता कहलाती है अर्थात यह समावयवता कार्बन परमाणुओं की श्रंखला में अंतर होने के कारण उत्पन्न होती है ।
जैसे - पेंटेन अणुसूत्र के तीन समावयवी संभव है -
CH3-CH2-CH2-CH2-CH3 (n-पेंटेन)
CH3-CH2-CH(CH3)-CH3 (2-मेथिल ब्यूटेन)
CH3-C(CH3)2-CH3 (2,2-डाई मेथिल प्रोपेन)
3. क्रियात्मक समावयवता - जब समावयवी यौगिकों में क्रियात्मक समूह भिन्न भिन्न होते हैं , तब इस प्रकार की समावयवता क्रियात्मक समावयवता कहलाती है । अथवा
जब दो यौगिकों में भिन्न-भिन्न क्रियात्मक समूह उपस्थित हों लेकिन उनका अणुसूत्र एक ही हो , तब यह समावयवता क्रियात्मक समावयवता कहलाती है ।
जैसे - एथिल एल्कोहल (CH3-CH2-OH) एवं डाई मेथिल ईथर (CH3-O-CH3 ) इसके उदाहरण हैं क्योंकि दोनों का अणु सूत्र C2H6O है ।
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प्रश्न क्र. :
मुक्त मूलक से आप क्या समझते हो ? मुक्त मूलक के लक्षण लिखिए एवं मुक्त मूलक कौन कौन सी अभिक्रिया देते हैं , उनके नाम लिखिए ।
उत्तर - मुक्त मूलक (Free Radical) - यह उदासीन परमाणुओं का ऐसा समूह जिसके पास एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है अर्थात जिसमें विषम इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु या अणु होते हैं , मुक्त मूलक कहलाते हैं । यह उदासीन , अत्यंत क्रियाशील एवं अस्थाई होते हैं ।
जैसे - मेथिल मुक्त मूलक , एथिल मुक्त मूलक , फेनिल मुक्त मूलक आदि ।
मुक्त मूलक के लक्षण :-
1. मुक्त मूलक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त कार्बन परमाणु sp2 संकरण अवस्था में होता है ।
2. मुक्त मूलक की ज्यामिति समतलीय त्रिभुजाकार होती है ।
3. मुक्त मूलक में दो आबंध के मध्य कोण 120° का कोण होता है ।
4. मुक्त मूलक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 7 होती है ।
5. यह संयोग एवं अपाहरण क्रिया देते हैं ।
मुक्त मूलक की सरंचना :- sp2 संकरण से बचे कक्षक में विषम इलेक्ट्रॉन स्थित होता है । इसकी ज्यामिति समतलीय त्रिभुजाकार होती है तथा बंध कोण 120° का होता है ।
मुक्त मूलकों की अभिक्रियाएं -
मुक्त मूलक निम्न अभिक्रिया देते हैं -
1. संयोग : - समान अथवा असमान मुक्त मूलक सहयोग करके विभिन्न उत्पाद बनाते हैं ।
CH3 + CH3 ------> C2H6
2. अपाहरण :- मुक्त मूलक द्वारा किसी हाइड्रोजन युक्त योगिक से हाइड्रोजन ग्रहण करना अपाहरण कहलाता है ।
CH4 + Cl -------> CH3 + Cl
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प्रश्न क्र. :-
कार्बोकेटायन किसे कहते हैं ? कार्बोकेटायन के लक्षण लिखिए एवं कार्बोकेटायन की संरचना को समझाइए ।
उत्तर - कार्बोकेटायन (Carbocation) :- वे धनायन जिनमें कार्बन परमाणु पर धन आवेश पाया जाता है , कार्बोकेटायन या कार्बेनियम(carbonium) या कार्बोधनायन कहलाते हैं ।
जैसे - मेथिल कार्बोकेटायन , एथिल कार्बोकेटायन आदि ।
कार्बोकेटायन के लक्षण :-
1. यह धन आवेशित होते हैं ।
2. कार्बोकेटायन के कार्बन परमाणु की बाह्य कक्षा में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं ।
3. यह अत्यधिक क्रियाशील एवं अस्थाई होते हैं ।
4. धनाआवेश युक्त कार्बन sp2 संकरित होता है ।
5. यह संयोजन , प्रोटोन विलोपन एवं अपाहरण क्रिया देते हैं ।
कार्बोकेटायन का स्थायित्व :- धनावेश जितना अधिक अन्य समूहों से या परमाणुओ पर वितरित हो जाएगा , कार्बोधनायन उतना ही अधिक स्थायी होगा । चूँकि एल्किल समूह निर्मोची समूह होते हैं अतः इनके जुड़े होने पर आवेश वितरित होता है तथा स्थायित्व बढ़ता है ।अतः इनके स्थायित्व का क्रम निम्नानुसार होगा -
3° > 2° > 1° > CH3
कार्बोकेटायन की सरंचना -
धन आवेशित कार्बन परमाणु sp2 संकरित अवस्था में होता है तथा एक p कक्षक रिक्त रहता है । कार्बो धनायन समतलीय त्रिभुजाकार होता है तथा बंध कोण 120 डिग्री का होता है
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प्रश्न क्र. :-
कार्बोऋणायन किसे कहते हैं ? कार्बोऋणायन के प्रमुख लक्षण लिखिए एवं इसकी संरचना को समझाइए ।
उत्तर :- कार्बोऋणायन :- वे ऋणायन जिनमें कार्बन परमाणु पर ऋणआवेश पाया जाता है , कार्बोऋणयन या कार्बेनियन कहलाते हैं । इनका निर्माण विषमांश बंध विखंडन द्वारा होता है ।
जैसे - मेथिल कार्बोऋणायन , एथिल कार्बोऋणायन आदि ।
कार्बोऋणायन के लक्षण :-
1. यह ऋण आवेशित होते हैं
2. केंद्रीय परमाणु कार्बन के बाहरी कक्ष में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं ।
3. यह अत्यधिक क्रियाशील एवं अस्थाई होते हैं ।
4. यह इलेक्ट्रॉन दाता होने के कारण नाभिक स्नेही कहलाते हैं ।
5. ऋण आवेशित कार्बन परमाणु sp3 संकरित होता है ।
6. यह मुक्त मूलक के नाम से पुकारे जाते हैं - जैसे मेथिल कार्बोधनायन ।
7. यह संयोजन एवं प्रतिस्थापन अभिक्रिया में देते हैं ।
कार्बोऋणायन की सरंचना - कार्बो ऋणायन का ऋणावेशित कार्बन sp3 संकरित होता है , जिसमें तीन आबंधी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकाकी इलेक्ट्रान युग्म होता है तथा इसकी संरचना चतुष्फलकीय होती है परंतु आकृति पिरामिडीय होती है ।
कार्बोऋणायन का स्थायित्व :- कार्बोऋणायन पर ऋणआवेश होता है । एल्किल समूह जुड़े होने पर यह इलेक्ट्रॉन निर्मोची होने के कारण ऋणाआवेश की मात्रा और बढ़ा देते हैं , जिससे स्थायित्व कम हो जाता है । अतः इनके स्थायित्व का क्रम निम्नानुसार होगा -
CH3 > 1° > 2° > 3°
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प्रश्न क्र. :
समांश बंध विखंडन एवं विषमांश बंध विखंडन से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए ?
