अध्याय 3 विद्युत रसायन

प्रश्न 2.
एकल इलेक्ट्रोड विभव के लिए नर्नस्ट समीकरण व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर : 
विद्युत्-रासायनिक श्रेणी में दिए गये मानक इलेक्ट्रोड विभव मानक अवस्था के लिए जब विद्युत् अपघट्य विलयन का सान्द्रण 1 M तथा ताप 298 K हो, परन्तु विद्युत्-रासायनिक सेलों में विद्युत्-अपघट्य विलयन का सान्द्रण हमेशा निश्चित नहीं होता तथा इलेक्ट्रोड विभव विद्युत्-अपघट्य को सान्द्रण तथा ताप पर निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में एकल इलेक्ट्रोड विभव ननस्ट समीकरण द्वारा दर्शाया गया है। किसी अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया के लिए नर्नस्ट समीकरण को निम्न प्रकार से दर्शाया/प्रदर्शित करते हैं –

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन - 40


प्रश्न 3.
फैराडे के विद्युत्-अपघटन के नियम लिखिए।
उत्तर

सन् 1832 में माइकल फैराडे ने विद्युत्-अपघटन के दो नियम दिये –
(1) प्रथम नियम–“विद्युत्-अपघटन से किसी इलेक्ट्रोड पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा प्रवाहित विद्युत् धारा की मात्रा के समानुपाती होती है।”
माना i ऐम्पियर की धारा : सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोड पर W ग्राम पदार्थ मुक्त होता है, तो इस नियम से,
      W ∝ Q
या   W ∝ i x t (∵ Q = it कूलॉम में विद्युत् की मात्रा)
या   W = Zit
जहाँ Z विद्युत्-रासायनिक तुल्यांक है


(2) द्वितीय नियम-“जब श्रेणीक्रम में लगे हुए विभिन्न विद्युत-अपघट्यों के विलयनों से होकर विद्युत् की समान मात्रा प्रवाहित की जाती है, तो इलेक्ट्रोड पर एकत्रित विभिन्न पदार्थों की मात्राएँ उनके रासायनिक तुल्यांक के समानुपाती होती हैं।”
माना, श्रेणी क्रम में जुड़े हुए दो विद्युत्-अपघट्यों में विद्युत् की समान मात्रा प्रवाहित करने पर विक्षेपित पदार्थ की मात्राएँ क्रमशः W1 व W2 हैं तथा उनके रासायनिक तुल्यांक क्रमशः E1 व E2 हैं तो
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन - 41

        W ∝ E अथवा WE = स्थिरांक
या     W1 & E1 तथा W2 & E2
या     W1/W2  &। E1/E2





प्रश्न 1. मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड क्या है ? यह कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर : मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड - इसमें प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ी हुई प्लैटिनम की एक पतली पत्ती का इलेक्ट्रोड हाइड्रोजन आयन (H+) के एक मोलर सान्द्रता के विलयन में डुबाकर रखा जाता है । यह काँच की एक नली से ढंका रहता है। नली में से एक वायुमण्डलीय दाब पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
प्लैटिनम पर हाइड्रोजन गैस अवशोषित होती है तथा शीघ्र ही H2 तथा H2O+ आयनों के बीच साम्य स्थापित हो जाता है। परिस्थिति के अनुसार हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड ऐनोड एवं कैथोड दोनों की भाँति कार्य करते हैं।
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (SHE) ऐनोड होने पर सेल अभिक्रिया –
             H2 → 2H+ + 2e –
इस इलेक्ट्रोड को सेल में बायीं ओर निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
             H2 (1atm)Pt |H+ (1.0M)
SHE कैथोड होने पर सेल अभिक्रिया –
             2H + 2e– → H2
इसे सेल में दायीं ओर निम्न प्रकार दर्शाया जाता है
              H+(1.0M)| H2(g)28) (1 atm)Pt
इस इलेक्ट्रोड का मानक इलेक्ट्रोड विभव स्वेच्छा से शून्य माना जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन - 39
प्रश्न . शुष्क सेल का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर : शुष्क सेल (Dry cell)-इनका उपयोग टॉर्च, टेपरिकॉर्डर, रेडियो, खिलौने, कैलकुलेटर आदि में होता है। ये लेकलांशी सेल के सिद्धान्त पर कार्य करते हैं। लेकलांशी सेल का आविष्कार जी. लेकलांशी (G. Lechlanche) द्वारा सन् 1868 में किया गया। 

शुष्क सेल का वर्णन : शुष्क सेल में Zn का एक खोखला आवरण रहता है, जिसके ऊपर NH4Cl और कम मात्रा में ZnCl2 का जल में बना पेस्ट लगा रहता है। जिंक सिलिण्डर ऐनोड का कार्य करता है। कैथोड एक कार्बन की छड़ होती है। कार्बन की छड़ के चारों ओर MnO2 तथा कार्बन चूर्ण का काला पेस्ट भरा रहता है। जस्ते के खोखले आवरण के ऊपर मोटे कागज का आवरण लगा रहता है। लीक-प्रूफ शुष्क सेलों में Zn के आवरण के ऊपर आयरन या स्टील का आवरण लगा रहता है।
क्रियाविधि : जब सेल कार्य करता है, तो Zn धातु इलेक्ट्रॉन खोकर Zn2+ आयनों के रूप में विद्युत्-अपघट्य (NH4Cl) में विलेय हो जाता है। इलेक्ट्रॉन बाह्य परिपथ में गमन करते हैं तथा कैथोड द्वारा ग्रहण कर लिये जाते हैं। इससे विद्युत्-अपघट्य से  NH4+ आयनो का विसर्जन (discharge) होता है। 
इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ इस प्रकार हैं –