उत्तर :- समांश बंध विखंडन :- किसी सहसंयोजी बंध का सममित रूप से टूटना , समांश बंध विखंडन कहलाता है अर्थात वह बंध विखंडन जिसमें बंध बनाने वाले सांझे के इलेक्ट्रॉन युग्म आपस में संयुक्त परमाणुओं पर बराबर उपस्थित रहते हैं , तब इस प्रकार का बंध विखंडन , समांश बंध विखंडन कहलाता है ।
उदाहरण - सहसंयोजी बंध जैसे CX बंध का समांश बंध विखंडन होने पर CX बंध के इलेक्ट्रॉन युग्म दोनों परमाणुओं पर बराबर वितरित हो जाते हैं ।
CH3-X --------------> •CH3 + X•
विषमांश बंध विखंडन :- किसी सहसंयोजी बंध का असममित रूप से टूटना , विषमांश बंध विखंडन कहलाता है अर्थात वह बंध विखंडन जिसमें बंध बनाने वाले सांझे के इलेक्ट्रॉन युग्म आपस में संयुक्त परमाणुओं से किसी एक परमाणु के पास रहता हैं , तब इस प्रकार का बंध विखंडन , विषमांश बंध विखंडन कहलाता है ।
इस प्रकार के बंध विखंडन से आयन बनते हैं जो दो प्रकार के होते हैं -
1. कार्बोधनायन 2. कार्बोऋणायन
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प्रश्न क्र. :
कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि समझने के लिए कौन-कौन से प्रभाव महत्वपूर्ण होते हैं ।
अथवा
कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में कितने प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक विस्थापन देखे जाते हैं ?
उत्तर - कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में सामान्यतः चार प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक विस्थापन देखे जाते हैं , ये चार विस्थापन निम्न हैं -
1. अनुनाद या मेसोमेरिक प्रभाव (Mesomeric effects)
2. अतिसंयुग्मन प्रभाव (Hyper conjugation)
3. प्रेरणिक प्रभाव (Inductive effects)
4. इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव (Electromeric effects)
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प्रश्न क्र.
मीसोमेरिक प्रभाव किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ? उदाहरण दीजिए ।
उत्तर - मीसोमेरिक प्रभाव :- वह प्रभाव जिसमें पाई इलेक्ट्रॉन का पूर्ण रूप से विस्थापन होता है तथा जिसके फलस्वरूप परमाणु पर धन आवेश या ऋण आवेश आ जाता है । यह प्रभाव ऐसे परमाणु के कारण होता है जो संयुग्मित बंध में उपस्थित रहता है । इसे M से प्रदर्शित करते हैं ।
यह एक स्थाई प्रभाव है जिसमें पाई इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण बहुगुणित बंध युक्त अणुओं या एकांतर एकल और द्विबंध वाले वाले अणुओं में पूर्ण रूप से होता है ।
CH2=CH-CH=CH2 ------> +CH2-CH-CH-CH2-
प्रकार :- यह प्रभाव निम्न दो प्रकार का होता है :-
1. धनात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (+M)
2. ऋणात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (-M)
1. धनात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (+M) :- जब इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण संयुग्मित अणु में बंधित किसी परमाणु या समूह से दूर होता है , तब इसे धनात्मक मीसोमेरिक प्रभाव कहते हैं । इसे +M से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - F , Cl , Br , I , OH , OR आदि ।
2. ऋणात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (-M) :- जब इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण संयुग्मित अणु में बंधित किसी परमाणु या समूह की ओर होता है , तब इसे ऋणात्मक मीसोमेरिक प्रभाव कहते हैं । इसे -M से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - -COOH , -CHO , -CN आदि ।
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प्रश्न क्र. :
अतिसंयुग्मन किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर :- अतिसंयुग्मन - जब कोई बंध किसी असंतृप्त कार्बन युक्त कार्बन परमाणु के साथ जुड़ा होता है तब C-H बंध इस पद्धति के साथ संयुग्मन कर लेता है , जिसे अतिसंयुग्मन या सिग्मा- पाई संयुग्मन कहते हैं ।
अल्फा कार्बन से असंतृप्त कार्बन की ओर अल्फा इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है और साथ ही द्विबंध का ध्रुवीकरण हो जाता है । अतिसंयुग्मन का मान अल्फा कार्बन से जुड़े CH बंधों की संख्या पर निर्भर करता है । इनकी संख्या जितनी अधिक होती है अतिसंयुग्मन का प्रभाव उतना ही प्रबल होता है ।
जैसे -
-CH3 > CH3-CH2 > (CH3)2CH
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प्रश्न क्र. :
प्रेरणिक प्रभाव से आप क्या समझते हो ? यह कितने प्रकार का होता है ? उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर :- प्रेरणिक प्रभाव ( Inductive Effects ) :- सहसंयोजक बंध के बनने में बंध बनाने वाले साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म में किसी एक परमाणु की ओर विस्थापित हो जाने को , प्रेरणिक प्रभाव कहते हैं ।
जैसे - CH3 -CH2- CH2 -CH2- Cl
प्रकार :- प्रेरणिक प्रभाव निम्न दो प्रकार का होता है -
1. धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव
2. ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव
धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव :- ऐसे परमाणु जो कार्बन की ओर इलेक्ट्रॉन युग्म को भेजते हैं , धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है । इसे +I से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे -
ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव :- ऐसे परमाणु जो कार्बन से इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करते हैं , ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव कहते हैं । इसे -I से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - NO , F Cl , Br , I , H , OH , C6H5 आदि ।
प्रेरणिक प्रभाव की विशेषताएं :-
1. सह संयोजी बंध में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण कम ऋणविद्युती परमाणु से अधिक ऋणविद्युती परमाणु की ओर होता है ।
2. इस प्रभाव में हमेशा सिग्मा इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन होता है ।
3. यह एक स्थाई प्रभाव है ।
4. यह दूरी बढ़ने के साथ घटता जाता है ।
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प्रश्न क्र. :-
इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर :- इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव :- यह एक अस्थाई प्रभाव है जिसमें बहूबंध के पाई (π) इलेक्ट्रॉनों का किसी एक परमाणु पर स्थानांतरण हो जाता है , इलेक्ट्रो मेरिक प्रभाव कहलाता है । इसे E प्रदर्शित करते हैं और इसे मुड़े हुए तीर के निशान से प्रदर्शित करते हैं ।
यह प्रभाव तभी कार्य करता है जब किसी यौगिक के अणु पर अभिकर्मक की क्रिया हो रही हो । आक्रमणकारी अभिकर्मक को हटा लेने पर यह प्रभाव शून्य अर्थात समाप्त हो जाता है और इस प्रभाव में केवल पाई इलेक्ट्रॉन ही भाग लेते हैं ।
जैसे - A = B ------------> A + B
प्रकार :- यह प्रभाव दो प्रकार का होता है -
1. +E प्रभाव :- जब इलेक्ट्रॉन युग्म का विस्थापन परमाणु या समूह के कार्बन परमाणु की ओर होता है , तब इसे +E प्रभाव कहते हैं ।
2. -E प्रभाव :- जब अभिकर्मक उस परमाणु से जुड़ता है जिस पर पाई इलेक्ट्रॉन स्थानांतरित नहीं होते हैं , तब इसे -E प्रभाव कहते हैं ।
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प्रश्न क्र. :-
अनुनाद किसे कहते हैं ? समझाइये ।
उत्तर :- अनुनाद :- वह घटना जिसमें दो या दो से अधिक संरचनाओं द्वारा किसी योगिक को प्रदर्शित किया जाता है जिसमें केवल इलेक्ट्रॉन युग्म का अंतर होता है और परमाणु का स्थान समान रहता है , अनुनाद कहलाता है ।
जैसे - बेंजीन में अनुनाद पाया जाता है ।
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प्रश्न क्र. :
इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक तथा नाभिकस्नेही अभिकर्मक किसे कहते हैं ? समझाइए ।
अथवा
इलेक्ट्रोफाइल एवं न्यूक्लियोफाइल से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर :- इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक - ऐसे अभिकर्मक जो इलेक्ट्रॉन के प्रति अधिक बंधुता एवं आकर्षण रखते हैं , इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक या इलेक्ट्रोफाइल कहलाते हैं ।
यह अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं और यह धनात्मक या उदासीन अणु होते हैं ।
जैसे- H+ , NO2+ , AlCl3 आदि ।
नाभिकस्नेही अभिकर्मक - ऐसे अभिकर्मक जो नाभिक के प्रति अधिक बंधुता एवं आकर्षण रखते हैं , नाभिकस्नेही अभिकर्मक या न्यूक्लिओफाइल कहलाते हैं ।
यह अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन दान करते हैं और यह ऋणात्मक या उदासीन अणु होते हैं ।
जैसे - F Cl , Br , I , OH , C2H5OH , NH2 , NH3 आदि ।
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प्रश्न क्र.
क्रियात्मक समूह किसे कहते हैं ? क्रियात्मक समूह के उदाहरण दीजिए । क्रियात्मक समूह में पूर्व लग्न एवं अनुलग्न में वरीयता क्रम लिखिए ।
अथवा
क्रियात्मक समूह को उनकी वरीयता क्रम में लिखिए ।
उत्तर - क्रियात्मक समूह किसी अणु का वह भाग है जिस पर उस अणु के भौतिक एवं रासायनिक गुण निर्भर करते हैं , इसलिए इसे लाक्षणिक समूह कहते हैं ।
जैसे - एथिल एल्कोहल में हाइड्रोक्सी समूह (-OH) , क्रियात्मक समूह होता है ।
क्रियात्मक समूह में पूर्व लग्न एवं अनुलग्न में वरीयता क्रम -
क्रियात्मक समूह पूर्वलग्न अनुलग्न
-COOH - कार्बोक्सि - ओइक
-SO3H - सल्फो - सल्फोनिक अम्ल
-COOR - एल्कोक्सी कार्बोनिल - एल्किल एल्केनोएट
- COX - हैलो कार्बोनिल - ओइल हैलाइड
-CONH2 - कार्बेमाइड /एमिडो - एमाइड
-CHO - एल्डोल/फार्मिल - अल
-CN - सायनो - नाइट्राइल
-NC - आइसो सायनो - आइसो नाइट्राइल
-CO- - कीटो/ऑक्सो - ओन
-OH - हाइड्रॉक्सी - ऑल
-SH - थायोल - मर्केप्टो
-NH2 - एमिनो - एमीन
-C=C- - --- - ईन
-C=C त्रिबंध - आइन - आइन
-O- - एपोक्सि - --
-NO2 - नाइट्रो - --
-X - हैलो - --
प्रश्न :
आईयूपीएसी नामकरण के नियम लिखिए ?