कैथोड अभिक्रिया में मैंगनीज का +4 ऑक्सीकरण अवस्था से +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपचयन हो जाता है। अमोनिया गैस के रूप में बाहर नहीं निकलती है, किन्तु ऐनोड में बने Zn2+ की कुछ मात्रा से संयुक्त होकर जटिल आयन बना लेती है, जिससे सेल के भीतर का दाब बढ़ नहीं पाता –
           Zn+ +4NH3 ------->[Zn(NH3)4]2+
शुष्क सेल का वोल्टेज 1.25 V से 1.5 V के मध्य होता है।

दोष - NH4Cl की अम्लीय प्रकृति के कारण जिंक पात्र का संक्षारण होकर उसमें छिद्र हो जाते हैं । इन छिद्रों से अन्य रासायनिक यौगिक रिसकर बाहर आने लगते हैं। .
आजकल शुष्क सेलों को सुधारकर लीक रोधी बना दिया गया है। इसमें NH4Cl के स्थान पर KOH का उपयोग किया जाता है, जिससे जिंक का संक्षारण नहीं होता है।


प्रश्न : सीसा-संचायक सेल की क्रिया को समझाइए।
उत्तर : सीसा-संचायक सेल :- इस बैटरी का उपयोग मुख्य रूप से मोटर गाड़ियों में होता है। प्रत्येक बैटरी कई वोल्टीय सेलों को श्रेणी क्रम में जोड़कर बनी होती है। इस प्रकार के सेल से 2-0V की विद्युत् धारा प्राप्त होती है। 3 अथवा 6 ऐसे सेलों को आपस में जोड़ने पर 6 अथवा 12 वोल्ट की बैटरी प्राप्त होती है। 
प्रत्येक सेल में लेड (Pb) का एक ऐनोड होता है, जिसमें स्पंजी लेड भरा रहता है और कैथोड के रूप में Pb-Sb मिश्र धातु की जाली में PbO2 का महीन चूर्ण भरा रहता है। H2SO4 का जलीय विलयन विद्युत्-अपघट्य का कार्य करता है, जिसमें 38 % H2SO4 तथा घनत्व 1.38 ग्राम/घन सेमी होता है। इस प्रकार सीसा संचायक सेल तैयार हो जाता है।
जब सेल से विद्युत् धारा ली जा रही हो, तो सेल निम्न प्रकार से कार्य करता है, 
ऐनोड पर Pb का Pb2+ आयन में ऑक्सीकरण होता है, जो अविलेय PbSo4 में बदल जाता है तथा कैथोड पर PbO2 का Pb2+ में अपचयन होकर PbSO4 बनता है।
ऐनोड और कैथोड की अभिक्रियाओं से स्पष्ट है कि सेल के कार्य करने पर प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर PbSO4(s) जमा होने लगता है, जिससे H2SO4 का सान्द्रण और घनत्व कम हो जाता है, अब बैटरी को पुनः आवेशित करके बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है। बैटरी को पुनः आवेशित करने के लिए उपयुक्त वोल्टेज वाली विद्युत् धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित की जाती है। जिससे इलेक्ट्रॉन प्रवाह के साथ-साथ इलेक्ट्रोड अभिक्रियाएँ भी विपरीत दिशा में होने लगती हैं अतः
ऐनोड पर Pb एवं कैथोड पर PbO2 जमा हो जाता है। H2SO4 के उत्पादन होने से उसका घनत्व बढ़ जाता है और यह क्रिया चलती रहती है।
रिचार्ज होते समय सेल में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाऐ –

प्रश्न 4.
संक्षारण किसे कहते हैं ? जंग लगने का विद्युत्-रासायनिक सिद्धान्त समझाइए।
उत्तर : संक्षारण : 
वायुमण्डल में उपस्थित गैसों तथा नमी द्वारा धातुओं के धीमी गति से अवांछित यौगिकों में बदल जाने की प्रक्रिया संक्षारण कहलाती है। लोहे में जंग लगना इसका प्रमुख उदाहरण है।
जंग लगने का विद्युत्-रासायनिक सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार, अशुद्ध लोहे की सतह एक विद्युत्-रासायनिक सेल की भाँति व्यवहार करती है। ऐसे सेल को संक्षारण सेल भी कहते हैं। इन सेलों में शुद्ध लोहा ऐनोड तथा अशुद्ध लोहा कैथोड का कार्य करता है। नमी जिसमें O2 और CO2 विलेय है, विद्युत्-अपघट्य का कार्य करता है।
ऐनोड पर - Fe, Fe+2 आयनों के रूप में विलयन में चला जाता है।
                       Fe →Fe+2 + 2e
कैथोड पर - ऑक्सीजन की उपस्थिति में ये इलेक्ट्रॉन जल के अणुओं द्वारा ले लिये जाते हैं तथा OF आयन बनाते हैं।
              2H2+O2 +4e →4OH
ऐनोड पर बने Fe+2 आयन OH आयनों से क्रिया करके Fe(OH)2, बनाते हैं। यह आयरन (II) हाइड्रॉक्साइड वायुमण्डल के ऑक्सीजन द्वारा नमी की उपस्थिति में हाइड्रेटेड आयरन (III) ऑक्साइड बनाता है।
2Fe(OH)2 + 12 O2(aq) + H2O(l) →Fe2O3. xH2O
यही हाइड्रेटेड फेरिक ऑक्साइड जंग है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कक्षा 11th अध्याय 9 PART - 4 ll हाइड्रोजन पराक्साइड की संरचना ll परहाइड्रोल ll फेंटन अभिकर्मक

कक्षा 11th अध्याय 4 PART 3

Class 12th Chapter 16