किसी यौगिक का आईयूपीएसी नामकरण निम्नलिखित नियमों के अनुसार करते हैं -
1. सर्वाधिक लंबी कार्बन श्रृंखला का चयन
2. वरीय कार्बन संखला का चयन
3. संख्या में कार्बन परमाणुओं का क्रमांक
4. प्रतिस्थापियों की स्थितियों का न्यूनतम योग नियम
5. प्रतिस्थापियों का अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में नाम उल्लेख
6. प्रतिस्थापियों की नामों की संख्या सूचक पूर्व लग्न
7. प्रतिस्थापियों का स्थान क्रमांकन
8. यौगिक में क्रियात्मक समूह , द्विबंध , त्रिबंध उपस्थित होने पर प्रतिस्थापियों की तुलना में वरीयता ।
एल्केन के नामकरण के नियम :-
1. सबसे लंबी श्रंखला का चयन
CH3-CH2-CH(CH2-CH2-CH3)CH2-CH2-CH2-CH3
IUPAC नाम - 3-प्रोपिल हेप्टेन
2. न्यूनतम अंकन
3. स्थित प्रतिस्थापी का न्यूनतम समुच्चय
4. प्रतिस्थापित को अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में लिखा जाना
5. तुल्य स्थितियों में अलग-अलग प्रतिस्थापियो के लिए अंकन
6. प्रतिस्थापित प्रतिस्थापी का नामकरण
Tricks -
1. अंकन करने के लिए सूत्र -
• क्रियात्मक समूह + द्विबंध एवं त्रिबंध + प्रतिस्थापी का नाम
2. IUPAC नाम लिखने के लिए सूत्र -
• प्रतिस्थापी + हाइड्रोकार्बन श्रृंखला + द्विबंध व त्रिबंध अनुलग्न + क्रियात्मक समूह
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1. CH3-CH2-CH3
2. CH3-CH2-CH(CH3)-CH3
3. CH3-CH2-CH(CH2CH3)-CH3
4. CH(CH3)2-CH2-CH(CH3)-CH2-CH3
एल्कीनों के नामकरण के नियम :-
1. द्विबंध युक्त सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला चुनते हैं ।
2. कार्बन श्रृंखला का अंकन उस सिरे से करते हैं जहां से द्विबंध निकटतम होता है ।
3. संगत एल्केन के नाम के अनुलग्न एन(ane) के स्थान पर इन (ene) लगाते हैं ।
4. द्विबंध की स्थिति को उस कारण परमाणु के क्रमांक से दर्शाते हैं जिसमें द्विबंध पहले आता है ।
5. इसी प्रकार श्रंखला से जुड़े एल्किल समूह को भी उस कार्बन की संख्या से दर्शाते हैं जिससे वह जुड़े हो ।
6. एल्केन के नामकरण के बाकी नियम उसी तरह उपयोग में लाए जाते हैं ।
Ex.1.
CH2=CH-CH2-CH3 --> ब्यूट-1-ईन ( सही नाम)
CH2=CH-CH2-CH3 --> ब्यूट-3-ईन ( गलत नाम)
Ex.2.
CH3-CH(CH3)-CH=CH-C(CH3)2-CH3
Iupac नाम - 2,2,5- ट्राइमेथिल हेक्स-3-ईन
एल्काइनो के नामकरण के नियम :-
1. एल्काइनों का नामकरण करने के लिए एल्केन के अनुलग्न ane को yne द्वारा हटाया जाता है ।
2. सामान्य या परिपाटी पद्धति में उच्च सदस्यों का नामकरण एसिटिल
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प्रश्न 1. कार्बनिक रसायन किसे कहते हैं ?
उत्तर - कार्बनिक रसायन - रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत कार्बन एवं उसके यौगिकों का अध्ययन किया जाता है , उसे कार्बनिक रसायन कहते हैं
प्रश्न 2. सजातीय श्रेणी किसे कहते हैं ? सजातीय श्रेणी की विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर - सजातीय श्रेणी - कार्बनिक यौगिकों की वह श्रेणी जिसके सदस्य समान क्रियात्मक समूह से जुड़े हैं तथा जिसके दो क्रमागत सदस्यों के अणुओं में CH2 का अंतर होता है , सजातीय श्रेणी या समजातीय श्रेणी कहलाती है ।
जैसे - एल्कोहल श्रेणी के प्रथम चार सदस्यों के नाम व सूत्र निम्न है -
CH3-OH (मेथिल अल्कोहल)
CH3-CH2-OH (एथिल अल्कोहल)
CH3-CH2-CH2-OH (प्रोपिल अल्कोहल)
CH3-CH2-CH2-CH2-OH (ब्यूटिल एल्कोहॉल)
सजातीय श्रेणी की विशेषताएं -
1. सजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है । जैसे - CnH2n+1-OH
2. श्रेणी के क्रमागत सदस्यों के अणु सूत्र में -CH2 का अंतर होता है ।
3. श्रेणी के सदस्यों को कुछ सामान्य अभिक्रियाओं द्वारा बनाया जा सकता है ।
4. सदस्यों के रासायनिक गुण अधिकांशतः समान होते हैं ।
5. सदस्यों के भौतिक गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है ।
प्रश्न 3 . समावयवता किसे कहते हैं यह कितने प्रकार की होती है उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर - समावयवता - जब दो या दो से अधिक योगिकों के अणु सूत्र सामान किंतु भौतिक एवं रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं , तब ऐसे यौगिकों को समावयवी कहते हैं तथा इस घटना को समावयवता कहते हैं ।
जैसे - एथिल एल्कोहल एवं डाई मेथिल ईथर का अणु सूत्र समान है और यह एक दूसरे के समावयवी हैं ।
समावयवता का वर्गीकरण - समावयवता को निम्न दो प्रकार को में वर्गीकृत किया गया है -
1. संरचनात्मक समावयवता - संरचनात्मक समावयवता निम्न प्रकार की होती है -
१. स्थान या स्थिति समावयवता
२. श्रंखला समावयवता
३. क्रियात्मक समावयवता
४. वलय श्रंखला समावयवता
५. मध्यावयवता
६. चलावयवता
2. त्रिविमीय समावयवता - त्रिविमीय समावयवता में दो प्रकार की होती है -
१. विन्यासी समावयवता
२. संरूपीय समावयवता
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प्रश्न 4. स्थान समावयवता , श्रंखला समावयवता एवं क्रियात्मक समावयवता किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर - 1. स्थान समावयवता - जब समावयवी यौगिकों की कार्बन श्रृंखला में क्रियात्मक समूह भिन्न-भिन्न कार्बन परमाणु से जुड़े होते हैं , तब इस प्रकार की समावयवता , स्थिति या स्थान समावयवता कहलाती है ।
जैसे - प्रोपेनॉल (C3H7-OH) अणुसूत्र के 2 स्थान संमावयवी संभव है -
१). CH3-CH2-CH2-OH (प्रोपेन-1-ऑल)
२). CH3-CH(OH)-CH3 (प्रोपेन-2-ऑल)
2. श्रंखला समावयवता - जब समावयवी यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की श्रंखला की लंबाई भिन्न-भिन्न होती है तब यह श्रंखला समावयवता कहलाती है अर्थात यह समावयवता कार्बन परमाणुओं की श्रंखला में अंतर होने के कारण उत्पन्न होती है ।
जैसे - पेंटेन अणुसूत्र के तीन समावयवी संभव है -
CH3-CH2-CH2-CH2-CH3 (n-पेंटेन)
CH3-CH2-CH(CH3)-CH3 (2-मेथिल ब्यूटेन)
CH3-C(CH3)2-CH3 (2,2-डाई मेथिल प्रोपेन)
3. क्रियात्मक समावयवता - जब समावयवी यौगिकों में क्रियात्मक समूह भिन्न भिन्न होते हैं , तब इस प्रकार की समावयवता क्रियात्मक समावयवता कहलाती है । अथवा
जब दो यौगिकों में भिन्न-भिन्न क्रियात्मक समूह उपस्थित हों लेकिन उनका अणुसूत्र एक ही हो , तब यह समावयवता क्रियात्मक समावयवता कहलाती है ।
जैसे - एथिल एल्कोहल (CH3-CH2-OH) एवं डाई मेथिल ईथर (CH3-O-CH3 ) इसके उदाहरण हैं क्योंकि दोनों का अणु सूत्र C2H6O है ।
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प्रश्न क्र. :
मुक्त मूलक से आप क्या समझते हो ? मुक्त मूलक के लक्षण लिखिए एवं मुक्त मूलक कौन कौन सी अभिक्रिया देते हैं , उनके नाम लिखिए ।
उत्तर - मुक्त मूलक (Free Radical) - यह उदासीन परमाणुओं का ऐसा समूह जिसके पास एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है अर्थात जिसमें विषम इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु या अणु होते हैं , मुक्त मूलक कहलाते हैं । यह उदासीन , अत्यंत क्रियाशील एवं अस्थाई होते हैं ।
जैसे - मेथिल मुक्त मूलक , एथिल मुक्त मूलक , फेनिल मुक्त मूलक आदि ।
मुक्त मूलक के लक्षण :-
1. मुक्त मूलक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त कार्बन परमाणु sp2 संकरण अवस्था में होता है ।
2. मुक्त मूलक की ज्यामिति समतलीय त्रिभुजाकार होती है ।
3. मुक्त मूलक में दो आबंध के मध्य कोण 120° का कोण होता है ।
4. मुक्त मूलक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 7 होती है ।
5. यह संयोग एवं अपाहरण क्रिया देते हैं ।
मुक्त मूलक की सरंचना :- sp2 संकरण से बचे कक्षक में विषम इलेक्ट्रॉन स्थित होता है । इसकी ज्यामिति समतलीय त्रिभुजाकार होती है तथा बंध कोण 120° का होता है ।
मुक्त मूलकों की अभिक्रियाएं -
मुक्त मूलक निम्न अभिक्रिया देते हैं -
1. संयोग : - समान अथवा असमान मुक्त मूलक सहयोग करके विभिन्न उत्पाद बनाते हैं ।
CH3 + CH3 ------> C2H6
2. अपाहरण :- मुक्त मूलक द्वारा किसी हाइड्रोजन युक्त योगिक से हाइड्रोजन ग्रहण करना अपाहरण कहलाता है ।
CH4 + Cl -------> CH3 + Cl
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प्रश्न क्र. :-
कार्बोकेटायन किसे कहते हैं ? कार्बोकेटायन के लक्षण लिखिए एवं कार्बोकेटायन की संरचना को समझाइए ।
उत्तर - कार्बोकेटायन (Carbocation) :- वे धनायन जिनमें कार्बन परमाणु पर धन आवेश पाया जाता है , कार्बोकेटायन या कार्बेनियम(carbonium) या कार्बोधनायन कहलाते हैं ।
जैसे - मेथिल कार्बोकेटायन , एथिल कार्बोकेटायन आदि ।
कार्बोकेटायन के लक्षण :-
1. यह धन आवेशित होते हैं ।
2. कार्बोकेटायन के कार्बन परमाणु की बाह्य कक्षा में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं ।
3. यह अत्यधिक क्रियाशील एवं अस्थाई होते हैं ।
4. धनाआवेश युक्त कार्बन sp2 संकरित होता है ।
5. यह संयोजन , प्रोटोन विलोपन एवं अपाहरण क्रिया देते हैं ।
कार्बोकेटायन का स्थायित्व :- धनावेश जितना अधिक अन्य समूहों से या परमाणुओ पर वितरित हो जाएगा , कार्बोधनायन उतना ही अधिक स्थायी होगा । चूँकि एल्किल समूह निर्मोची समूह होते हैं अतः इनके जुड़े होने पर आवेश वितरित होता है तथा स्थायित्व बढ़ता है ।अतः इनके स्थायित्व का क्रम निम्नानुसार होगा -
3° > 2° > 1° > CH3
कार्बोकेटायन की सरंचना -
धन आवेशित कार्बन परमाणु sp2 संकरित अवस्था में होता है तथा एक p कक्षक रिक्त रहता है । कार्बो धनायन समतलीय त्रिभुजाकार होता है तथा बंध कोण 120 डिग्री का होता है
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प्रश्न क्र. :-
कार्बोऋणायन किसे कहते हैं ? कार्बोऋणायन के प्रमुख लक्षण लिखिए एवं इसकी संरचना को समझाइए ।
उत्तर :- कार्बोऋणायन :- वे ऋणायन जिनमें कार्बन परमाणु पर ऋणआवेश पाया जाता है , कार्बोऋणयन या कार्बेनियन कहलाते हैं । इनका निर्माण विषमांश बंध विखंडन द्वारा होता है ।
जैसे - मेथिल कार्बोऋणायन , एथिल कार्बोऋणायन आदि ।
कार्बोऋणायन के लक्षण :-
1. यह ऋण आवेशित होते हैं
2. केंद्रीय परमाणु कार्बन के बाहरी कक्ष में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं ।
3. यह अत्यधिक क्रियाशील एवं अस्थाई होते हैं ।
4. यह इलेक्ट्रॉन दाता होने के कारण नाभिक स्नेही कहलाते हैं ।
5. ऋण आवेशित कार्बन परमाणु sp3 संकरित होता है ।
6. यह मुक्त मूलक के नाम से पुकारे जाते हैं - जैसे मेथिल कार्बोधनायन ।
7. यह संयोजन एवं प्रतिस्थापन अभिक्रिया में देते हैं ।
कार्बोऋणायन की सरंचना - कार्बो ऋणायन का ऋणावेशित कार्बन sp3 संकरित होता है , जिसमें तीन आबंधी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकाकी इलेक्ट्रान युग्म होता है तथा इसकी संरचना चतुष्फलकीय होती है परंतु आकृति पिरामिडीय होती है ।
कार्बोऋणायन का स्थायित्व :- कार्बोऋणायन पर ऋणआवेश होता है । एल्किल समूह जुड़े होने पर यह इलेक्ट्रॉन निर्मोची होने के कारण ऋणाआवेश की मात्रा और बढ़ा देते हैं , जिससे स्थायित्व कम हो जाता है । अतः इनके स्थायित्व का क्रम निम्नानुसार होगा -
CH3 > 1° > 2° > 3°
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प्रश्न क्र. :
समांश बंध विखंडन एवं विषमांश बंध विखंडन से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए ?
उत्तर :- समांश बंध विखंडन :- किसी सहसंयोजी बंध का सममित रूप से टूटना , समांश बंध विखंडन कहलाता है अर्थात वह बंध विखंडन जिसमें बंध बनाने वाले सांझे के इलेक्ट्रॉन युग्म आपस में संयुक्त परमाणुओं पर बराबर उपस्थित रहते हैं , तब इस प्रकार का बंध विखंडन , समांश बंध विखंडन कहलाता है ।
उदाहरण - सहसंयोजी बंध जैसे CX बंध का समांश बंध विखंडन होने पर CX बंध के इलेक्ट्रॉन युग्म दोनों परमाणुओं पर बराबर वितरित हो जाते हैं ।
CH3-X --------------> •CH3 + X•
विषमांश बंध विखंडन :- किसी सहसंयोजी बंध का असममित रूप से टूटना , विषमांश बंध विखंडन कहलाता है अर्थात वह बंध विखंडन जिसमें बंध बनाने वाले सांझे के इलेक्ट्रॉन युग्म आपस में संयुक्त परमाणुओं से किसी एक परमाणु के पास रहता हैं , तब इस प्रकार का बंध विखंडन , विषमांश बंध विखंडन कहलाता है ।
इस प्रकार के बंध विखंडन से आयन बनते हैं जो दो प्रकार के होते हैं -
1. कार्बोधनायन 2. कार्बोऋणायन
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प्रश्न क्र. :
कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि समझने के लिए कौन-कौन से प्रभाव महत्वपूर्ण होते हैं ।
अथवा
कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में कितने प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक विस्थापन देखे जाते हैं ?
उत्तर - कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में सामान्यतः चार प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक विस्थापन देखे जाते हैं , ये चार विस्थापन निम्न हैं -
1. अनुनाद या मेसोमेरिक प्रभाव (Mesomeric effects)
2. अतिसंयुग्मन प्रभाव (Hyper conjugation)
3. प्रेरणिक प्रभाव (Inductive effects)
4. इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव (Electromeric effects)
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प्रश्न क्र.
मीसोमेरिक प्रभाव किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ? उदाहरण दीजिए ।
उत्तर - मीसोमेरिक प्रभाव :- वह प्रभाव जिसमें पाई इलेक्ट्रॉन का पूर्ण रूप से विस्थापन होता है तथा जिसके फलस्वरूप परमाणु पर धन आवेश या ऋण आवेश आ जाता है । यह प्रभाव ऐसे परमाणु के कारण होता है जो संयुग्मित बंध में उपस्थित रहता है । इसे M से प्रदर्शित करते हैं ।
यह एक स्थाई प्रभाव है जिसमें पाई इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण बहुगुणित बंध युक्त अणुओं या एकांतर एकल और द्विबंध वाले वाले अणुओं में पूर्ण रूप से होता है ।
CH2=CH-CH=CH2 ------> +CH2-CH-CH-CH2-
प्रकार :- यह प्रभाव निम्न दो प्रकार का होता है :-
1. धनात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (+M)
2. ऋणात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (-M)
1. धनात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (+M) :- जब इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण संयुग्मित अणु में बंधित किसी परमाणु या समूह से दूर होता है , तब इसे धनात्मक मीसोमेरिक प्रभाव कहते हैं । इसे +M से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - F , Cl , Br , I , OH , OR आदि ।
2. ऋणात्मक मीसोमेरिक प्रभाव (-M) :- जब इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण संयुग्मित अणु में बंधित किसी परमाणु या समूह की ओर होता है , तब इसे ऋणात्मक मीसोमेरिक प्रभाव कहते हैं । इसे -M से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - -COOH , -CHO , -CN आदि ।
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प्रश्न क्र. :
अतिसंयुग्मन किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर :- अतिसंयुग्मन - जब कोई बंध किसी असंतृप्त कार्बन युक्त कार्बन परमाणु के साथ जुड़ा होता है तब C-H बंध इस पद्धति के साथ संयुग्मन कर लेता है , जिसे अतिसंयुग्मन या सिग्मा- पाई संयुग्मन कहते हैं ।
अल्फा कार्बन से असंतृप्त कार्बन की ओर अल्फा इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है और साथ ही द्विबंध का ध्रुवीकरण हो जाता है । अतिसंयुग्मन का मान अल्फा कार्बन से जुड़े CH बंधों की संख्या पर निर्भर करता है । इनकी संख्या जितनी अधिक होती है अतिसंयुग्मन का प्रभाव उतना ही प्रबल होता है ।
जैसे -
-CH3 > CH3-CH2 > (CH3)2CH
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प्रश्न क्र. :
प्रेरणिक प्रभाव से आप क्या समझते हो ? यह कितने प्रकार का होता है ? उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर :- प्रेरणिक प्रभाव ( Inductive Effects ) :- सहसंयोजक बंध के बनने में बंध बनाने वाले साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म में किसी एक परमाणु की ओर विस्थापित हो जाने को , प्रेरणिक प्रभाव कहते हैं ।
जैसे - CH3 -CH2- CH2 -CH2- Cl
प्रकार :- प्रेरणिक प्रभाव निम्न दो प्रकार का होता है -
1. धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव
2. ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव
धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव :- ऐसे परमाणु जो कार्बन की ओर इलेक्ट्रॉन युग्म को भेजते हैं , धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है । इसे +I से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे -
ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव :- ऐसे परमाणु जो कार्बन से इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करते हैं , ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव कहते हैं । इसे -I से प्रदर्शित करते हैं ।
जैसे - NO , F Cl , Br , I , H , OH , C6H5 आदि ।
प्रेरणिक प्रभाव की विशेषताएं :-
1. सह संयोजी बंध में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण कम ऋणविद्युती परमाणु से अधिक ऋणविद्युती परमाणु की ओर होता है ।
2. इस प्रभाव में हमेशा सिग्मा इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन होता है ।
3. यह एक स्थाई प्रभाव है ।
4. यह दूरी बढ़ने के साथ घटता जाता है ।
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प्रश्न क्र. :-
इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर :- इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव :- यह एक अस्थाई प्रभाव है जिसमें बहूबंध के पाई (π) इलेक्ट्रॉनों का किसी एक परमाणु पर स्थानांतरण हो जाता है , इलेक्ट्रो मेरिक प्रभाव कहलाता है । इसे E प्रदर्शित करते हैं और इसे मुड़े हुए तीर के निशान से प्रदर्शित करते हैं ।
यह प्रभाव तभी कार्य करता है जब किसी यौगिक के अणु पर अभिकर्मक की क्रिया हो रही हो । आक्रमणकारी अभिकर्मक को हटा लेने पर यह प्रभाव शून्य अर्थात समाप्त हो जाता है और इस प्रभाव में केवल पाई इलेक्ट्रॉन ही भाग लेते हैं ।
जैसे - A = B ------------> A + B
प्रकार :- यह प्रभाव दो प्रकार का होता है -
1. +E प्रभाव :- जब इलेक्ट्रॉन युग्म का विस्थापन परमाणु या समूह के कार्बन परमाणु की ओर होता है , तब इसे +E प्रभाव कहते हैं ।
2. -E प्रभाव :- जब अभिकर्मक उस परमाणु से जुड़ता है जिस पर पाई इलेक्ट्रॉन स्थानांतरित नहीं होते हैं , तब इसे -E प्रभाव कहते हैं ।
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प्रश्न क्र. :-
अनुनाद किसे कहते हैं ? समझाइये ।
उत्तर :- अनुनाद :- वह घटना जिसमें दो या दो से अधिक संरचनाओं द्वारा किसी योगिक को प्रदर्शित किया जाता है जिसमें केवल इलेक्ट्रॉन युग्म का अंतर होता है और परमाणु का स्थान समान रहता है , अनुनाद कहलाता है ।
जैसे - बेंजीन में अनुनाद पाया जाता है ।
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प्रश्न क्र. :
इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक तथा नाभिकस्नेही अभिकर्मक किसे कहते हैं ? समझाइए ।
अथवा
इलेक्ट्रोफाइल एवं न्यूक्लियोफाइल से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर :- इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक - ऐसे अभिकर्मक जो इलेक्ट्रॉन के प्रति अधिक बंधुता एवं आकर्षण रखते हैं , इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक या इलेक्ट्रोफाइल कहलाते हैं ।
यह अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं और यह धनात्मक या उदासीन अणु होते हैं ।
जैसे- H+ , NO2+ , AlCl3 आदि ।
नाभिकस्नेही अभिकर्मक - ऐसे अभिकर्मक जो नाभिक के प्रति अधिक बंधुता एवं आकर्षण रखते हैं , नाभिकस्नेही अभिकर्मक या न्यूक्लिओफाइल कहलाते हैं ।
यह अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन दान करते हैं और यह ऋणात्मक या उदासीन अणु होते हैं ।
जैसे - F Cl , Br , I , OH , C2H5OH , NH2 , NH3 आदि ।
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प्रश्न क्र.
क्रियात्मक समूह किसे कहते हैं ? क्रियात्मक समूह के उदाहरण दीजिए । क्रियात्मक समूह में पूर्व लग्न एवं अनुलग्न में वरीयता क्रम लिखिए ।
अथवा
क्रियात्मक समूह को उनकी वरीयता क्रम में लिखिए ।
उत्तर - क्रियात्मक समूह किसी अणु का वह भाग है जिस पर उस अणु के भौतिक एवं रासायनिक गुण निर्भर करते हैं , इसलिए इसे लाक्षणिक समूह कहते हैं ।
जैसे - एथिल एल्कोहल में हाइड्रोक्सी समूह (-OH) , क्रियात्मक समूह होता है ।
क्रियात्मक समूह में पूर्व लग्न एवं अनुलग्न में वरीयता क्रम -
क्रियात्मक समूह पूर्वलग्न अनुलग्न
-COOH - कार्बोक्सि - ओइक
-SO3H - सल्फो - सल्फोनिक अम्ल
-COOR - एल्कोक्सी कार्बोनिल - एल्किल एल्केनोएट
- COX - हैलो कार्बोनिल - ओइल हैलाइड
-CONH2 - कार्बेमाइड /एमिडो - एमाइड
-CHO - एल्डोल/फार्मिल - अल
-CN - सायनो - नाइट्राइल
-NC - आइसो सायनो - आइसो नाइट्राइल
-CO- - कीटो/ऑक्सो - ओन
-OH - हाइड्रॉक्सी - ऑल
-SH - थायोल - मर्केप्टो
-NH2 - एमिनो - एमीन
-C=C- - --- - ईन
-C=C त्रिबंध - आइन - आइन
-O- - एपोक्सि - --
-NO2 - नाइट्रो - --
-X - हैलो - --
प्रश्न :
आईयूपीएसी नामकरण के नियम लिखिए ?
किसी यौगिक का आईयूपीएसी नामकरण निम्नलिखित नियमों के अनुसार करते हैं -
1. सर्वाधिक लंबी कार्बन श्रृंखला का चयन
2. वरीय कार्बन संखला का चयन
3. संख्या में कार्बन परमाणुओं का क्रमांक
4. प्रतिस्थापियों की स्थितियों का न्यूनतम योग नियम
5. प्रतिस्थापियों का अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में नाम उल्लेख
6. प्रतिस्थापियों की नामों की संख्या सूचक पूर्व लग्न
7. प्रतिस्थापियों का स्थान क्रमांकन
8. यौगिक में क्रियात्मक समूह , द्विबंध , त्रिबंध उपस्थित होने पर प्रतिस्थापियों की तुलना में वरीयता ।
एल्केन के नामकरण के नियम :-
1. सबसे लंबी श्रंखला का चयन
CH3-CH2-CH(CH2-CH2-CH3)CH2-CH2-CH2-CH3
IUPAC नाम - 3-प्रोपिल हेप्टेन
2. न्यूनतम अंकन
3. स्थित प्रतिस्थापी का न्यूनतम समुच्चय
4. प्रतिस्थापित को अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में लिखा जाना
5. तुल्य स्थितियों में अलग-अलग प्रतिस्थापियो के लिए अंकन
6. प्रतिस्थापित प्रतिस्थापी का नामकरण
Tricks -
1. अंकन करने के लिए सूत्र -
• क्रियात्मक समूह + द्विबंध एवं त्रिबंध + प्रतिस्थापी का नाम
2. IUPAC नाम लिखने के लिए सूत्र -
• प्रतिस्थापी + हाइड्रोकार्बन श्रृंखला + द्विबंध व त्रिबंध अनुलग्न + क्रियात्मक समूह
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1. CH3-CH2-CH3
2. CH3-CH2-CH(CH3)-CH3
3. CH3-CH2-CH(CH2CH3)-CH3
4. CH(CH3)2-CH2-CH(CH3)-CH2-CH3
एल्कीनों के नामकरण के नियम :-
1. द्विबंध युक्त सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला चुनते हैं ।
2. कार्बन श्रृंखला का अंकन उस सिरे से करते हैं जहां से द्विबंध निकटतम होता है ।
3. संगत एल्केन के नाम के अनुलग्न एन(ane) के स्थान पर इन (ene) लगाते हैं ।
4. द्विबंध की स्थिति को उस कारण परमाणु के क्रमांक से दर्शाते हैं जिसमें द्विबंध पहले आता है ।
5. इसी प्रकार श्रंखला से जुड़े एल्किल समूह को भी उस कार्बन की संख्या से दर्शाते हैं जिससे वह जुड़े हो ।
6. एल्केन के नामकरण के बाकी नियम उसी तरह उपयोग में लाए जाते हैं ।
Ex.1.
CH2=CH-CH2-CH3 --> ब्यूट-1-ईन ( सही नाम)
CH2=CH-CH2-CH3 --> ब्यूट-3-ईन ( गलत नाम)
Ex.2.
CH3-CH(CH3)-CH=CH-C(CH3)2-CH3
Iupac नाम - 2,2,5- ट्राइमेथिल हेक्स-3-ईन
एल्काइनो के नामकरण के नियम :-
1. एल्काइनों का नामकरण करने के लिए एल्केन के अनुलग्न ane को yne द्वारा हटाया जाता है ।
2. सामान्य या परिपाटी पद्धति में उच्च सदस्यों का नामकरण एसिटिल
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